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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर पतंजलि जन्मस्थली पर किसी का ध्यान नहीं

21 जून को विश्व के 177 देशों में लोग योग मुद्रा में होंगे तब महर्षि पतंजलि के जन्मस्थान उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के कोंडर गांव में झील सूखी नजर आएगी।

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 20 Jun 2017 10:01 PM (IST)Updated: Wed, 21 Jun 2017 06:21 PM (IST)
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर पतंजलि जन्मस्थली पर किसी का ध्यान नहीं
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर पतंजलि जन्मस्थली पर किसी का ध्यान नहीं

लखनऊ (जेएनएन)। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर गांवों में विशेष सफाई अभियान चल रहा है। प्रमुख सचिव पंचायतीराज विभाग चंचल कुमार तिवारी ने इसके लिए निर्देश जारी कर स्वच्छ ग्राम स्वच्छ प्रदेश अभियान नाम दिया है। इसके तहत 21 जून को सभी गांवों में विशेष सफाई करायी जाएगी। गांव की नालियों, तालाबों व गलियों का कूड़ा करकट साफ कराने के अलावा स्वच्छता का संदेश दिया जाएगा लेकिन इस दौरान विश्व को योग रूपी संजीवनी देने वाले इस विधा के जनक महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली गोंडा का कोंडर गांव उपेक्षा का शिकार रहेगा। 

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...और महर्षि पतंजलि का आश्रम 

21 जून को जब विश्व के 177 देशों में लोग योग मुद्रा में होंगे तब महर्षि की यह भूमि अपने लिए शुभ योग का इंतजार कर रही होगी। पवित्र नगरी अयोध्या से 22 किलोमीटर उत्तर गोंडा जिले के कोंडर गांव में इसी नाम से एक सूखी झील है। यह झील कभी हरी-भरी रहती थी और इसके किनारे महर्षि पतंजलि का मनोरम आश्रम था। करीब नौ किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैली इस झील का पानी कभी नहीं सूखता था लेकिन वर्तमान में यह सूख चुकी है। इसकी एक वजह आसपास हाल के समय हुआ अतिक्रमण भी है। यह क्षेत्र वजीरगंज विकास खंड में आता है। आश्रम में दो कमरे हैं। एक में भगवान रामजानकी की प्रतिमाएं रखी हैं, जो हजारों वर्ष पुरानी बताई जाती है। 

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ग्रामीणों के सहयोग से भंडारा 

कोंडर आश्रम स्थल पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। ग्रामीणों के सहयोग से आश्रम में भंडारा व अन्य कार्यक्रम होते रहते हैं। आश्रम में योग की परंपरा को जीवित रखने के लिए रविशंकर द्विवेदी प्रतिदिन सुबह छह बजे योग शाला चलाते हैं जहां 50-60 लोग योगाभ्यास करते हैं। यहां के लोगों की कसक है कि जिनके नाम से दुनिया भर में योग का प्रचार हो रहा है उनके जन्मस्थान की ऐसी उपेक्षा क्यों है। इसी टीस के साथ पतंजलि जन्मभूमि न्यास एवं सनातन धर्म परिषद के अध्यक्ष डॉ. स्वामी भगवदाचार्य संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक को पत्र लिखकर हालात से अवगत करा चुके हैं।

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कोंडर को हेरिटेज साइट की मांग 

स्वामी भगवदाचार्य के मुताबिक उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून को पतंजलि के जन्मस्थान कोंडर को हेरिटेज साइट घोषित करने की मांग की थी। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्रीय संस्कृति मंत्री व प्रदेश के पर्यटन मंत्री को भी पत्र लिखा जा चुका है। स्वामी भगवदाचार्य चाहते हैं हैं कि प्रधानमंत्री लखनऊ के साथ महर्षि के आश्रम भी आते तो कोंडर का नाम बढ़ता। हालांकि, अब यह संभव नहीं लगता। गोंडा के जिलाधिकारी जेबी सिंह जरूर यह कहकर उम्मीद पैदा करते हैं कि महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली के विकास के लिए अधिकारियों से बात की जाएगी।  

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शेषावतार थे पतंजलि!

पौराणिक मान्यता है कि महर्षि पतंजलि द्वापर एवं कलि के संध्याकाल में अवतरित हुए। पतंजलि शेष के अवतार थे। ऐतिहासिक साक्ष्य के अनुसार पतंजलि पर्दे के अंदर शिष्यों को ज्ञानोपदेश देते थे। नवें दिन बिना अनुमति के शिष्यों ने पर्दा उठाकर कोने से झांका तो सर्पाकार पतंजलि अ²श्य हो गए। वह पवित्र स्थल कोंडर आश्रम है। महर्षि पतंजलि ने योग सूत्र की रचना के अतिरिक्त पाणिनि की अष्टाध्यायी पर महाभाष्य की रचना की है।


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