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श्रमजीवी एक्‍सप्रेस ब्‍लास्‍ट के आरोपी आलमगीर को फांसी की सजा

श्रमजीवी एक्सप्रेस में 28 जुलाई 2005 को हुए आतंकी विस्फोट में बांग्‍लादेशी मोहम्‍मद आलमगीर उर्फ रोनी को अपर सत्र न्‍यायाधीश प्रथम बुधिराम यादव ने फांसी की सजा सुनाई।

By Ashish MishraEdited By: Published: Sat, 30 Jul 2016 02:30 PM (IST)Updated: Sun, 31 Jul 2016 08:38 PM (IST)
श्रमजीवी एक्‍सप्रेस ब्‍लास्‍ट के आरोपी आलमगीर को फांसी की सजा

जौनपुर (जेएनएन) । लखनऊ-वाराणसी रेल खंड पर श्रमजीवी एक्सप्रेस में 28 जुलाई 2005 को हुए आतंकी विस्फोट में बांग्लादेशी मोहम्मद आलमगीर उर्फ रोनी को अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम बुधिराम यादव ने फांसी की सजा सुनाई। इस मामले में शुक्रवार को अदालत ने रोनी को दोषी करार दिया था। इसी मामले के दूसरे आरोपी ओबैदुर्रहमान पर फैसला दो अगस्त को होगा।

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श्रमजीवी विस्फोट कांड में बांग्लादेश का आलमगीर दोषी, सजा कल

इससे पूर्व दोनों आरोपियों को शुक्रवार की दोपहर 12 बजे अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम बुधिराम यादव की अदालत में पेश किया गया था जहां आलमगीर उर्फ रोनी को दोषी ठहराते हुए दोष सिद्ध करने का आधार बताया। रोनी पर हत्या, हत्या के प्रयास, षड्यंत्र, गंभीर चोट पहुंचाने, फारेनर्स एक्ट, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम व रेलवे अधिनियम का मामला दर्ज है। यह वारदात लखनऊ-वाराणसी रेल प्रखंड पर हरिहरपुर रेलवे क्रासिंग के पास हुई थी, जिसमें 12 लोगों की मौत हो गई थी, तथा 60 घायल हो गए थे। घटना की प्राथमिकी ट्रेन के गार्ड जफर अली ने जीआरपी थाना में दर्ज कराया था।

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मुख्य अभियुक्त रोनी के मामले में 53 तथा ओबैदुर्रहमान के मामले में 46 गवाह परीक्षित हुए थे। विवेचना के दौरान ही यह बात सामने आई थी कि आरोपी रोनी को जीआरपी वाराणसी के दो सिपाही सुरेश और श्यामजी ने विस्फोट वाले दिन वाराणसी जंक्शन के प्लेटफार्म नं.9 पर विस्फोट वाले डिब्बे में घबराहट की दशा में झांकते हुए देखा था। उन दोनों ने इसकी कोर्ट में सुनवाई के दौरान शिनाख्त भी किया था।

अदालत में रही सुरक्षा : महत्वपूर्ण फैसले को देखते हुए पुलिस और प्रशासन ने अदातल परिसर में अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था की तैयारियां की थीं। डाग स्क्वायड सहित सुरक्षा के कई स्तर भी बनाए गए थे। अदालत परिसर को चारों ओर से सुरक्षा बंदिशों में जकडने के साथ हर आने जाने वाले पर विशेष निगाह भी रखी जा रही थी।

दोनों आरोपी बांग्लादेशी : श्रमजीवी विस्फोट के दोनों आरोपी बांग्लादेश के निवासी हैं। दोषी करार मो.रोनी रानीनगर, बुआलिया, राजशाही बांग्लादेश तथा ओबैदुर्रहमान कलियानी बगुरा बांग्लादेश के रहने वाले हैं।

