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प्रत्यूष हत्याकांड : आरोपितों के बयानों से खुला राज, सीबीआइ जांच की मांग

सीसी कैमरे में गाड़ी से भागते दिखे थे आरोपित। पुलिस को शव से 13 घंटे तक रखा था दूर।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Tue, 11 Dec 2018 09:05 AM (IST)Updated: Tue, 11 Dec 2018 02:17 PM (IST)
प्रत्यूष हत्याकांड : आरोपितों के बयानों से खुला राज, सीबीआइ जांच की मांग
प्रत्यूष हत्याकांड : आरोपितों के बयानों से खुला राज, सीबीआइ जांच की मांग

लखनऊ, जेएनएन। हत्या के आरोप में पकड़े गए आरोपितों के बयान ने पुलिस को अहम सफलता दिलाई। घटना स्थल से कुछ दूर सीसी कैमरे में बाइक से भागते समय आरोपित कैमरे में कैद हो गए थे। सर्विलांस के जरिए आरोपितों की लोकेशन एक स्थान पर मिलने के बाद पुलिस ने सब से अलग-अलग पूछताछ शुरू की। सीओ हजरतगंज अभय कुमार मिश्र के मुताबिक आरोपितों के बयान में विरोधाभास से पुलिस को संदेह हुआ, जिसके बाद छानबीन तेज हुई। वहीं भाजपा नेता की पत्‍नी प्रतिमा ने खुलासे पर सवाल खड़े कर दिए। प्रेसवार्ता कर प्रतिमा ने कहा कि उन्हें पुलिस के राजफाश पर भरोसा नहीं है। उनके पति ऐसी हरकत नहीं कर सकते। प्रतिमा ने सीबीआइ जांच की मांग की है।

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पूछताछ में अनिल कुमार राणा ने घटना स्थल पर मौजूद नहीं होने की बात कही थी। हालांकि कड़ाई से पूछने पर आरोपित टूट गया, जिसके बाद आशीष से अलग से पूछताछ हुई और धीरे-धीरे परत दर परत राज खुलता गया। उधर, महेंद्र ने बताया कि प्रत्यूष ने उससे घर के पास स्थित मेडिकल की दुकान से दो ग्लब्स खरीदने को भेजा था। हालांकि एक ही ग्लब्स मिला था। वहीं चाकू खरीदने के बाद प्रत्यूष ने उसे अपनी जेब में रख लिया था, जिसे महानगर चौराहे पर उन्होंने अनिल को दे दिया था। पुलिस का कहना है कि साजिश के तहत आरोपितों ने हंगामा करते हुए ट्रामा सेंटर में पुलिस-प्रशासन को शव से 13 घंटे दूर रखा था। आरोपित कार्रवाई की मांग कर अभद्रता कर रहे थे। उधर, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अधिक खून बहने से मौत की पुष्टि के बाद पुलिस का शक गहरा गया था।

पहले भी गई है खुद के हत्या की साजिश में जान

राजधानी में प्रत्यूष मणि त्रिपाठी हत्याकांड कोई पहली घटना नहीं है, जिसकी साजिश खुद रची गई हो बल्कि पहले भी यहां जान जा चुकी है। नाका के व्यवसायी करन गुप्ता ने देनदारी से बचने के लिए खुद पर गोली चलवाने की साजिश रची थी। जून माह में तत्कालीन एसएसपी दीपक कुमार ने चार शूटर गिरफ्तार कर वारदात का राजफाश किया था। दरअसल, करन ने कई स्थानीय व्यापारियों से उधार ले रखा था। उसने खुद पर हमला और लूट की साजिश रचकर शूटरों को सुपारी दी थी। योजना के तहत शूटरों ने करन को गोली मारी थी, जिसमें उसकी मौत हो गई थी।

परिजनों को राजफाश पर भरोसा नहीं


मॉडल हाउस स्थित अपने आवास पर सोमवार रात करीब नौ बजे प्रतिमा ने कहा कि प्रत्यूष ने खुद पर हमला नहीं कराया था। अगर ऐसा हुआ होता तो वह जिंदा होते। 25 नवंबर को हुए विवाद के बाद पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की थी और उनके पति की हत्या के बाद हरकत में आई। पुलिस की भूमिका शुरू से सवालों के घेरे में है। उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने सीबीसीआइडी जांच का भरोसा दिलाया था। अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो वह भाजपा मुख्यालय के सामने परिवार संग धरना देंगी। प्रतिमा के भाई सिद्धार्थ ने पुलिस पर प्रत्यूष के चरित्र हनन का भी आरोप लगाया।

प्रतिमा ने कहा कि वह मुख्यमंत्री से मुलाकात कर सारी बात रखेंगी। उन्होंने पोस्टमार्टम रिपोर्ट से छेड़छाड़ का आरोप भी लगाया है। उधर, एएसपी ट्रांस गोमती हरेंद्र कुमार का कहना है कि पांचों आरोपितों को गिरफ्तार करने के बाद प्रतिमा से संपर्क किया गया था। पुलिस ने परिवार से आरोपितों का आमना-सामना कराने की बात की थी, लेकिन प्रतिमा या उनके घरवाले महानगर कोतवाली नहीं आए। वहीं प्रत्यूष के घरवालों की ओर से प्रेसवार्ता किए जाने की जानकारी पाकर एलआइयू की टीम भी उनके घर पहुंची। सीओ एलआइयू राधेश्याम राय ने छानबीन की और घरवालों के आरोप के बारे में जानकारी जुटाई। 


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