आयकर के भय से अमीर गरीबों के लिए खोल रहे अपना खजाना
नोटबंदी के बाद बैैंकों में मोटा पैसा तो जमा कर दिया लेकिन, यह लंबी-चौड़ी रकम बहीखातों में एडजस्ट नहीं हो पा रही है। इसीलिए अब उनकी नजर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में है।
लखनऊ [अमित मिश्र]। वो कहावत है न कि भागते भूत की लंगोटी भली, उसी तर्ज पर काले धन के जमाखोर भी अब जो मिल जाए या जो बच जाए, उतने में ही तसल्ली करने को तैयार हैैं। आयकर के दफ्तरों में इन दिनों महंगी एसी गाडिय़ों से पसीना पोंछते उतर रहे भारी-भरकम सेठ लोग भी ऐसी ही फरियाद लेकर पहुंच रहे हैैं। नोटबंदी के बाद उन्होंने बैैंकों में मोटा पैसा तो जमा कर दिया लेकिन, खातों में जमा यह लंबी-चौड़ी रकम बहीखातों में एडजस्ट ही नहीं हो पा रही है। इसीलिए उनकी कोशिश अब प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में फिट होने की है।
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नोटबंदी के बाद पहले पहल यही माना जा रहा था कि बड़ी मात्रा में काला धन अपने आप चलन से बाहर होकर कागज के टुकड़ों में बदल जाएगा। बैैंकों में पैसा जमा होना शुरू हुआ तो कमोबेश उतनी रकम वापस आ गई, जितने के हजार व पांच सौ रुपये के नोट चलन में थे। इससे एकबारगी तो संदेश निकला कि नोटबंदी की मंशा विफल हो गई या काला धन बैैंकों में आने के बाद अब शायद काला नहीं रहा लेकिन, अब जैसे-जैसे वित्तीय वर्ष की आखिरी तारीख यानी 31 मार्च नजदीक आ रही है, काले धन का रंग और गाढ़ा होकर साफ पहचान में आने लगा है। आयकर के उपनिदेशक (जांच) जयनाथ वर्मा बताते हैैं कि बंद नोटों को बेकार होने से बचाने के लिए इन्हें बैैंकों में जमा करने वालों के लिए सबसे बड़ी चुनौती इस रकम का हिसाब देने की थी।
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इसके लिए काले धन वालों ने चार्टर्ड एकाउंटेंट के बताए सारे उपाय आजमाए लेकिन, फिर भी बुक्स में इतनी रकम को मानकों के अनुसार पैबस्त करना मुमकिन नहीं हुआ। अब वे परेशान हैैं कि क्या किया जाए। इसी में एक रास्ता तलाश किया गया प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का। काला धन बैैंकों में पहुंचाने वालों को पता है कि आज नहीं तो कल आयकर से उनके पास नोटिस आना तय है। तब क्या और कहां तक कार्रवाई होगी, इस आशंका ने उन्हें घर बैठकर इंतजार करने के बजाए आयकर विभाग की चौखट पर पहुंचा दिया है। आयकर अधिकारी वर्मा बताते हैैं कि फरवरी का आखिरी हफ्ता शुरू होने के साथ ही ऐसे लोगों के आवेदनों में तेजी आ गई है, जो 25 फीसद रकम गरीबों के कल्याण के लिए देकर तनाव और कार्रवाई के डर से मुक्त होना चाहते हैैं। आयकर विभाग को उम्मीद है कि 31 मार्च तक ऐसे मामलों की संख्या बढ़ेगी और इसके बेहतर परिणाम आएंगे।
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प्रदेश में 15 लोगों ने की रिक्वेस्ट
लखनऊ के एक आयकर छापे में फंसे एक बड़े प्रतिष्ठान के मालिक ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत अपना मामला देखे जाने का आग्रह किया है। लखनऊ से ऐसे तीन और कारोबारी इस योजना में शामिल होना चाहते हैैं, जबकि प्रदेश में अब तक इसके लिए इच्छा जताने वालों की संख्या करीब 15 है। हालांकि यह सभी आयकर की जांच और कार्रवाई के दायरे में हैैं और गरीबों के लिए रकम देकर बचना चाहते हैैं। आयकर अधिकारियों का मानना है कि अभी तो फंसे हुए लोग आए हैैं लेकिन, मार्च के आखिरी दिनों में स्वेच्छा से इस योजना में शामिल होने वालों की बड़ी संख्या सामने आएगी।
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