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22 सितंबर को मायावती का घमंड तोड़ देंगे स्वामी प्रसाद

स्वामी प्रसाद मौर्य बसपा के विरोधियों को जोडऩे का मंच तैयार करेंगे। स्वामी प्रसाद ने बसपा से नाता तोडऩे के बाद आज लखनऊ में अपने समर्थकों के साथ बैठक की।

By Ashish MishraEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2016 08:59 AM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2016 08:43 PM (IST)
22 सितंबर को मायावती का घमंड तोड़ देंगे स्वामी प्रसाद

लखनऊ (राज्य ब्यूरो )। बसपा से बगावत करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने शुक्रवार को समर्थकों की अच्छी खासी भीड़ भले ही जुटा ली परन्तु कोई निर्णायक कदम उठाने की हिम्मत न जुटा सकें। नया दल बनाएं अथवा किसी पार्टी का दामन थामे, यह फैसला जनमत संग्रह के जरिए होगा। अलबत्ता बसपा प्रमुख मायावती का घमंड तोडऩे के लिए 22 सितंबर को लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर मैदान में महारैली करेंगे और उनके भ्रष्ट कारनामों का कच्चा चिट्ठा जारी करेंगे। रमाबाई मैदान भीड़ से भरने को बसपा अपना एकाधिकार मानती है।लखनऊ में एकत्रित कार्यकर्ताओं को मौर्य ने बसपा छोडऩे का कारण बताते हुए स्वयं पर लगे आरोपों की सफाई दी। अपने अपमान को पिछड़े वर्ग व सामाजिक परिर्वतन चाहने वालों के सम्मान से जोड़ते हुए मायावती के खिलाफ बिगुल फूंका।

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भ्रष्टाचार की देवी, महागद्दार की नानी

22 जून को बसपा से बगावत करने वाले स्वामी ने अपने करीब डेढ़ घंटे के संबोधन में दो-तिहाई समय मायावती को कोसने में लगाया और लाखों करोड़ रुपये डकारकर विजय माल्या की तरह देश छोड़कर विदेश भागने की आशंका जतायी। मायावती से पूछा कि 2012 में सरकार से अलग होने के बाद आपकी फैमिली की 50 कंपनियों में 2000 करोड़ रुपये आय कैसे हो गयी? इसके लिए श्वेतपत्र जारी करने की मांग भी की। कहा कि जिसे देवी समझते थे वह भ्रष्टाचार में डूबी है। प्रदेश में रेप, मर्डर, गरीबों की जमीनों पर कब्जे व अत्याचार चल रहा है परन्तु इस देवी को कोई चिंता नहीं? उनको केवल पैसे की हवस है। बसपा में नेता नहीं कलेक्शन अमीन चाहिए। प्रत्येक जोनल कोआर्डिनेटर कलेक्शन अमीन की तरह ऐसे लोग खोजते हैं जो मोटी रकम दे टिकट लें। मौर्य ने स्वयं को गद्दार कहे जाने का मंच से जवाब देते हुए कहा, 'गद्दार मैं नहीं, मायावती ही महागद्दार की नानी है।

दर्जनों मंत्री जेल हो आएं मैं बेदाग

अपनी सफाई देने का मौका भी स्वामी प्रसाद नहीं चूके। अपने त्यागपत्र देने की मजबूरी बतायी, कहा कि दो वर्ष पहले पडरौना से मेरा टिकट न कटता अगर मेरे पास पैसे होते। मायावती ने पैसा मांगा तो मैंने कहा 'पैसे देकर स्वामी चुनाव नहीं लड़ता। स्वामी यही पर नहीं ठहरे, सफाई देते हुए बताया कि वह पांच बार मंत्री पद की शपथ ले चुके है और तीन बार नेता विरोधी दल रहते हुए सत्ता को मु_ी में दबाकर चलने का काम किया। 35 वर्ष के सार्वजनिक जीवन में अंगुली नहीं उठी। क्या मायावती चाहती हैं कि उनका भी काला चि_ा खोलूं? आपके दर्जनों मंत्री जेल हो आएं। स्वामी सूरज है, देखोगी तो भस्म हो जाओगी। हमारी धमनियों में बुद्ध के रक्त का संचार होता है, बाबा साहब का मिशन है, सिकंदर को हरा देने वाले चंद्रगुप्त मौर्य का रक्त और सम्राट अशोक के धम्म का इतिहास संचालित हो रहा है।

बसपा को बनाया बहुजन इस्टेट पार्टी

स्वामी प्रसाद ने मायावती पर कांशीराम के सपनों की बसपा को बहुजन इस्टेट पार्टी बना देने का आरोप लगाया और जिला पंचायत चुनाव व विधानसभा के टिकटों का दाम भी उजागर किया। जिला पंचायत में दो से पांच लाख व विधानसभा चुनाव में एक से दो करोड़ रुपये तक टिकट कीमत होना बताया। पैसा न मिलने पर कांशीराम के सिपाही रहें भगवती प्रसाद के अलावा आरके चौधरी, राजाराम व अब्दुल मन्नान जैसे नाम भी गिनाएं।

पिछड़ों का समीकरण बिगाड़ा

मौर्य ने बताया कि पिछड़ों की आबादी 54 फीसद है पर टिकट 20-30 प्रतिशत ही दिए गए। जिनकी आबादी सिर्फ साढ़े 4 फीसद है, उनको 130-140 टिकट देने का काम हो रहा है। कांशीराम के रहते पिछड़ों को छह प्रतिशत हिस्सा अधिक मिलता था। जिला संगठन में अध्यक्ष पिछड़े वर्ग का होता था तो महासचिव दलित बनता था। मौर्य ने दावा किया कि उनके इस्तीफे के बाद मायावती को बैकफुट पर आना पड़ा है अब बर्खास्त किए विधायकों को खुशामंद कर मानया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कई दर्जन विधायक उनसे संपर्क बनाए है लेकिन अभी पत्ते नहीं खोलूंगा।

दो दर्जन पूर्व विधायक व प्रमुख नेता जुटे

मौर्य के समर्थन में बसपा के दो दर्जन से ज्यादा पूर्व विधायक व प्रमुख नेताओं का सम्मेलन में जुटने का दावा किया। इसमें पूर्व मंत्री भगवती प्रसाद, दद्दू प्रसाद, सीताराम वर्मा, परमेश्वरी सैनी, अजय यादव, लोकेश प्रजापति, विनोद हरित, संजय गोस्वामी, रविंद्र त्रिपाठी, सीताराम वर्मा व समय सिंह सैनी के अलावा विधायक उदयलाल मौर्य प्रमुख थे।

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