लंबी खिंच सकती है किसानों की कर्जमाफी की प्रक्रिया
नेट कनेक्टिविटी की समस्या इनके साथ भी है, पूरी प्रकिया को समझने में अधिकारियों को समय लगना भी इसकी वजह है।
लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। योगी सरकार के सबसे बड़े फैसले 'किसानों की कर्जमाफी' की प्रक्रिया लंबी खिंच सकती है। सरकार के मुताबिक 22 जुलाई तक इस बाबत बने वेब पोर्टल पर कर्जदार लघु एवं सीमांत किसानों के ब्यौरे फीड हो जाना चाहिए, पर ऐसा हो नहीं पा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, अब तक किसी भी जिले में 50 फीसद किसानों की डाटा इंट्री भी वेब पोर्टल पर फीड नहीं हो सकी है। करीब एक चौथाई जिले ऐसे हैं जहां की प्रगति 15 फीसद से नीचे है। साइट की स्थिति यही रही तो तय समय तक करीब 20-25 फीसद किसानों की डाटा इंट्री का काम ही पूरा हो सकेगा।
साइट अगर ठीक से चले तो स्थिति कुछ और बेहतर हो सकती है। जिलों में तैनात अधिकारियों के अनुसार इसमें कई तरह की दिक्कते हैं। सबसे बड़ी दिक्कत तो नेट कनेक्टिविटी की है। पूरे-पूरे दिन साइट बैठी रहती है। रात में जिलों में स्थापित एनआइसी के केंद्रों पर जाकर यह काम करना पड़ता है। बैंकों को भी कभी-कभी कुछ डाटा मैच कराने में अच्छा-खासा समय लग जा रहा है।
नेट कनेक्टिविटी की समस्या इनके साथ भी है। पूरी प्रकिया को समझने में अधिकारियों को समय लगना भी इसकी वजह है। सरकार ने डाटा इंट्री की समय सीमा 22 जुलाई रखी है। उसका लक्ष्य हर जिले में 15 अगस्त को कैंप लगाकर लाभान्वित होने वाले किसानों में ऋणमाफी का प्रमाण पत्र बांटने का है।
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बैंकों ने पहले ही किया था आगाह: 15 जुलाई को निदेशालय पर प्रशासन, मंडल एवं जिला स्तर के विभागीय अधिकारियों और बैंकर्स की बैठक हुई थी। बैठक में जिलों से आए लीड बैंक के प्रबंधकों ने पहले ही नेट कनेक्टिविटी के कारण होने वाली समस्या से आगाह किया था। बताया गया था कि सुदूर ग्रामीण अंचलों और भारत नेपाल सीमा से सटे बैंकों में डाटा इंट्री में दिक्कत आ सकती हैं।
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