अब कोयले की कमी से बढ़ने लगा बिजली संकट, टकराव
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में जबरदस्त बिजली संकट है। कोयले की कमी के चलते बिजली संकट गंभीर होने क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में जबरदस्त बिजली संकट है। कोयले की कमी के चलते बिजली संकट गंभीर होने की आशका है। एनटीपीसी विंध्याचल (मध्य प्रदेश) को कोयले की किल्लत के चलते 1225 मेगावाट विद्युत उत्पादन कम करना पड़ा। प्रबंधन का कहना है कि नार्दर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) से कम कोयले की सप्लाई हो रही है जबकि एनसीएल का अनुबंध के अनुसार भरपूर कोयले की आपूर्ति करने का दावा है। कोयला संकट से जूझ रहे एनटीपीसी विंध्याचल ने 210 मेगावाट तथा 500 मेगावाट की विद्युत इकाइयों को पहले से ही बंद कर रखा है। इस स्थिति में X550 की जगह केवल 2X25 मेगावाट ही बिजली उत्पादन हो रहा है। प्रबंधन के अनुसार कल महज X6 हजार टन कोयले की आपूर्ति की गई है। कोयले को लेकर एनसीएल व विद्युत गृह के बीच वाद-विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है। दोनों संस्थानों की ओर से दावे-प्रतिदावे किए जा रहे हैं। कोयले की कम आपूर्ति के दावे को सिरे से नकारते हुए एनसीएल प्रबंधन ने कहा कि विंध्याचल परियोजना को इस वित्तीय वर्ष में सालाना अनुबंधित मात्रा (एसीक्यू) के सापेक्ष 94 प्रतिशत एवं इस माह में अब तक 111 प्रतिशत कोयले की आपूर्ति की गई है।एनसीएल सूत्रों के मुताबिक एसीक्यू के तहत प्रतिदिन 48 हजार टन कोयले की आपूर्ति होनी चाहिए। इसके सापेक्ष 17 जुलाई को 62520 टन, 18 जुलाई को 558X0 टन, 19 को 66240 टन, 20 को 48000 टन एवं 21 जुलाई को X9500 टन कोयले की आपूर्ति की गई है। उधर, परियोजना द्वारा अपने बफर स्टाक को खत्म कर कोयले की किल्लत का आरोप लगाया जा रहा है।
अभियंताओं ने खोला मोर्चा
सरकार द्वारा पनकी, हरदुआगंज और पारीछा बिजली परियोजना को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर चलाने के निर्णय के खिलाफ विद्युत अभियंताओं ने आदोलन की चेतावनी दी है। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स के चेयर मैन शैलेन्द्र दुबे, वाइस चेयर मैन आरके सिंह और विद्युत अभियंता संघ के महासचिव डीसी दीक्षित और अन्य इंजीनियरों ने मुख्यमंत्री से माग की है कि निजी घरानों के साथ किए गए समस्त एमओयू निरस्त हों और प्रस्तावित बिजली घर सार्वजनिक क्षेत्र को सौंपे जाएं।
बिजली संकट पर सियासत
भाजपा की नजर में सपा सरकार बिजली संकट निपटाने के बदले बड़ी-बड़ी बातें करने में जुटी है। अखिलेश सरकार बिजली पर केवल सियासत ही कर रही है। बंद होती बिजली इकाइयों को कुप्रबंधन से चलाया नहीं जा पा रहा। बड़ी संख्या में फुंक रहे ट्रासफार्मरों को लेकर सरकारी दावों से जनता तंग आ चुकी हैं। पुराने बिजली घरों की आवश्यक मरम्मत हो नहीं पा रही। विद्युत संकट गहरा रहा है। हाथ पर हाथ धरे बैठे अधिकारी केवल दावे करने में जुटे हैं। पूर्वाचल में नौ हजार से 'यादा ट्रासफार्मर फूंके परन्तु कोई पुरसाहाल नहीं है।