मरीजों की जेब पर भारी पड़ेगी दवाओं की नई सूची
तीन-चार वर्षों से चली आ रही ड्रग लिस्ट में कुल 4,017 दवाएं व सर्जिकल आइटम थे। वहीं वर्ष 2017 में दवा खरीदारी के लिए मई में जारी की गई ड्रग लिस्ट में 1036 दवा व सर्जिकल आइटम ही बचे हैं।
लखनऊ (संदीप पांडेय)। सरकार अस्पतालों में मुफ्त दवा मुहैया कराने का दावा कर रही है। वहीं अधिकारियों की कारस्तानी योजना में बाधा बन रही है। आलम, यह है कि ड्रग लिस्ट में ऐसी काट-छांट की गई कि अस्पतालों से करीब 3000 दवाएं ही गायब हो गईं।
राज्य के सरकारी अस्पतालों में एशेंशियल ड्रग लिस्ट (ईएलडी) के तहत ही दवा खरीदारी होती है। तीन-चार वर्षों से चली आ रही ड्रग लिस्ट में कुल 4,017 दवाएं व सर्जिकल आइटम थे। वहीं वर्ष 2017 में दवा खरीदारी के लिए मई में जारी की गई ड्रग लिस्ट में 1036 दवा व सर्जिकल आइटम ही बचे हैं। ऐसे में अस्पतालों में दवाओं का संकट गहरा रहा है। पहले से स्टॉक की गईं दवाएं खत्म होने के कगार पर हैं। लिहाजा, राजधानी से लेकर राज्य के सभी जिला चिकित्सालयों व सीएचसी पर दवा के लिए आफत बढ़ना तय है।
मरीजों को एक दिन बाद दवा: अस्पताल प्रशासन अपने स्तर से एक बार में 20 हजार रुपये कीमत तक की ही दवा खरीद सकता है। वहीं अधिकतम एक लाख की खरीदारी पर उसे कोटेशन देना पड़ता है। मगर हजारों की ओपीडी वाले राजधानी के अस्पताल में ये दवाएं सिर्फ नाममात्र ही साबित होती हैं। ऐसे में दवा संकट के चलते मरीजों को ओपीडी में दवाओं को लोकल पर्चेज (एलपी) के लिए लिखा जा रहा है, जो कि उन्हें बाजार से मंगवाकर 24 घंटे बाद दी जाती है।
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क्या कहते हैं अधिकारी:
ड्रग लिस्ट से भारी तादाद में दवाएं किसके आदेश से काटी गईं, इसकी मैं सीएमएसडी के निदेशक से जानकारी लूंगा। अस्पताल में सभी जरूरी दवाएं व सर्जिकल आइटम की आपूर्ति हर हाल में सुनिश्चित की जाएगी।
- डॉ. पद्माकर सिंह, डीजी, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य
हाल में ही सर्वर एक्सचेंज हुआ है। हो सकता है कुछ दवाएं दूसरे सर्वर पर मौजूद लिस्ट में कॉपी न हो सकी हों। फिलहाल जारी एक हजार की लिस्ट में सभी आवश्यक दवाएं हैं, जो आवश्यक दवाएं व सर्जिकल आइटम नहीं होंगे उन्हें शामिल कर दिया जाएगा।
- डॉ. रुकुम, निदेशक, सीएमएसडी
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