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बेटे के सियासी भविष्य के लिए रीता बहुगुणा ने थामा भाजपा का दामन

कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामने वाली पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी को अपने बेटे मयंक के सियासी भविष्य की चिंता भाजपा के दर तक ले पहुंची।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 20 Oct 2016 08:40 PM (IST)Updated: Fri, 21 Oct 2016 06:39 PM (IST)
बेटे के सियासी भविष्य के लिए रीता बहुगुणा ने थामा भाजपा का दामन

लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। कांग्रेस को झटका देकर भाजपा का दामन थामने वाली पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी भले ही पार्टी में अपनी उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाएं लेकिन 24 वर्ष बाद बड़ा उलटफेर करने की कई अन्य वजह बतायी जा रही हैं। इसमें अपने बेटे मयंक के सियासी भविष्य को संवारने की मंशा भी है।

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रीता बहुगुणा जोशी ने भी छोड़ी कांग्रेस, भाजपा में शामिल

लखनऊ कैंट सीट से विधायक रीता के पुत्र मयंक जोशी ही उनके विधानसभा क्षेत्र का कामकाज संभालते रहे हैं। मयंक की अपनी सियासी महत्वकांक्षाएं हैं। आज दिल्ली में रीता ने कार्यकर्ताओं के बगैर ही केवल मयंक के साथ केसरिया बाना धारण किया। 67 वर्षीया रीता वर्ष 1991 से चुनावी राजनीति में शामिल रही हैं। समाजवादी सोच से प्रभावित रही रीता चार बार लोकसभा चुनावों में भाग्य आजमा चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की पुत्री रीता इलाहाबाद में नगर निगम की महापौर रहीं और 2012 में विधायक निर्वाचित हुईं। रीता के भाई विजय बहुगुणा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। रीता की मां कमला बहुगुणा भी सांसद रही हैं।

तस्वीरों में देखें-रीता बहुगुणा के बदलते राजनीति चेहरे

परिवार की सियासी परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए मयंक जोशी मैदान में हैं। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति में सुधार नहीं होते मान कर ही मयंक की भाजपा में एंट्री करायी गयी है। माना जा रहा है कि कैंट क्षेत्र से सपा द्वारा राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह की छोटी बहू अर्पणा को प्रत्याशी बनाने के बाद से रीता असहज महसूस कर रही थीं। वह कैंट से भाजपा के टिकट पर मयंक को चुनाव लड़ाना चाह रही हैं।

पढ़ें- राहुल गांधी के घटिया बयान कारण छोड़ी कांग्रेस : रीता बहुगुणा

अब क्षेत्रीय स्तर पर दलबदल

रीता द्वारा कांग्रेस के साथ विधानसभा से भी इस्तीफा देने के बाद अब उनके समर्थकों को भाजपा में शामिल कराने का दौर चलेगा। रीता के नजदीकी रहे हिमांशु का कहना है कि लखनऊ कैंट से कांग्रेस साफ हो जाएगी। दूसरी ओर कांग्रेस कम्युनिकेशन विभाग के सह संयोजक वीरेंद्र मदान का दावा है कि इस बगावत का पार्टी पर कोई प्रभाव न पड़ेगा, ऐसा होता तो रीता जोशी अकेले अपने पुत्र के साथ भाजपा में शामिल नहीं होतीं।

रीता बहुगुणा के दलबदल से कांग्रेस का सांप्रदायिक चेहरा बेनकाबः आजम

रीता बहुगुणा जोशी का सफरनामा

कांग्रेस छोड़ भाजपा में आईं डा.रीता बहुगुणा जोशी प्रदेश के प्रमुख सियासी परिवार से हैं। पिता हेमवती नंदन बहुगुणा प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और मां कमला बहुगुणा सांसद। भाई विजय बहुगुणा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में भाजपा में ही हैं।

  • 22 जुलाई 1949 को पैदा हुईं रीता जोशी इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में इतिहास की प्रोफेसर रह चुकी हैं।
  • पति पीसी जोशी मैकेनिकल इंजीनियर पब्लिक सेक्टर की एक कंपनी के जीएम पद से सेवानिवृत्त हैं।
  • रीता बहुगुणा 1995 से 2000 तक इलाहाबाद मेयर रहीं। मेयर चुनाव सपा समर्थन से निर्दलीय लड़ा।
  • 2003 से लेकर 2008 तक वह ऑल इंडिया महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं।
  • 2007 से लेकर 2012 तक उन्होंने उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाला।
  • वह राष्ट्रीय महिला कांग्रेस की उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं।
  • 1991-92 में उन्होंने स्थानीय निकायों में महिलाओं के आरक्षण का मुद्दा उठाया था।
  • राजनीतिक जीवन में उन्होंने दो बार लोकसभा चुनाव भी लड़ा लेकिन जीत नहीं सकीं।
  • 1998 में सपा टिकट पर सुलतानपुर से और 2014 में कांग्रेस से लखनऊ से चुनाव लड़ा था।
  • 2012 में उन्होंने लखनऊ कैंट से विधानसभा चुनाव जीता।
  • कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रहते 2009 में उन्हें मायावती के खिलाफ टिप्पणी के बाद जेल जाना पड़ा।
  • इस दौरान बसपा समर्थकों ने उनका घर फूंक दिया था।
  • रीता के एक भाई शेखर बहुगुणा भी सियासत में हैं हालांकि वह कभी चुनाव नहीं जीत सके।

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