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महामंडलेश्वर सच्चिदानंद की जांच के लिए बनी महंतों की टीम

निरंजनी अखाड़ा के नवनियुक्त महामंडलेश्वर सच्चिदानंद गिरि पर लगे आरोपों की जांच के लिए महंतों की चार सदस्यीय टीम गठित कर दी गई है। यह टीम उनके व्यावसायिक व परिवारिक रिश्तों की पड़ताल करेगी। जांच निष्पक्ष एवं पूरी गहराई से हो, उसके लिए छह माह का समय तय किया गया

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 02 Aug 2015 07:21 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2015 07:28 PM (IST)
महामंडलेश्वर सच्चिदानंद की जांच के लिए बनी महंतों की टीम

लखनऊ। निरंजनी अखाड़ा के नवनियुक्त महामंडलेश्वर सच्चिदानंद गिरि पर लगे आरोपों की जांच के लिए महंतों की चार सदस्यीय टीम गठित कर दी गई है। यह टीम उनके व्यावसायिक व परिवारिक रिश्तों की पड़ताल करेगी। जांच निष्पक्ष एवं पूरी गहराई से हो, उसके लिए छह माह का समय तय किया गया है। जांच टीम अपनी रिपोर्ट निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर व अखाड़ा परिषद अध्यक्ष को सौंपेगी। दोष साबित होने पर उनके महामंडलेश्वर बने रहने या पदमुक्त करने का फैसला अखाड़ा परिषद व निरंजनी अखाड़ा के पदाधिकारी मिलकर करेंगे। गुरु पूर्णिमा पर प्रयाग स्थित मठ बाघंबरी गद्दी में भव्य समारोह के बीच सच्चिदानंद गिरि को निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर की पदवी दी गई थी। कहा जा रहा है कि महामंडलेश्वर बनाए गए सचिन दत्ता उर्फ सच्चिदानंद गिरि बियर बार और डिस्को संचालन के साथ रियल स्टेट कारोबार से जुड़े हैं। यह तथ्य सामने आने के बाद निरंजनी अखाड़ा के सचिव एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने उनसे जुड़े तथ्यों की पड़ताल का निर्णय लिया। रविवार को चार महंत को सच्चिदानंद से जुड़ी हर जानकारी एकत्रित करने के लिए लगाया गया। महंतों की पहचान गुप्त रखी गई है। ये सच्चिदानंद के उनके पारिवारिक सदस्यों से संबंध पर नजर रखेंगे। सच्चिदानंद से उनका परिवार का कोई सदस्य मिलता है या वह पुराने कारोबार में लिप्त पाए गए तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं निरंजनी अखाड़ा सचिव महंत नरेंद्र गिरि ने बताया कि सच्चिदानंद पहले क्या थे, हमें उससे कोई लेना-देना नहीं है, महत्वपूर्ण बात यह है कि परिवार से फिलहाल उनका संबंध है अथवा नहीं। यदि सच्चिदानंद ने संन्यास धर्म ग्रहण करने के बाद घर परिवार और व्यवसाय से खुद को अलग नहीं किया होगा तो यह संत परंपरा के खिलाफ है। ऐसे में उनकी पदवी वापस लेकर उन्हें अखाड़े से बाहर कर दिया जाएगा।

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