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दो चरणों में होंगे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव का सेमी फाइनल माने जा रहे राज्य के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव नौ सितंबर से 15 दिसंबर के बीच होंगे। प्रदेशभर में एक साथ दो चरणों में प्रत्येक जिले को चार से पांच हिस्से में बांटकर दो-दो पदों के लिए चुनाव कराए जाएंगे।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2015 10:54 AM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2015 10:57 AM (IST)
दो चरणों में होंगे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव

लखनऊ (अजय जायसवाल)। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव का सेमी फाइनल माने जा रहे राज्य के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव नौ सितंबर से 15 दिसंबर के बीच होंगे। प्रदेशभर में एक साथ दो चरणों में प्रत्येक जिले को चार से पांच हिस्से में बांटकर दो-दो पदों के लिए चुनाव कराए जाएंगे। पहले चरण में क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत सदस्य के चुनाव होंगे जबकि दूसरे चरण में ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत सदस्य के चुनाव के लिए अधिसूचना जारी की जाएगी।

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सूबे की 78 फीसद ग्रामीण आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले पंचायत प्रतिनिधियों के विभिन्न पदों के लिए राज्य निर्वाचन आयोग अबकी एकसाथ चुनाव न कराकर दो चरणों में चुनाव प्रक्रिया पूरी करेगा। प्रशासनिक मशीनरी के साथ ही ग्रामीण मतदाताओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए आयोग ऐसा करने जा रहा है। राज्य निर्वाचन आयुक्त एसके अग्रवाल का मानना है कि एक ही दिन में चारों पदों (ग्राम पंचायत सदस्य, प्रधान, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत सदस्य) के लिए मतदान होने पर मतदाता को चारों पदों के पसंदीदा उम्मीदवार को मतपत्र में तलाशकर मत देने से लेकर उसे मोड़कर मतपेटी में डालने में खासी मशक्कत करनी पड़ती है। ऐसे में वह भ्रमित तो होता ही है, समय भी ज्यादा लगने से कई बूथों पर आधी रात तक मतदान होता रहता है।

आयोग के इस रुख को देखते हुए अबकी दो चरण में दो-दो पदों के लिए चुनाव कराने की पूरी तैयारी है। सूत्रों के मुताबिक आयोग पहले चरण में 77,925 क्षेत्र पंचायत व 3128 जिला पंचायत सदस्य के पदों के चुनाव के लिए नौ सितंबर को अधिसूचना जारी कर मतगणना 15 अक्टूबर को कराए जाने का कार्यक्रम प्रस्तावित है। इसी तरह 59,163 ग्राम प्रधान व 7,45,603 ग्राम पंचायत सदस्य पद के चुनाव की सात नवंबर को अधिसूचना कर 15 दिसंबर को नतीजे घोषित किए जा सकते हैं। प्रदेशभर में एक साथ प्रत्येक चरण के दोनों पदों के लिए हर एक जिले को ब्लाकवार चार से पांच भाग में बांटकर चुनाव कराया जाएगा।

ग्रामीण जनता चुनेगी 8,85,819 पंचायत प्रतिनिधि

एसके अग्र्रवाल ने बताया कि 2010 में हुए चुनाव में 762277 पंचायत प्रतिनिधियों (ग्राम पंचायत के प्रधान व सदस्य, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत के सदस्य) को सीधे जनता ने चुना था। उन्होंने बताया कि 1995 के बाद पहली बार पूरे प्रदेश में हुए पुनर्गठन के बाद अबकी 8,85,819 पदों के लिए चुनाव होगा। मतदान के लिए कुल 1.85 लाख पोलिंग बूथ बनाए जाएंगे। ये क्षेत्र पंचायत सदस्य ही 821 ब्लाक प्रमुख और जिला पंचायत सदस्य सूबे के 75 जिलों के अध्यक्ष को चुनेंगे।

पिछली बार थे औसतन 38 प्रत्याशी

वर्ष 2010 में हुए पंचायत चुनाव में चारों पदों के लिए औसतन 38 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। सर्वाधिक 18 उम्मीदवार जहां जिला पंचायत सदस्य पद के लिए थे वहीं ग्र्राम प्रधान के लिए 10, क्षेत्र पंचायत सदस्य के लिए सात तथा सबसे कम औसतन तीन प्रत्याशी ग्राम पंचायत सदस्य पद के लिए थे।

आयोग ने मुख्यसचिव को लिखा पत्र

पहले परिसीमन और पुनर्गठन में लेट-लतीफी और अब पिछड़े वर्ग की गणना संबंधी रैपिड सर्वे 18 जुलाई तक न पूरा करने व आरक्षण संबंधी कार्य में भी देरी से राज्य निर्वाचन आयोग, पंचायतीराज विभाग के प्रमुख सचिव व निदेशक खासा नाराज है। आयोग की नाराजगी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस संबंध में राज्य निर्वाचन आयुक्त एसके अग्रवाल के कड़ा पत्र लिखने पर मुख्य सचिव आलोक रंजन खुद ही संबंधित अधिकारियों के साथ परसों उनसे मिले। पत्र में स्पष्ट तौर पर मुख्य सचिव से कहा गया है कि रैपिड सर्वे के बाद 31 अगस्त तक आरक्षण संबंधी प्रक्रिया सुनिश्चित की जाए। ऐसा न होने पर समय से चुनाव की प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकेगी जिससे राज्य में संवैधानिक संकट खड़ा हो सकता है। राज्य निर्वाचन आयुक्त ने स्वीकार किया कि उन्होंने लेट-लतीफी पर पंचायतीराज के अफसरों पर नाराजगी जताते हुए मुख्य सचिव से कहा है कि वे खुद ही इस मामले को गंभीरता से देखें। मुख्यसचिव ने आश्वस्त किया है कि तय समय-सीमा में आरक्षण संबंधी कार्यवाही पूरी कर ली जाएगी।


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