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शिक्षा में गुणवत्ता की कमी पर मंथन कर सुधार का संकल्प

उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा, वर्तमान एवं भविष्य विषय पर आयोजित दैनिक जागरण के कुलपति फोरम में दिनभर मंथन चला।

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 27 Sep 2016 09:39 PM (IST)Updated: Tue, 27 Sep 2016 10:24 PM (IST)
शिक्षा में गुणवत्ता की कमी पर मंथन कर सुधार का संकल्प

लखनऊ (आलोक त्रिपाठी)। उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा, वर्तमान एवं भविष्य विषय पर आयोजित दैनिक जागरण के कुलपति फोरम में दिनभर मंथन चला। राज्यपाल राम नाईक, मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावडेकर, केंद्रीय उच्च शिक्षा राज्य मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय और विद्वान, मनीषी कुलपतियों ने जो राह दिखा उससे एक बात तो तय है कि उच्च शिक्षा में सुधार अब सबकी चिंता का विषय बन गया है। स्वाभाविक है कि यह चिंता ही उच्च शिक्षा के उत्थान की गाथा लिखेगी।

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जागरण कुलपति फोरम: शैक्षिक स्वायत्तता को बनेगी राष्ट्रीय नीति

काशी हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने अपने आधार भाषण से फोरम का जो खाका खींचा सभी विद्वान उससे सहमत नजर आए। डॉ त्रिपाठी ने संस्कार युक्त, राष्ट्रीयता से ओतप्रोत उच्च शिक्षा की वकालत की। उनका मामना है कि विद्यार्थी को आजीविका की चिंता नहीं होनी चाहिए। यदि ज्ञान है तो रास्ता बन ही जाएगा। उनका कहना था कि देश में नारी का सदियों से उच्च स्थान रहा है। हमारी संस्कृति में नारी नाम हमेशा पुरुषों से पहले लिया जाता रहा है। यह उनके प्रति हमारे आदर की मिसाल है। हर पुरुष की सफलता के पीछे कोई न कोई नारी जरूर होती है। इसलिए शिक्षा में भी महिलाओं की अग्र्रणी भूमिका होनी चाहिए। अच्छे नागरिक के निर्माण में विश्वविद्यालय की भूमिका विषय पर विचार व्यक्त करते हुए दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर के कुलपति प्रोफेसर अशोक कुमार ने कहा कि यह हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने उच्च शिक्षा में गुणवत्ता की कमी को उन्होंने खुले मन से स्वीकारा और सुधार के लिए कई आवश्यक कदम उठाने के सुझाव भी दिए। उन्होंने कहा कि आज कल शिक्षा का उद्देश्य जीविकोपार्जन हो गया है। यह नहीं होना चाहिए।

राज्यपाल राम नाईक ने डॉ त्रिपाठी और प्रोफेसर अशोक कुमार द्वारा उठाए गए विषयों से सहमति जताई और कहा कि वह कुलाधिपति होने के नाते कुलपतियों की हर संभव मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में सुधार का जिम्मा भी कुलपतियों और शिक्षकों का ही है। राज्यपाल ने कहा कि उच्च शिक्षा के लिए मिलने वाला धन बहुत कम है। सरकार को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए।

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के प्रोफेसर एनके तनेजा ने 'उच्च शिक्षा में शोधÓ विषय पर सार गर्भित व्याख्यान दिया। उन्होंने ने शोध में गुणवत्ता की कमी को स्वीकारा और कहा कि शोधार्थी प्राय: इस ओर पर्याप्त समय नहीं देते। ऐसा नहीं है कि हम अच्छे शोध नहीं कर रहे, लेकिन इसमें सुधार की अभी काफी संभावनाएं बाकी हैं। 'विश्वविद्यालय परिसरों में अनुशासनÓ विषय पर व्याख्यान देते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति जमीर उद्दीन शाह ने कहा कि अनुशासन के बिना कोई छात्र अच्छा इंसान नहीं बन सकता है। इसलिए जरूरी है कि छात्रों को अनुशासन का पाठ ठीक से पढ़ाया जाए। यह तभी संभव है जब शिक्षक भी अनुशासित हों। उन्होंने शिक्षकों को छात्रों के साथ अभिभावक जैसे संबंध बनाने की नसीहत देते हुए कहा कि हमें छात्रों के दुख-दर्द और समस्याओं से भी वाकिफ होना चाहिए, तभी बेहतर तालमेल बन पाएगा। उन्होंने छात्र राजनीति की तो हिमायत की, किंतु अपराधियों को इससे दूर रखने के लिए सतर्क रहने की सलाह भी दी। उन्होंने कहाकि शिक्षकों को धर्म-जाति के मसलों से दूर रहना चाहिए, लेकिन प्राय: ऐसा होता नहीं।

केंद्रीय उच्च शिक्षा राज्य मंत्री महेंद्रनाथ पांडेय ने कहा कि जो विषय कुलपतियों ने उठाए हैं, उनमें कई सरकार के संज्ञान में हैं और उनमें सुधार के प्रयास हो रहे हैं। जो नए विषय सामने आए हैं, उन पर भी विचार किया जाएगा। उन्होंने वित्त विहीन शिक्षकों की समस्याओं पर चिंता व्यक्त की और उनकी समस्याओं के समाधान का आश्वासन भी दिया। वहीं ऐसे विद्यालयों के शिक्षा में प्रसार की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि सरकार संस्थानों में प्रतिस्पर्धा चाहती है, ताकि शिक्षा में गुणवत्ता आए।

राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एमपी दुबे ने कहा कि अच्छी शिक्षा न दे पाने के लिए कहीं न कहीं हम सब दोषी हैं। शिक्षकों को अपनी भूमिका और गंभीरता से निभानी होगी। अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक ने कहा कि शिक्षकों को भी समय-समय पर प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। अभी इसका अभाव है। पुराने शिक्षक नई तकनीक और सूचनाओं से अपडेट रहें यह जरूरी है।

केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि शिक्षकों का अनुशासित होना बहुत जरूरी है। शिक्षक अनुशासित होंगे, तो छात्र भी अनुशासित रहेंगे। उन्होंने कहा कि तकनीक देश में क्रांति ला रही है। इससे शिक्षा क्षेत्र में भी बड़े बदलाव आ रहे हैं। सरकार इस दिशा में तेजी से काम कर रही है। सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में वाई-फाई सुविधा दी जा रही है। राज्य के विश्वविद्यालयों में भी यह सुविधा शीघ्र मिलेगी। केंद्रीय मंत्री के कहा कि छोटे-छोटे प्रयासों से भी बड़े बदलाव आते हैं, लेकिन प्रयास करने के लिए हमें आगे तो आना ही होगा।


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