मुख्यमंत्री से शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड भंग करने की सिफारिश
अल्पसंख्यक कल्याण, मुस्लिम वक्फ एवं हज मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड को भंग करने के लिए मुख्यमंत्री से सिफारिश कर दी है।
लखनऊ (जेएनएन)। अल्पसंख्यक कल्याण, मुस्लिम वक्फ एवं हज मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड को भंग करने के लिए मुख्यमंत्री से सिफारिश कर दी है। दोनों बोर्ड पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। यहां तक कि सेंट्रल वक्फ कौंसिल ने भी सरकार से दोनों बोर्ड को तत्काल भंग किए जाने की अपेक्षा की है। चौधरी लक्ष्मी नारायण ने बताया कि दोनों बोर्ड के नामित सदस्य हटा दिए गए हैं। दोनों बोर्ड पर घोटालों के गंभीर आरोप हैं।
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मंत्री ने यह माना है कि प्राथमिक जांच में बोर्ड के घोटाले सिद्ध हो रहे हैं। गुरुवार की शाम मुख्यमंत्री गोरखपुर और बिहार की यात्रा से वापस लौट आए हैं। माना जा रहा है कि दोनों बोर्ड भंग किए जाने का जल्द ही आदेश जारी हो जाएगा। ध्यान रहे कि सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सदस्य एजाज रिजवी ने अप्रैल में शिया वक्फ बोर्ड के भ्रष्टाचार पर 36 पेज और सुन्नी बोर्ड के भ्रष्टाचार पर 41 पेज की रिपोर्ट शासन को सौंपी थी। इस रिपोर्ट में यह कहा गया था कि सुन्नी वक्फ बोर्ड की एक लाख 50 हजार संपत्तियां थीं जो घटकर एक लाख 30 हजार हो गईं। मगर निरीक्षण में सिर्फ 32 हजार पायी गईं। बाकी सब पर अवैध रूप से कब्जा हो गया।
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सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 12 वर्ष से संपत्तियों का सर्वे नहीं कराया। सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारुकी ने चार साल में 90 करोड़ रुपये की संपत्ति बनाई है जबकि उन्हें कोई मासिक वेतन भी नहीं मिलता है। ऐसे ही शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी पर मुंबई का इमामबाड़ा बेचने से लेकर वक्फ संपत्तियों को खुर्द-बुर्द करने का आरोप था। जांच रिपोर्ट में कहा गया था कि शिया वक्फ बोर्ड की प्रदेश में आठ हजार संपत्तियां थी जो घटकर तीन हजार हो गईं। पांच हजार संपत्तियों पर अवैध कब्जा करा दिया गया और मोटी उगाही की गई।
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सेंट्रल वक्फ कौंसिल के सदस्य ने सुझाव दिया था कि वक्फ संपत्तियों पर प्रदेश सरकार श्वेत पत्र जारी करे और आयोग गठित कर पूरे मामले की जांच कराए। नियमों के विपरीत मुतवल्लियों की नियुक्ति रद्द की जाए और पूरे मामले की सीबीआइ जांच कराई जाए। इस संस्तुति पर केन्द्रीय अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी राज्य सरकार को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा था।