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अजमेर शरीफ से लौट रहे जायरीन भरी बस पलटने से तीन की मौत

क्षमता से तीन गुना अधिक सवारियों से भरी बस के चालक को झपकी लग गई और बस पेड़ से टकराकर खाई में जा गिरी। हादसे में तीन बस यात्रियों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि 49 घायल हो गए। कन्नौज पुलिस ने घायलों को जिला अस्पताल पहुंचाया।

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 28 Apr 2015 04:58 PM (IST)Updated: Tue, 28 Apr 2015 05:00 PM (IST)
अजमेर शरीफ से लौट रहे जायरीन भरी बस पलटने से तीन की मौत

लखनऊ। क्षमता से तीन गुना अधिक सवारियों से भरी बस के चालक को झपकी लग गई और बस पेड़ से टकराकर खाई में जा गिरी। हादसे में तीन बस यात्रियों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि 49 घायल हो गए। कन्नौज पुलिस ने घायलों को जिला अस्पताल पहुंचाया। चार जायरीन को कानपुर के लिए रिफर कर दिया गया। आज सुबह बाराबंकी के टिकैतनगर क्षेत्र के हड़हा नागा गांव निवासी चालक मुमताज बस लेकर अजमेर से लौट रहा था। बस में करीब 75 यात्री और काफी सामान था। सुबह बस जीटी रोड पर हरदोई मोड़ के पास पहुंची थी तभी मुमताज को झपकी आने से बस बेकाबू हो गई। स्टेयङ्क्षरग संभालने के बजाय मुमताज चलती बस से कूद गया। बस अनियंत्रित खाई में गिरकर पेड़ से टकराने के बाद पलट गई। दुर्घटना के बाद घायलों में चीखपुकार मच गई। इससे बस की छत में बैठे इरफान (26) पुत्र अशफाक, अजीज (35) पुत्र मेंहदी हसन निवासीगण गोपालपुर, चिरौली, दरियाबाद जिला बाराबंकी, नसरुद्दीन (65) निवासी सुल्तनापुर, बदोसराय जिला बाराबंकी बस और पेड़ के बीच में फंस गए। जब तक इन्हें निकाला जाता तीनों ने दम तोड़ दिया।

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एएसपी सुभाष शाक्य ने फोर्स की सहायता से बस में फंसे 45 घायलों को निकालकर जिला अस्पताल भेजा। हालत गंभीर होने के कारण नासिर (35) पुत्र इस्तियाक निवासी बदोसराय, इम्तियाज (61) पुत्र हनीफ निवासी शहरी, बदोसराय, बदरुल (50) पुत्र हाफिज निवासी सफदरगंज और सुबरा (60) पत्नी मुशीर निवासी शराय शाह, दरियाबाद बाराबंकी को कानपुर रिफर कर दिया गया।

एक साथ बड़ी संख्या में घायलों के पहुंचने पर जिला अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई। डाक्टरों की कमी देख अधिकारियों ने विनोद दीक्षित अस्पताल से भी डाक्टर और पैरा स्टाफ बुला लिया गया। उधर, बस में सुरक्षित बचे बच्चे और महिलाओं को घटनास्थल के पास में ही स्थित महाविद्यालय में रोका गया। मौत को काफी करीब से देखने के कारण सलामत रहे बच्चों और महिलाओं के चेहरों पर घंटों बाद भी खौफ साफ पढ़ा जा सकता था।


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