बुलंदशहर डीएम के साथ सेल्फी लेने में जेल गया युवक रिहा
प्रदेश के बुलंदशहर में एक युवक के बिना अनुमति के जिलाधिकारी बी. चंद्रकला के साथ सेल्फी पर जेल भेजे जाने का प्रकरण तूल पकड़ चुका है। इस मामले में बुलंदशहर की जिलाधिकारी बी. चंद्रकला के दावों की पोल खुलने लगी है।
लखनऊ। बुलंदशहर डीएम की सेल्फी लेने के प्रयास में जेल भेजे गए फराज की रिहाई आज सुबह हो गई। लेकिन उसकी रिहाई के बाद परिजनों के चेहरे पर जो खुशी होनी चाहिए थी, वह नहीं थी। पूरे गांव में एक खामोशी और सन्नाटा था। डीएम द्वारा गुरुवार सुबह जनमत संग्रह कान्फ्रेंस नुमा गोष्ठी में फराज के चाचा इरफान द्वारा सार्वजनिक तौर पर फराज के कृत्य पर अफसोस जताए जाने के बाद प्रशासन द्वारा घोषणा की गई थी कि उसे माफी दे दी गई है। इस बैठक में डीएम, एडीएम सहित कई लोग थे। इसके बाद माफी का एलान किया गया। फिर जिला जेल में रिहाई का परवाना भेजा गया। जेल के बाहर आने का समय सीमा खत्म होने के कारण उसे अगले दिन शुक्रवार को सुबह करीब सवा नौ बजे रिहा किया गया। निकलने के बाद फराज ने किसी से बात नहीं की। परिजनों में दहशत इस कदर थी कि करीब पौने दस बजे गांव पहुंचने के बाद उसे लंबे समय तक घर से बाहर नहीं निकलने दिया गया। दहशत का आलम देखिये कि आसपास के करीबी से बात हुई किसी ने बताया वह दिल्ली अपने रिश्तेदार के यहां गया है।
सोशल मीडिया पर आलोचना
सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय बुलंदशहर की डीएम बी. चंद्रकला के पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज कराने के बाद वर्चुअल दुनिया में उनकी आलोचना के स्वर उठ रहे हैं। डीएम के साथ सेल्फी लेने पर जेल भेजे गए युवक की खबर प्रकाशित करने के बाद प्रशासन ने दैनिक जागरण के पत्रकारों पर मुकदमा कायम करा दिया था। इसके बाद यह पूरा प्रकरण सोशल मीडिया पर चर्चित हुआ और प्रशासन के तानाशाही रवैये की लोग आलोचना कर रहे हैं। सोशल मीडिया के कई बुद्धिजीवी मंचों ने खुलकर बुलंदशहर प्रशासन की कार्रïवाई की निंदा की। कई ने तो यहां तक लिखा है कि लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी दांव पर है। बुलंदशहर चलो। बोलने की आजादी कोई छीन नहीं सकता। प्रेस की आजादी पर सिस्टम कुठाराघात करेगा तो आंदोलन होंंगे आदि।
मीडिया पर कुठाराघात की निंदा
सेल्फी मामले की खबर प्रकाशित करने पर पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज करने की भाकियू ने कड़े शब्दों में ङ्क्षनदा की है। प्रदेश सचिव मांगेराम त्यागी ने कहा कि बिना इजाजत सेल्फी लेने को सही नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन किसान मजदूरों की आवाज उठाने वाले मीडिया के खिलाफ मुकदमा भी उचित कदम नहीं है। मीडिया का काम खबर प्रकाशित करना है। पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज कराना प्रशासन की तानाशाही रवैया को दर्शाता है।
ऐसा अपरिचित भी नहीं था फराज
डीएम के साथ सेल्फी लेने के प्रकरण में सोशल साइट्स पर एक फोटो वायरल हो रहा है, जिसमें फराज डीएम के साथ फोटो खिंचा रहा है। जागरण इस फोटो की प्रामाणिकता का दावा नहीं कर रहा है, लेकिन गौरतलब है कि प्रशासन के दबाव में आने से पहले फराज के परिजनों ने कहा भी था कि फराज इससे पहले भी डीएम के साथ कई फोटो खिंचा चुका है। दसअसल, फराज कमालपुर गांव का रहने वाला है और कलक्ट्रेट सभागार में गुरुवार को आयोजित बैठक में डीएम यह कह रही हैं कि हाल में उन्होंने इस गांव को गोद लिया है। कमालपुर गांव के प्रधान से फराज की निकटता है और अक्सर वह प्रधान के साथ कलक्ट्रेट जाता रहता है। संभव है इसी दौरान फराज ने फोटो ङ्क्षखचवाई हो। फराज के चाचा इरफान ने दिए ऑन रिकार्ड बयान में बताया कि फराज गांव के विकास को लेकर कलक्ट्रेट में होने वाली बैठक में भाग लेने प्रधान के साथ गया था। डीएम, प्रशासनिक अफसर एवं कमालपुर प्रधान के साथ बैठक जिसमें फराज भी सीट पाने में कामयाब रहा, संभवत: वह प्रशासनिक अमले से ऐसा अपरिचित भी नहीं था। डीएम ने गुरुवार को गोष्ठी में कहा है कि फराज को फोटो लेता देख जब प्रधान से पूछा गया कि उनकी फोटो लेने वाला युवक उनका परिचित है? क्या उनके साथ आया है? तो प्रधान ने इंकार कर दिया। फराज के चाचा इरफान ने पूर्व दिए बयान में बताया था कि फराज प्रधान के साथ गया था। दोनों बातें विरोधाभासी हैं। यह सवाल यह भी खड़ा होता है कि प्रशासनिक अधिकारियों की की बैठक में कोई युवक पहुंच कैसे गया? डीएम कार्यालय पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था होती है, फिर उसे भेदकर वह बैठक में कैसे पहुंच गया।