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वाराणसी में हवा में टकराने से बचे दो यात्री विमान, जांच शुरू

33 हजार फीट की ऊंचाई पर वाराणसी के हवाई क्षेत्र में दो यात्री विमान टकरा जाते। गनीमत थी कि विमान में लगे सेंसर बोलने लगे और दोनों विमानों के पायलटों ने विमान के रास्ते बदल दिए।

By Ashish MishraEdited By: Published: Thu, 20 Apr 2017 07:41 PM (IST)Updated: Thu, 20 Apr 2017 07:44 PM (IST)
वाराणसी में हवा में टकराने से बचे दो यात्री विमान, जांच शुरू
वाराणसी में हवा में टकराने से बचे दो यात्री विमान, जांच शुरू

वाराणसी (जेएनएन)। कल्पना मात्र से ही कलेजा दहल जाएगा कि अगर ऐसा हो गया होता तो फिर मंजर कितना भयावह होता। बस, 15 सेकेंड तक यदि नजर चूक जाती तो 33 हजार फीट की ऊंचाई पर वाराणसी के हवाई क्षेत्र में दो यात्री विमान टकरा जाते। गनीमत थी कि विमान में लगे सेंसर बोलने लगे और दोनों विमानों के पायलटों ने विमान के रास्ते बदल दिए। प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने जांच के आदेश दे दिए हैं। नागर विमानन महानिदेशालय के अधिकारियों ने बीते 16 अप्रैल को बाबतपुर एटीसी के अधिकारियों से प्रकरण में पूछताछ भी की है।

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दरअसल में रविवार को इंडिगो एयरलाइंस का विमान 6इ398 ने दिल्ली से बागडोगरा (पश्चिम बंगाल) के लिए उड़ान भरा तो एयर एशिया का विमान आइ5-768 ने दोपहर में बागडोगरा से दिल्ली के लिए उड़ान भरी। विमान दिन में लगभग 1:35 बजे लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट के हवाई क्षेत्र में 33 हजार फीट की ऊंचाई पर थे। दोनों विमान एक ही रूट पर नौ किलोमीटर की दूरी पर थे कि दोनों विमान में लगे एयरबोर्न कलिजन अवाइडेंस सिस्टम (एसीएएस) ने अलार्म बजाया। जिसके चलते दोनों विमान के पायलट ने विमान के रास्ते बदल दिए वरना जो होता, इतिहास के बड़े हादसे में गिना जाता।


एयरपोर्ट से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि एयरबोर्न कलिजन अवाइडेंस सिस्टम (एसीएएस) नौ किलोमीटर की दूरी होने पर ही काम करता है। सूत्रों के मुताबिक यदि एटीसी द्वारा संदेश प्रसारित करने व पायलट तत्परता न दिखाते तो दोनों विमान के बीच टक्कर तय थी। लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट के निदेशक एके राय के मुताबिक विमानों के पायलटों की लापरवाही के चलते दोनों विमान आमने-सामने आ गए थे। सूझबूझ से हादसा टल तो गया लेकिन डीजीसीए की शाखा एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इंवेस्टीगेशन ब्यूरो द्वारा जांच शुरू हो चुकी है। 


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