एकेटीयू के निलंबित कुलसचिव यूएस तोमर को बर्खास्त करने की तैयारी
एकेटीयू के निलंबित कुलसचिव यूएस तोमर के आरोपों की जांच के लिए गठित समिति की अंतिम जांच रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया है।
लखनऊ (जेएनएन)। राज्यपाल और राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति राम नाईक ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) के निलंबित कुलसचिव यूएस तोमर को सुनवाई का मौका दिये जाने के बाद उन पर लगे आरोपों की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय जांच समिति की अंतिम जांच रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है। तोमर पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को सही पाये जाने पर राज्यपाल ने उन्हें नोटिस जारी कर 25 जुलाई तक अपना स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है। नोटिस में राज्यपाल ने तोमर से कहा है कि क्यों न राज्य सरकार को उन्हें कुलसचिव पद से बर्खास्त किये जाने के औपचारिक आदेश जारी करने के निर्देश दिये जाएं।
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यूएस तोमर पर आरोप था कि एकेटीयू के कुलसचिव रहते हुए उन्होंने जानबूझ कर 44 कॉलेजों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ संबद्धता प्रदान की। उन पर सत्र 2013-14 में विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कॉलेजों को प्रवेश देने के समय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में नियमों के विपरीत संबद्धता आदेश जारी करने का आरोप था। शासन के पत्र में उल्लिखित रिट याचिकाओं में कुलसचिव रहते हुए पैरवी न करना और जानबूझ कर सुप्रीम कोर्ट में प्रतिशपथ पत्र न दाखिल करने के आरोप भी उन पर थे। सत्र 2014-15 में कुलसचिव के रूप में तोमर द्वारा अपने स्तर से अनधिकृत बैंक खाता खोलकर और विश्वविद्यालय की अधिकारिक वेबसाइट से इतर किसी अन्य वेबसाइट को शुरू करते हुए संस्थाओं से ऑनलाइन आवेदन प्राप्त करने तथा अपनायी गई प्रक्रिया में विश्वविद्यालय अधिनियम/विनियमों का अनुपालन न किये जाने के आरोप भी थे। इन आरोपों के अलावा उन पर भ्रष्टाचार व अनुशासनहीनता के भी आरोप थे।
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राज्यपाल ने तोमर पर लगे आरोपों की जांच के लिए पांच नवंबर 2015 को सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एसके त्रिपाठी की अध्यक्षता में एक जांच समिति का गठन किया था। समिति में डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय लखनऊ के कुलपति प्रो. गुरदीप सिंह और सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी सर्वेश चंद्र मिश्रा को सदस्य नामित किया गया था। जांच समिति को यूएस तोमर के खिलाफ वित्तीय अनियमितता, भ्रष्टाचार आदि के आरोपों की जांच करनी थी। जांच के दायरे में कुलसचिव पद पर तोमर की नियुक्ति का मामला भी शामिल था। राज्यपाल ने 23 नवंबर, 2015 को यूएस तोमर को कुलसचिव पद से निलंबित कर दिया था। तोमर पर लगे आरोपों की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति ने 31 मई, 2017 को 483 पेज की अंतिम जांच रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी थी। रिपोर्ट मिलने के बाद राज्यपाल ने नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के तहत तोमर को 15 जून तक उनका पक्ष रखने का समय दिया था। तोमर ने राज्यपाल के समक्ष व्यक्तिगत सुनवाई का अनुरोध किया था। इसे स्वीकार करते हुए 14 व 17 जुलाई को राज्यपाल ने व्यक्तिगत रूप से उनको सुनवाई का अवसर प्रदान किया था।