गंगा कटरी में दहाड़ा बाघ, दुबके ग्रामीण
लखनऊ। जंगल से बाघ बाहर निकला। गंगा नदी पार की, पहाड़पुर गांव में दहाड़ा और फिर छिप गया।
लखनऊ। जंगल से बाघ बाहर निकला। गंगा नदी पार की, पहाड़पुर गांव में दहाड़ा और फिर छिप गया। यह सब हुआ सबेरे करीब पांच बजे सुबह उसकी दहाड़ सुनकर पूरा गांव थर्रा गया, कुत्ते भी भौंकते रहे। सबेरा होने पर वन विभाग व वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया की टीम पहुंची भी पर उन्हें सिवाय बाघ के पदचिह्नों के अलावा कुछ नहीं मिला।
गांव के अमरूद व गेहूं के खेतों में फिर बाघ के पैरों के निशान मिले हैं। ग्रामीणों के अनुसार जब बाघ ने दो-तीन बार दहाड़ लगाई तो सभी सहम गए। सूचना पर वन विभाग व वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया की छह टीमें अलग-अलग लोकेशन पर लगाई गई। पैदल ही करीब 14 किमी. तक कांबिंग चली, बाघ को फंसाने के लिए हर जुगत लगाई गई मगर कुछ फायदा नहीं हो सका। टीम ने कांबिंग की और गांव में फुट प्रिंट लेकर चली गई।
बाघ की मौजूदगी से क्षेत्र के नत्थापुरवा, बड़ा मंगलपुर, छोटा मंगलपुर, पहाड़ीपुर, लखमीपुर, देवनीपुरवा, धरमपुरवा, चैनपुरवा, छोटी गड़ेनामऊ, राम निवासपुर, मेघ्घनपुर व रामपुर समेत दो दर्जन गांवों के लोगों में दहशत है। वहीं कन्हवापुर का जंगल 12 किमी. लंबा व छह किमी.चौड़ा है। दूसरी ओर यह कटरी क्षेत्र बिठूर, बिल्हौर के रास्ते कन्नौज तक फैला है। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के टीम लीडर डा. एके सिंह के अनुसार कटरी का यह इलाका सुनसान है और ऐसे में उसके रहन-सहन के लिए अनुकूल स्थितियां पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है यदि इसमें कामयाब हुए तो आसानी से बाघ पकड़ा जाएगा।
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शिकार सुरक्षित, नीलगाय व सुअर को बनाया निवाला
जंगल में दो दिन पहले शिकार के रूप में बांधा गया पड़वा शनिवार को भी सुरक्षित निकला। खास बात यह रही कि थोड़ी ही दूरी पर उसने एक नीलगाय के बच्चे व एक सुअर को मारकर खा लिया।
वहीं अब अभियान से विशेषज्ञों को जोड़ा गया है। दो दर्जन शेर व बाघों को पकड़कर अपना लोहा मनवा चुके डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के 12 विशेषज्ञों को आपरेशन से जोड़ा गया है। अब बायोलॉजिस्ट 3, सोशियोलाजिस्ट 4 व फील्ड के तेजतर्रार छह अफसरों को लगाया गया है। जबकि अभियान में शामिल दोनो हथिनी को हटा दिया गया है। टीम का मानना है कि इससे बाघ डर कर भाग जा रहा है।