सुरेश खन्ना को भाजपा विधानमंडल दल की कमान
लखनऊ (जागरण ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश में भाजपा विधान मंडल दल के नेता पद पर जारी ऊहापोह कल सु
लखनऊ (जागरण ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश में भाजपा विधान मंडल दल के नेता पद पर जारी ऊहापोह कल सुरेश खन्ना की नियुक्ति के बाद खत्म हो गई। उप नेता सतीश महाना की गैरमौजूदगी में हुए चुनाव से कई सवाल भी उठे।
पार्टी मुख्यालय में प्रात: 11 बजे प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी की अध्यक्षता में आहूत बैठक में राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य जयप्रकाश चतुर्वेदी बतौर पर्यवेक्षक उपस्थित थे। शाहजहांपुर से विधायक सुरेश खन्ना को दल नेता नियुक्त करने का प्रस्ताव कानपुर के सलिल विश्नोई ने रखा, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया। खन्ना को निर्वाचित घोषित करने के बाद लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि संगठन और विधानमण्डल दल सड़क से सदन तक सपा सरकार के खिलाफ एकजुट संघर्ष करे ताकि मिशन-2017 कामयाब हो सके । डा. राधामोहन दास अग्रवाल के संचालन में आयोजित बैठक में प्रदेश संगठन महामंत्री सुनील बंसल के साथ अधिकतर विधायक मौजूद रहे परन्तु उप नेता सतीश महाना का गैरहाजिर रहना सबको खटक रहा था। सूत्रों के मुताबिक विधायक दल नेता के चुनाव में सुरेश खन्ना के नाम का प्रस्ताव उपनेता सतीश महाना को करना था। महाना अपनी गैरहाजिरी की वजह गाड़ी लेट होना बताते हैं लेकिनु दल नेता के पद पर उनकी मजबूत दावेदारी किसी से छिपी नहीं। उनके समर्थकों का मानना था कि हुकुम सिंह के सांसद निर्वाचित होने के बाद महाना को उपनेता पद से प्रोन्नति मिल जाएगी। बजट सत्र में महाना के तेवरों से लगता भी था कि उन्हें दल नेता बनाने का इशारा मिल चुका है। हालांकि महाना ने अपनी गैरहाजिरी को महज संयोग बताया। उनका कहना था कि नेतृत्व का फैसला सभी को मंजूर है।
वरिष्ठता फार्मूला : खन्ना की नियुक्ति में वरिष्ठता का फार्मूला चला। प्रवक्ता चंद्रमोहन ने बताया कि सुरेश खन्ना वर्ष 1989 से सात बार शाहजहापुर का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। खन्ना ने पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, रामप्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह व मायावती की मंत्रिपरिषद में भी काम किया है। वर्ष 2004 से 2007 में पार्टी के मुख्य सचेतक भी रहे हैं। दल नेता बनने पर सुरेश खन्ना ने मतभेद जैसे सवालों को हवाई बताया।