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भाजपा का बड़ा दलित चेहरा हैं एनडीए राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तथा पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के समकालीन रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेश में भाजपा के सबसे बड़े दलित चेहरा माने जाते रहे हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 19 Jun 2017 02:56 PM (IST)Updated: Tue, 20 Jun 2017 10:47 AM (IST)
भाजपा का बड़ा दलित चेहरा हैं एनडीए राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद
भाजपा का बड़ा दलित चेहरा हैं एनडीए राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद

लखनऊ (जेएनएन)।एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार तथा बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद भारतीय जनता पार्टी के बड़ा दलित चेहरा हैं। माना जा रहा है कि रामनाथ कोविंद ही देश के 14वें राष्ट्रपति होंगे।

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सरल और सौम्य रामनाथ कोविंद का कानपुर से गहरा रिश्ता है। रामनाथ कोविंद कोरी या कोली जाति से है जो उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति के अंतर्गत आती है। रामनाथ कोविंद ने आठ अगस्त 2015 से बिहार के राज्यपाल के पद की शपथ ली थी। 

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तथा पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के समकालीन रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेश में भाजपा के सबसे बड़े दलित चेहरा माने जाते रहे हैं। राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद भले ही इस समय वह बिहार के राज्यपाल हों लेकिन कानपुर से लगातार उनका जुड़ाव रहा है। यही कारण है कि वह समय-समय पर उत्तर प्रदेश का दौरा करते रहे हैं।रामनाथ कोविंद कोरी या कोली जाति से है जो उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति के अंतर्गत आती है।

रामनाथ कोविंद का जन्म कानपुर देहात की डेरापुर तहसील के गांव परौंख में 1945 में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा संदलपुर ब्लाक के ग्राम खानपुर परिषदीय प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय हुई। कानपुर नगर के बीएनएसडी इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद डीएवी कॉलेज से बी कॉम व डीएवी लॉ कालेज से विधि स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद दिल्ली में रहकर तीसरे प्रयास में आईएएस की परीक्षा पास की, लेकिन मुख्य सेवा के बजाय एलायड सेवा में चयन होने पर नौकरी ठुकरा दी। कोविंद जी  कल्यानपुर, कानपुर के न्यू आजाद नगर मकान में 1990 से 2000 तक किराये पर रहे। 

आपातकाल के बाद जून 1975 में उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में वकालत से कॅरियर की शुरुआत की। 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद रामनाथ कोविंद तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई के निजी सचिव बने। इसके बाद वे भाजपा नेतृत्व के संपर्क में आए। कोविंद को पार्टी ने 1990 में घाटमपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया लेकिन वह चुनाव हार गए। 

वर्ष 1993 व 1999 में पार्टी ने उन्हें प्रदेश से दो बार राज्यसभा में भेजा। पार्टी के लिए दलित चेहरा बन गये कोविंद अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रवक्ता भी रहे। घाटमपुर से चुनाव लडऩे के बाद रामनाथ कोविंद लगातार क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं से संपर्क में रहे।

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वर्ष 2007 में पार्टी ने रामनाथ कोविंद प्रदेश की राजनीति में सक्रिय करने के लिए भोगनीपुर सीट से चुनाव लड़ाया, लेकिन वह यह चुनाव भी हार गए। रामनाथ कोविंद इससे पहले प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी के साथ महामंत्री रह चुके हैं। अगस्त 2015 में बिहार के राज्यपाल के तौर पर भी उनके नाम की घोषणा अचानक ही हुई थी।

कोविंद लगातार 12 वर्षों तक राज्यसभा सांसद रहे। वह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहे हैं। बीजेपी दलित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अखिल भारतीय कोली समाज अध्यक्ष भी रहे। वर्ष 1986 में दलित वर्ग के कानूनी सहायता ब्यूरो के महामंत्री भी रह चुके हैं।

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आईएएस परीक्षा में तीसरे प्रयास में मिली थी सफलता

रामनाथ कोविंद की प्रारंभिक शिक्षा संदलपुर ब्लाक के ग्राम खानपुर परिषदीय प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय हुई। कानपुर नगर के बीएनएसडी से इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद डीेएवी कॉलेज से बी कॉॅम व डीएवी लॉ कालेज से विधि स्नातक की पढ़ाई पूरी की।

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इसके बाद दिल्ली में रहकर आईएएस की परीक्षा तीसरे प्रयास में पास की। मुख्य सेवा के बजाय एलायड सेवा में चयन होने पर नौकरी ठुकरा दी। जून 1975 में आपातकाल के बाद जनता पार्टी की सरकार बनने पर वे वित्त मंत्री मोरारजी देसाई के निजी सचिव रहे थे। जनता पार्टी की सरकार में सुप्रीम कोर्ट के जूनियर काउंसलर के पद पर कार्य किया।

मकान को बारातशाला के रूप में किया दान

बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं। परौख गांव में कोविद अपना पैतृक मकान बारातशाला के रूप में दान कर चुके हैं। बड़े भाई प्यारेलाल व स्वर्गीय शिवबालक राम हैं। इनके एक भाई झींझक कस्बे में ज्वेलरी की दुकान चलाते हैं। एक भाई गुना (मप्र) में है।


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