पीसीएस टॉपर टिप्स : दो-तीन घंटे मन से पढऩा काफी
मऊ के किसान परिवार में पले बढ़े पंकज सिंह ने अपने पहले प्रयास में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की पीसीएस परीक्षा-2013 में शीर्ष पर रहकर सफलता की गाथा लिख दी। बचपन में ही पिता को खो देने वाले पंकज ने कभी धैर्य नहीं खोया और संघर्ष करते हुए मंजिल
लखनऊ। मऊ के किसान परिवार में पले बढ़े पंकज सिंह ने अपने पहले प्रयास में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की पीसीएस परीक्षा-2013 में शीर्ष पर रहकर सफलता की गाथा लिख दी। बचपन में ही पिता को खो देने वाले पंकज ने कभी धैर्य नहीं खोया और संघर्ष करते हुए मंजिल हासिल की। अपने संयुक्त परिवार और मित्रों के सहयोग को सफलता का श्रेय देते हुए पंकज आइएएस बनना चाहते हैं।
पीसीएस में टॉप करने वाले पंकज ने कहा कि उन्हें टॉप करने की उम्मीद तो नहीं थी, लेकिन चयनित होने का विश्वास जरूर था क्योंकि मुख्य परीक्षा में काफी अच्छे अंक थे और साक्षात्कार भी ठीक हुआ था। अंग्रेजी माध्यम से लोक प्रशासन और सामाजिक कार्य विषय का चयन कर परीक्षा देने वाले पंकज ने बताया कि वह विज्ञान वर्ग के विद्यार्थी थे और एमटेक के बाद इंजीनियङ्क्षरग कालेज में पढ़ाते। इंजीनियङ्क्षरग का विद्यार्थी होने के बाद लोक प्रशासन और सामाजिक कार्य विषय लेने की बात पर पंकज ने बताया कि वह आइटी के छात्र थे और यह विषय सिविल सर्विसेज में नहीं है। वैसे भी प्रशासनिक सेवा में जाना है तो लोक प्रशासन से बेहतर क्या हो सकता है।
कैसे की तैयारी
पंकज के अनुसार सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए उनके पास पर्याप्त समय नहीं था। फिर भी वह कालेज में पढ़ाने के बाद तीन घंटे कोचिंग पढ़ते और घर में दो से तीन घंटे का ही समय अपनी पढ़ाई के लिए दे पाते। उन्होंने कहा कि इतना समय में अगर मन लगाकर पढ़ा जाय तो काफी है। पंकज ने बताया कि करंट अफेयर्स किताबों की अपेक्षा इंटरनेट से ज्यादा बेहतर तैयार किया जा सकता है। परीक्षा तैयारी में समाचार पत्रों की भूमिका को भी उन्होंने महत्वपूर्ण बताया। कहा कि मैं हिंदी अखबारों में दैनिक जागरण का पहला पेज और संपादकीय हर हाल में पढ़ता था। इसके अलावा अंग्रेजी अखबार पर भी नजर जरूर डालता था। भाषा का महत्व तो स्पष्ट है ही। पंकज ने कहा कि तनावमुक्त अध्ययन ही सफलता दिलाता है।
क्या थी दिनचर्या
पंकज ने बताया कि इलाहाबाद में इंजीनियङ्क्षरग कालेज जाने के लिए वह सुबह 8.00 बजे घर से निकलते। 8:45 बजे से शाम पांच बजे तक कालेज में पढ़ाने के बाद शाम 5.30 से 8.30 बजे तक कोङ्क्षचग पढऩे जाते। रात 9.00 बजे कमरे पर आकर छोटे भाई के साथ मिलकर खाना बनाना और फिर रात 10.30 बजे तक खाने के बाद अगले दिन की तैयारी करता था। रात में एक बजे सोना होता था।