ऋण माफी घोटाले की रिपोर्ट के लिए नाबार्ड चेयरमैन को अल्टीमेटम
प्रथमा बैंक में ऋण माफी घोटाले में कोर्ट ने नाबार्ड चेयरमैन को लोन खातों की जांच कर 30 जनवरी तक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
इलाहाबाद (जेएनएन)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुरादाबाद की प्रथमा बैंक में ऋण माफी योजना, 2008 का लाभ देने में घपला करने की जांच में देरी करने को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने नाबार्ड के चेयरमैन को लोन खातों की जांच कर 30 जनवरी तक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। साथ ही चेयरमैन को आदेश दिया था कि 200 अपात्रों को योजना का गलत लाभ पहुंचाने की जांच के लिए अधिकारी नामित करे और वे एक माह में रिपोर्ट पेश करे। चेयरमैन यह कहते हुए आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं कि जांच कर रहे अधिकारियों के सहयोग के लिए उनके पास चार्टर्ड एकाउंटेंट नहीं हैं। कोर्ट ने इसे जांच में देरी का बहाना माना और 30 जनवरी को जांच कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।
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यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टंडन तथा न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की खंडपीठ ने मुरादाबाद के चंद्रकांत शर्मा की जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका की अगली सुनवाई दो फरवरी, 2017 को होगी। याची के अधिवक्ता राजेंद्र सिंह का कहना है कि नाबार्ड को ऋण माफी योजना के तहत दो हेक्टेयर से कम की खेती वाले किसानों की ऋण माफी योजना जिम्मा सौंपा गया। दो हेक्टेयर से अधिक खेती वाले किसानों को ऋण वसूली में 25 फीसदी छूट का नियम था।
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कैग ने प्रथमा बैंक पर योजना पर अमल करने में अनियमितता की रिपोर्ट दी। बैंक डाटा लेकर मुरादाबाद, अमरोहा, रामपुर व संभल जिलों की बैंक शाखाओं में घपले को लेकर याचिका दाखिल की। अकेले पिपली दाउद शाखा में 200 अपात्र किसानों का कर्ज माफ किया गया और गरीब किसानों का नहीं माफ किए जाने का आरोप लगाया। कोर्ट ने नाबार्ड के चेयरमैन को प्रथमा बैंक की धवार्सी, चुचेलाकला, जैतोली, ककटू नागला, नन्हेरा, मनौता, रेहरा, अलीपुर चोपला, गरौला, चकन वाला व पीपलीदाउद शाखाओं के लोन एकाउंट की जांच कर एक माह में रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। यह जांच करना है कि क्या लोन माफी योजना में गलत लाभ दिया गया है। जांच में ढिलाई पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है।