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उत्तर प्रदेश में 'टॉपर्स' तय करने वाले प्रोफेसर 'अनपढ़ '

बिहार एजूकेशन बोर्ड के टॉपर्स की सच्चाई आने के बाद वह जेल में हैं। वहीं ताजनगरी आगरा के अंबेडकर विश्वविद्यालय में 'टॉपर्स' तय करने वाले 'अनपढ़ प्रोफेसर' पकड़ में आए हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2016 10:38 AM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2016 01:55 PM (IST)
उत्तर प्रदेश में 'टॉपर्स' तय करने वाले प्रोफेसर 'अनपढ़ '

लखनऊ (जेएनएन)। ताजनगरी आगरा के डॉ. भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के शिक्षक को पता नहीं है कि आइएमएफ क्या है। हद तो तब हो गई जब अंग्रेजी के परीक्षक प्रार्थना पत्र ही ठीक से नहीं लिख सके। ऐसे ही सूरमा भविष्य तैयार कर रहे हैं। इससे तो साबित हो रहा है कि प्रदेश में टॉपर्स बनाने वाले प्रोसेसर ही अनपढ़ हैं।

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बिहार एजूकेशन बोर्ड के टॉपर्स की सच्चाई आने के बाद वह जेल में हैं। वहीं ताजनगरी आगरा के अंबेडकर विश्वविद्यालय में 'टॉपर्स' तय करने वाले 'अनपढ़ प्रोफेसर' पकड़ में आए हैं। यह प्रदेश के विभिन्न यूनिवर्सिटी से आए हैं। इसमें से कई सामान्य अंग्रेजी के शब्दों को भी सही नहीं लिख सके।

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इनमें बरेली के रुहेलखंड विश्वविद्यालय संबद्ध कॉलेजों के अर्थशास्त्र और अंग्रेजी के एसोसिएट प्रोफेसर थे। कई विश्वविद्यालय में मूल्यांकन कर चुके यह परीक्षक जब अंग्रेजी तक ठीक से नहीं लिख सके, तो इनके खिलाफ कार्रवाई का फैसला लिया गया।

विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म एंड मैनेजमेंट (आइटीएचएम) में बीए अंग्रेजी, इतिहास व अर्थशास्त्र का मूल्यांकन चल रहा है। मूल्यांकन कर रहे बरेली के डॉ. श्याम बहादुर, एसोसिएट प्रोफेसर अंग्रेजी विभाग से अंग्रेजी में एप्लीकेशन लिखने को कहा गया।

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समन्वयक डॉ. लवकुश मिश्र ने बताया कि उन्होंने एप्लीकेशन में ग्रामर में गड़बड़ी के साथ ही इवेल्युएशन की स्पेलिंग गलत लिख दी, इसके साथ ही विषय संबंधी सवालों के जवाब भी नहीं दे सके। यह शनिवार को एक दिन उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कर चुके थे।

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इसके कुछ देर बाद ही गोरखपुर के डॉ. अनिल कुमार पाल, एसोसिएट प्रोफेसर अर्थशास्त्र मूल्यांकन को पहुंचे। इनसे आइएमएफ की फुल फॉर्म पूछी तो नहीं बता सके। जब उन्हें इसके बारे में बताया और लिखने के लिए कहा तो सही स्पेलिंग भी नहीं लिख सके। दोनों परीक्षकों को लौटा दिया, इनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।

यह हैं धुरंधर

डॉ. श्याम बहादुर : पीएचडी अंग्रेजी। गन्ना किसान डिग्री कॉलेज, पुवायां, शाहजहांपुर (संबद्ध एमजेपी रुहेलखंड विवि ,बरेली)। अंग्रेजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर। कानपुर विवि से कई विवि में कर चुके हैं बीए अंग्रेजी विषय का मूल्यांकन। क्या न लिख सके इवेल्युएशन की स्पेलिंग सही नहीं लिख सके ग्रामर की भी गड़बड़ी।

डॉ. अनिल कुमार पाल : पीएचडी अर्थशास्त्र। संत बुला सत्यानाम दास बीरबल स्नातकोत्तर महाविद्यालय, संबद्ध वीर बहादुर सिंह पूर्वाचल विवि गोरखपुर। अर्थशास्त्र विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर। दस वर्ष से कर रहे अध्यापन कार्य। क्या नहीं बता सके - भारतीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) के बारे में नहीं बात सके, स्पेलिंग भी ठीक से नहीं लिखी।

खाना खाया, पैसे लेकर चल दिए

मूल्यांकन के लिए परीक्षक को 15 रुपये प्रति उत्तर पुस्तिका मिलते हैं। साथ ही अन्य विश्वविद्यालय से आने वाले परीक्षकों को डीए और टीए दिया जाता था। मूल्यांकन केंद्र में नाश्ते और खाने का भी इंतजाम है। ऐसे परीक्षक मूल्यांकन को आ रहे हैं।

जैसे परीक्षक, वैसे ही छात्र

विश्वविद्यालय में मूल्यांकन के लिए जैसे परीक्षक आ रहे हैं, उसी तरह के छात्र हैं। बीए द्वितीय वर्ष की इतिहास की उत्तर पुस्तिका में सवालों के जवाब भी अटपटे लिखे हैं, उनका कोई मतलब नहीं है। बीए अंग्रेजी के द्वितीय प्रश्नपत्र में छात्र ने प्रथम प्रश्नपत्र के उत्तर लिख दिए हैं।

रिपोर्ट संबंधित विश्वविद्यालय को

डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलसचिव केएन सिंह ने बताया कि मूल्यांकन में सख्ती की गई है। परीक्षकों के संतोषजनक जवाब न देने वालों से मूल्यांकन नहीं कराया जा रहा है। संबंधित विवि को रिपोर्ट भेजी जा रही है।


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