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शहरी नक्सलिज्म के खिलाफ अभाविप का शंखनाद

अभाविप की दलील है कि सभी सरकारें शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग कम देती हैं। मांग है कि कान्वेंट और धार्मिक अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं में भी सबको शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए।

By Ashish MishraEdited By: Published: Mon, 29 May 2017 08:01 PM (IST)Updated: Mon, 29 May 2017 08:04 PM (IST)
शहरी नक्सलिज्म के खिलाफ अभाविप का शंखनाद
शहरी नक्सलिज्म के खिलाफ अभाविप का शंखनाद

लखनऊ (जेएनएन)। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) ने शहरी नक्सलिज्म के खिलाफ शंखनाद किया है। खासतौर पर विश्वविद्यालयों और प्रमुख संस्थाओं में बैठे शिक्षाविदों द्वारा युवाओं को गुमराह किए जाने के मामले पर आक्रामक रुख अख्तियार करते हुए अभाविप ने ऐसे लोगों को बर्खास्त करने की मांग की है।
बख्शी का तालाब स्थित एसआर इंजीनियरिंग कालेज में सोमवार को अभाविप की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद के उद्घाटन सत्र में ये बातें उभरकर आईं।

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अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष नागेश ठाकुर, महामंत्री विनय बिद्रे व राष्ट्रीय संगठन महामंत्री सुनील आम्बेकर ने राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद की तीन दिवसीय बैठक का उद्घाटन किया। ठाकुर ने देश के मौजूदा हालात पर चर्चा शुरू की। कई राज्यों में नक्सलवाद की समस्या को उठाते हुए कहा, विश्वविद्यालयों के कुछ प्रोफेसर युवाओं को गुमराह कर रहे हैं। छत्तीसगढ़, दिल्ली विश्वविद्यालय के कई प्रोफेसरों का सीधे नाम लेकर ठाकुर और बिद्रे ने कहा कि अभाविप ने ऐसे लोगों को चिह्नित किया है।

यही लोग युवाओं के दिलों में जहर भर रहे हैं। उद्घाटन सत्र में युवाओं की भूमिका, पर्यावरण, पानी संरक्षण जैसे कई मसलों पर प्रेरित करते हुए ठाकुर ने कहा, उत्तर प्रदेश में अभाविप के विस्तार की प्रक्रिया चल रही है। लिंगदोह कमेटी के सुझाव के अनुरूप छात्रसंघ चुनाव के लिए सरकार से मांग की गई है।बाद में पत्रकारों से बातचीत में भी अध्यक्ष और महामंत्री ने कहा कि 23 नवंबर, 2016 को अखिलेश सरकार के समय अभाविप ने प्रदर्शन किया था और उस समय जो 35 मांगें रखी थी, उन्हीं को योगी सरकार के भी सामने रखा है। सबको शिक्षा, समान पाठ्यक्रम पर अभाविप का जोर है।

अभाविप की दलील है कि सभी सरकारें शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग कम देती हैं। मांग है कि कान्वेंट और धार्मिक अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं में भी सबको शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए। रोहित वेमुला की मौत के मामले में अभाविप की किसी भूमिका से इन्कार करते हुए इसके लिए दूसरे संगठनों को जिम्मेदार ठहराया। नागेश ठाकुर ने कहा कि शिक्षा, सामाजिक कुरीतियों और अन्याय के निराकरण के लिए लोग परिषद की ओर आशा भरी नजरों से देख रहे हैं।

ठाकुर ने बताया कि तीन दिन तक चलने वाली बैठक में यूजीसी की भूमिका, नक्सलवाद को बढ़ावा देने वाले तथाकथित शहरी बुद्धिजीवी, मेडिकल शिक्षा, पश्चिम बंगाल और केरल में राजनीतिक हिंसा, उप्र की वर्तमान स्थिति और जीएसटी बिल पर भी चर्चा होगी। शिक्षा के व्यवसायीकरण का पुरजोर विरोध करते हुए अपनी कार्ययोजना बताई। विनय बिद्रे ने कहा कि परिसरों में देश विरोधी तत्व शैक्षिक योजना, नीति परिसरों में संघर्ष, संगठनात्मक विकास, संपर्क अभियान, कार्यक्रमों का विभिन्न स्तरों पर स्वरूप, मीडिया, सोशल मीडिया, छात्रसंघ चुनाव, प्रकाशन, अनुभूति, पर्यावरण और राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाएं एजेंडे में शामिल हैं।

तमिलनाडु में चलेगा विशेष अभियान
अभाविप की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में यूं तो कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई लेकिन, आने वाले दिनों में तमिलनाडु में विशेष अभियान चलेगा। अभाविप ने तय किया है कि तमिलनाडु हेतु विशेष विस्तारक योजना चलेगी। यहां देश व्यापी भगिनी निवेदिता सार्धशती विस्तारक (छात्राएं) योजना को प्रभावी गति दी जाएगी।

रांची में होगा 63वां राष्ट्रीय अधिवेशन
अभाविप ने शिक्षा, सामाजिक, राष्ट्रीय सुरक्षा एवं छात्र-युवाओं से जुड़े मुद्दों पर प्रस्ताव आएंगे। राष्ट्रीय महामंत्री विनय बिद्रे के मुताबिक यह तय किया गया है कि 63वां राष्ट्रीय अधिवेशन झारखंड की राजधानी रांची में 24 से 26 नवंबर, 2017 तक चलेगा।
 


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