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स्पीकर्स कांफ्रेंस : संविधान संशोधन में पूछा राज्य का औचित्य

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आज से शुरू हो रही चार दिनी स्पीकर्स कांफ्रेंस में पहली बार मुख्यमंत्री व राज्यपाल भाग लेंगे। इस कांफ्रेंस में अभी तक भारत के विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारी तथा सचिव ही शिरकत करते थे। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जहां 31 को पीठासीन अधिकारियों के

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 30 Jan 2015 10:00 AM (IST)Updated: Fri, 30 Jan 2015 08:43 PM (IST)
स्पीकर्स कांफ्रेंस : संविधान संशोधन में पूछा राज्य का औचित्य

लखनऊ। स्पीकर्स कांग्रेस के पहले दिन सचिवों और प्रमुख सचिवों ने लोकसभा की ओर से राज्य के औचित्य पर सवाल उठाया और पूछा क्या राज्यों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत संविधान संशोधन विधेयक को पुष्टि व अनुमोदन के लिए भेजे जाने पर विधान सभाएं इसमें संशोधन का प्रस्ताव शामिल कर सकती हैं। सम्मेलन में इस विषय पर राज्यों से स्पष्ट हां या न में राय की अपेक्षा की गई।

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लोकसभा महासचिव अनूप मिश्रा द्वारा विचार विमर्श के लिए प्रस्तुत विषयों में इसे पहले नंबर पर लिया जाना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि उत्तर प्रदेश विधान मंडल ने पिछले सत्र में संसद द्वारा पारित संविधान के 121वें संशोधन विधेयक तथा राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक को पुष्टि के लिए भेजे जाने पर इसमें कतिपय संशोधन शामिल कर दिए थे। स्पष्ट था कि उत्तर प्रदेश की विधायिका द्वारा संविधान संशोधन विधेयक की पुष्टि न करने से उपजी चिंता महासचिव द्वारा व्यक्त की गई।

लोकसभा महासचिव अनूप मिश्रा द्वारा चर्चा के लिए प्रस्तुत उपरोक्त विषय पर अधिकांश सचिवों व प्रमुख सचिवों की राय यही थी कि संसद द्वारा पारित संविधान संशोधन विधेयक को राज्य विधायिका द्वारा सामान्यतया पुष्ट कर देना चाहिए तथा विशेष परिस्थितियों में ही इससे असहमति व्यक्त करनी चाहिए। सम्मेलन के बाद अनूप मिश्रा ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 368 (1)के तहत संसद को संविधान संशोधन का अधिकार है और 368 (2) में एक प्रक्रिया के तहत इसे पुष्टि के लिए राज्यों की विधायिका को भेजा जाता है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, गुजरात व मणिपुर जैसे राज्यों ने अपनी नियमावली में यह व्यवस्था कर दी है कि वे संविधान संशोधन विधेयक में कोई संशोधन प्रस्तावित नहीं करेंगे।


चार दिनी स्पीकर्स कांफ्रेंस

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में चार दिनी स्पीकर्स कांफ्रेंस में पहली बार मुख्यमंत्री व राज्यपाल भाग लेंगे। इस कांफ्रेंस में अभी तक भारत के विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारी तथा सचिव ही शिरकत करते थे। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जहां 31 को पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में रहेंगे वहीं राज्यपाल राम नाईक एक फरवरी को समापन सत्र को सम्बोधित करेंगे। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन आज आएंगी। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन राजभवन में ठहरेंगी।लोक सभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की अध्यक्षता वाली स्थायी समिति ने इस सम्मेलन के परम्परागत प्रारूप को बदलते हुए राज्यपाल व मुख्यमंत्री को इसमें आमंत्रित किया है।

चाक-चौबंद रहेगी सुरक्षा

विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के चार दिवसीय सम्मेलन की सुरक्षा के कड़े प्रबंध हैं। देश भर से आ रहे पीठासीन अधिकारियों को निर्धारित श्रेणीवार सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी। क्यूआरटी की तीन टीमें देने के साथ लखनऊ परिक्षेत्र के डीआइजी आरके चतुर्वेदी को सुरक्षा के लिए नोडल अधिकारी बनाया गया है। इस बाबत विधानसभा सचिवालय ने मिनट-टू-मिनट कार्यक्रम का ब्यौरा गृह विभाग को प्रेषित किया है। प्रमुख सचिव गृह देबाशीष पंडा ने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार डीजीपी को सुरक्षा प्रबंध के निर्देश दिए हैं। सभी राज्यों के विधानसभा अध्यक्षों, छह राज्यों के विधान परिषद के सभापति और अन्य अतिथियों के प्रवास स्थल, आवागमन और कार्यक्रम स्थलों पर निर्धारित सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी। इस सम्मेलन में कुल 241 वीआइपी अतिथि भाग ले रहे हैं जिनमें करीब 32 लोगों को श्रेणीबद्ध सुरक्षा मिली है। एक पीठासीन अधिकारी को जेड प्लस, आठ को जेड और 21 को वाई या एक्स श्रेणी की सुरक्षा मिली है। ये वीआइपी जिन रास्तों से गुजरेंगे वहां भी पर्याप्त सुरक्षा रहेगी। इसके मद्देनजर लखनऊ पुलिस को चार कंपनी पीएसी, एक कंपनी आरएएफ और पुलिस मुख्यालय से वाहन दिए गए हैं।


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