लश्कर-ए-तैयबा व हूजी आतंकी संगठन का नाम : दिल्ली की स्पेशल सेल द्वारा 26 फरवरी 2006 को गिरफ्तार किए गए बांग्लादेश निवासी अनीसुल व मुहीबुल मुस्तकीम, जो कि जुड़वा भाई हैं। दोनों ने तिहाड़ जेल में एसीपी संजीव के समक्ष बयान दिया था कि वे आतंकी संगठन हूजी से जुड़े हैं तथा बांग्लादेश में हूजी के कमांडर मो.रउफ ने मदरसा में ट्रेनिंग दिया। याहिया लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था। श्रमजीवी विस्फोट कांड की योजना राजशाही बांग्लादेश में हूजी के डा.सईद और याहिया ने बनाई थी। योजना के अनुसार हूजी के ही हिलाल व रोनी को बम रखना था। याहिया श्रमजीवी विस्फोट में आरोपी था, जिसे मुठभेड़ में पहले ही मारा जा चुका है।

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श्रमजीवी विस्फोट के कुछ महत्वपूर्ण पहलू

  • विस्फोट कांड में मृतक अमरनाथ चौबे व घायल मदनलाल सेठ ; उनका पुत्र शिवम सेठ ; गोरखनाथ निषाद ; रितेश उर्फ मोनू गुप्ता ; विष्णुसेठ जौनपुर जिले के रहने वाले हैं।
  • ओबेदुर्रहमान का इस विस्फोट कांड मे हाथ होने का खुलासा वाराणसी के आतंकी अब्दुल्ला ने कलकत्ता डिटेक्टिव टीम के समक्ष गिरफ्तारी के दौरान किया था । -आरोपी ओबेदुर्रहमान उस वक्त फारेनर्स एक्ट के तहत 23/1/2006 को गिरफ्तार होकर मुर्शिदाबाद पं० बंगाल की बहरामपुर जेल में निरूद्घ था । आरोपी का बयान विवेचक ने लिया जिसमें अन्य आरोपियों के नाम का खुलासा हुआ । आरोपी 9/5/2006 को जरिये वारंट बी लाया गया जौनपुर ।
  • दिल्ली की स्पेशल सेल द्वारा 26/2/2006 को गिरफ्तार हूजी के आतंकी बांग्लादेशी जुड़वा भाईयों अनीसुल व मुहीबुल ने 4/4/2006 को ए सी पी संजीव के समक्ष बयान दिया था कि बांग्लादेश के राजशाही में डाक्टर सईद व याहिया ने जुलाई 2005 में हिन्दुस्तान में ट्रेन में बम विस्फोट कराने की योजना बनाई थी. योजना के अनुसार शरीफ उर्फ कंचन को 'टारगेट की रेकी ' का काम सौंपा गया जबकि हिलाल व रोनी को ट्रेन में बम रखने का जिम्मा सौंपा गया । बाकी आरोपी सहयोग में थे । सभी पं० बंगाल से सटी पद्मा नदी पार कर भारत में प्रवेश किये । पटना के लोकल मार्केट से बम बनाने का सामान खरीदकर खुशरूपुर रेलवे स्टेशन पर बम बनाकर श्रमजीवी ट्रेन में रखा गया जिसमें बाद में विस्फोट हुआ ।
  • विस्फोट में विस्फोटक पदार्थ की अवयव जांच में आरडीएक्स अमोनियम नाइट्रेट व फ्यूल ऑयल का मिश्रण होना पाया गया । इसके अलावा वहां क्षतिग्रस्त टेबल घड़ी व सूटकेस के एल्यूमीनियम के टुकड़े मिले थे.
  • आरोपियों ने श्रमजीवी विस्फोट कांड के बाद सबूत मिटाने के लिए पटना के मियाँ टोला में तीन मंजिला मकान 15/9/2005 को बम से उड़ा दिया था । इसी मकान में स्थित दुकान से बम बनाने का सामान खरीदा गया था ।
  • आरोपी हिलाल व नफीकुल हत्या के एक अन्य मुकदमे में 17/11/2005 को हैदराबाद में गिरफ्तार हुए। विस्फोट कांड में इनका हाथ होने का खुलासा होने पर दोनों को 23 मई को जरिए वारंट बी जौनपुर लाया गया था।
-आरोपी रोनी उर्फ आलमगीर 16/10/2006 को देशद्रोह के दूसरे मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया । इस कांड में नाम आने पर 13/8/2007 को जरिये वारंट बी जौनपुर लाया गया था ।

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