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Midnight appointment: आचार संहिता से बचने को आधी रात में जारी किए नियुक्ति पत्र

जल निगम में की गईं 1300 भर्तियों की जांच प्रदेश सरकार द्वारा विशेष जांच दल (एसआइटी) को सौंपने के साथ घोटाले का जिन्न बोतल से बाहर निकल आया है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 20 Jul 2017 09:47 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jul 2017 07:47 PM (IST)
Midnight appointment: आचार संहिता से बचने को आधी रात में जारी किए नियुक्ति पत्र
Midnight appointment: आचार संहिता से बचने को आधी रात में जारी किए नियुक्ति पत्र

लखनऊ (जेएनएन)। जल निगम में की गईं 1300 भर्तियों की जांच प्रदेश सरकार द्वारा विशेष जांच दल (एसआइटी) को सौंपे जाने के साथ ही इस घोटाले का जिन्न फिर बोतल से बाहर निकल आया है। जांच अधिकारी तो एक-एक कदम तय करके वहां तक पहुंचेंगे लेकिन, निगम के गलियारों में पहले ही इस भर्ती के तार उधेड़े जाने शुरू हो गए हैं। निगम से जुड़े अधिकारी अब यह बता रहे हैं कि सपा सरकार में किस तरह नियम-कायदे लांघकर मनमानी की गई है।

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सबसे पहले सहायक अभियंताओं की बात की जाए तो 122 पदों पर उनकी भर्ती के लिए जल निगम में की गई हड़बड़ी ही संदेह के लिए काफी है। सहायक अभियंताओं की भर्ती के लिए अभ्यर्थियों को समय दिए बिना दिसंबर के आखिरी हफ्ते में ताबड़तोड़ परीक्षा व साक्षात्कार कर लिए गए और चार जनवरी को विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से ठीक पहले तीन जनवरी की रात ढाई बजे तक ई-मेल से नियुक्ति पत्र भी जारी कर दिए गए। जूनियर इंजीनियरों के 853 पदों के नियुक्ति पत्र भी दो जनवरी की शाम को जारी किए गए थे। संदेह का एक बिंदु यह भी है कि सहायक अभियंताओं का परीक्षा परिणाम तुरंत जारी कर एक हफ्ते में इंटरव्यू भी कर लिए गए, जबकि नैत्यिक लिपिक के 325 पदों पर जून में हुई परीक्षा के परिणाम पांच महीने बाद नवंबर में जारी किए गए। 

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वित्त विभाग की रोक भी बेअसर

जल निगम जब भर्ती के जरिये 1300 नए कार्मिकों को लाकर अपना खर्च बढ़ाने की तैयारी कर रहा था, तब उसकी जेब इस कदर खाली थी कि तीन महीने से वेतन-पेंशन नहीं बंटी थी और 600 करोड़ रुपये का घाटा चढ़ चुका था। वेतन के लिए वित्त विभाग ने 300 करोड़ रुपये का ऋण इस शर्त के साथ 13 दिसंबर, 2016 को दिया कि उसकी अनुमति के बिना नई भर्ती नहीं की जाएगी। ऋण लेते समय तो निगम ने शर्त मान ली, लेकिन, 1300 पदों पर भर्ती के समय अधिकारी इसे भूल गए। बिना अनुमति भर्ती कर ली गई।

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नहीं मिले उपयुक्त अभ्यर्थी

यह भी जांच के दायरे में है कि नैत्यिक लिपिक के लिए परीक्षा देने वाले लाखों अभ्यर्थियों में से जिन 770 को साक्षात्कार के लिए चुना गया था, उनमें से सभी 335 पदों पर नियुक्ति क्यों नहीं की गई। पांच महीने बाद आए परिणाम में 325 पदों पर नियुक्ति की सूचना जारी की गई। नैत्यिक लिपिक के साथ आशुलिपिक के 63 पदों का विज्ञापन भी निकाला गया था। इसकी परीक्षा ली गई लेकिन, हजारों अभ्यर्थियों में से निगम को एक भी उपयुक्त कंडीडेट नहीं मिला। खास बात यह कि 1300 पदों पर भर्ती के बाद जल निगम ने दिसंबर, 2016 के अंत में फिर 306 नैत्यिक लिपिक व 77 आशुलिपिक के पदों पर भर्ती का विज्ञापन निकाला लेकिन, चुनाव आयोग ने इस पर रोक लगा दी थी।


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