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बीयर बार व डिस्को के संचालक बने महामंडलेश्वर

नोएडा में दिल्ली-एनसीआर के सबसे बड़े डिस्को के साथ ही साथ बीयर बार के संचालक सचिन दत्ता उर्फ सच्चिदानंद गिरि को परसों संतों की नगरी इलाहाबाद में महामंडलेश्वर की पदवी मिली। उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव तथा ओम प्रकाश सिंह की मौजूदगी में इनका पट्टाभिषेक हुआ।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sun, 02 Aug 2015 12:10 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2015 07:14 PM (IST)
बीयर बार व डिस्को के संचालक बने महामंडलेश्वर

लखनऊ। नोएडा में दिल्ली-एनसीआर के सबसे बड़े डिस्को के साथ ही साथ बीयर बार के संचालक सचिन दत्ता उर्फ सच्चिदानंद गिरि को परसों संतों की नगरी इलाहाबाद में महामंडलेश्वर की पदवी मिली। उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव तथा ओम प्रकाश सिंह की मौजूदगी में इनका पट्टाभिषेक हुआ। चंद घंटों बाद ही यह मामला विवादों में आ गया। सच्चिदानंद गिरी महाराज पर बीयर बार व डिस्को संचालन के साथ रियल स्टेट कारोबार से जुड़े होने का मामला सामने आने के बाद अखाड़ा परिषद ने उनसे जुड़े तथ्यों की पड़ताल का फैसला लिया है।

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संतों की तपोभूमि इलाहाबाद परसों गुरु पूर्णिमा के दिन चर्चा में आ गई। संतों के ही बीच महामंडलेश्वर की पदवी पाने वाले सचिन दत्ता उर्फ सच्चिदानंद महाराज का नाम नोएडा में बीयर बार और डिस्को संचालन के साथ रियल स्टेट कारोबार से जुड़े होने का मामला सामने आने के बाद अखाड़ा परिषद ने उनसे जुड़े तथ्यों की पड़ताल का फैसला लिया है। परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि यदि मीडिया के किसी भी वर्ग में उंगली उठाई गई है तो जांच कराई जाएगी। यदि सच्चिदानंद के बारे में आपत्तिजनक बात सामने आती है तो उनकी पदवी वापस ले ली जाएगी।

महामंडलेश्वर की पदवी पाने वाले सच्चिदानंद नोएडा के सेक्टर -18 में बीयर बार के साथ ही एक डिस्को के संचालक हैं। बताया जाता है कि यह डिस्को एनसीआर का सबसे बड़ा डिस्को है। इसके साथ ही इनका बालाजी कांस्ट्रक्शन के नाम से रियल स्टेट का बड़ा कारोबार है। सच्चिदानंद गिरि के समर्थकों का दावा है कि वह 22 वर्ष की उम्र से ही सन्यासी हो गये थे। इनको महामंडलेश्वर बनाने की सिफारिश कैलाशानंद व नरेंद्र गिरि ने की थी।

सच्चिदानंद गिरि का महामंडलेश्वर पद का पट्टाभिषेक जब हुआ था, तो उस समय संत-महात्माओं के साथ कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव और पर्यटन मंत्री ओमप्रकाश सिंह भी मौजूद थे। मूल रूप से गाजियाबाद निवासी सचिन दत्ता अग्नि अखाड़ा के महामंडलेश्वर कैलाशानंद से बीते 20-22 साल से जुड़े हैं। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि कहते हैं कि कैलाशानंद के सानिध्य में उन्होंने संन्यास लिया था और उनका नाम सच्चिदानंद ब्रह्मचारी पड़ा। कैलाशानंद की अनुसंशा से ही उन्हें निरंजनी अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया गया। बकौल नरेंद्र गिरि, यदि सच्चिदानंद ने संन्यास धर्म ग्रहण करने के बाद घर परिवार तथा व्यवसाय से खुद को अलग कर लिया है तो उनके मनोनयन में कहीं कोई दिक्कत नहीं है। फिर भी यदि कोई ऐसी बात सामने आती है जो संत समाज की प्रतिष्ठा के अनुकूल नहीं हुई तो पदवी लेकर उन्हें अखाड़े से बाहर कर दिया जाएगा। नरेंद्र गिरि का कहना है कि यदि बार उनके परिवार के लोग चलाते हैं तो इसमें सच्चिदानंद कहां से दोषी हो जाएंगे। संत का घर-परिवार से कोई संबंध नहीं रह जाता।

रीयल स्टेट कारोबार से भी जुड़े हैं सचिन

सचिन दत्ता उर्फ सच्चिदानंद गिरी महाराज का बीयर बार के साथ ही डिस्को तथा रियल स्टेट का कारोबार है। इनका दिल्ली-एनसीआर में सबसे बड़ा डिस्को है। इसके साथ ही नोएडा के सेक्टर-18 में भव्य बीयर बार है। सचिन दत्ता ने पोंटी चड्ढ़ा के साथ मिलकर बीयर बार का काम शुरू किया था। इसके बाद इन्होंने अकेले ही काम को आगे बढ़ाया। इसी बीच इन्होंने बालाजी बिल्डर के नाम से रियल स्टेट का कारोबार शुरू किया। इनके नोएडा तथा गाजियाबाद में बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं।

महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया

अखाड़ों का महामंडेलश्वर बनने की प्रक्रिया अत्यंत कठिन है। संन्यासी जिस अखाड़ा का महामंडलेश्वर बनते हैं उससे कम से कम दस वर्ष का जुड़ाव होना चाहिए। धर्मशास्त्र का ज्ञान, निर्विवाद एवं सनातन धर्म के प्रति समर्पण को परखकर ही अखाड़ा महामंडलेश्वर की पदवी दी जाती है।

क्यूं बनते हैं महामंडेलश्वर

कुंभ पर्व में होने वाली पेशवाई व शाही स्नान में अखाड़ा के आचार्य पीठाधीश्वर के साथ महामंडलेश्वर रथ पर सवार होकर निकलते हैं। चांदी के सिंहासन में विराजमान होकर रत्न जडि़त छत्र उनकी शोभा बढ़ाते हैं। कुंभ मेला स्थलों पर महामंडलेश्वर के लिए अलग शिविर की व्यवस्था होती है। इनका विशेष ध्यान रखते हुए हर जगह पर इनके लिए सुरक्षा की व्यवस्था की जाती है।

सचिदानंद गिरि बनने से पहले सचिन को मारी गई थी गोली

लखनऊ। सचिन दत्ता अब सचिदानंद गिरि महाराज को १३ अगस्त २०१४ को ग्रेटर नोएडा के बिसरख में गोली मारी गई थी।आज तक यह पता नहीं चल सका कि गोली किसने और क्यों मारी थी। पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट भी लगा दी। कहते है कि पुलिस सुरक्षा के लिए सचिन ने खुद गोली चलवा दी थी। दस्तावेज साबित करता है कि सचिन बाला जी कंस्ट्रक्शन का डायरेक्टर है। बाला जी पर गाजियाबाद विकास प्राधिकरण और लोगों के करोड़ों रुपये की देनदारी है। रीयल स्टेट प्रोजेक्ट के नाम पर बाजार से करोड़ों रुपये उठाए। सचिन पर जालंधर में धोखाधडी का केस दर्ज है। पौंटी चड्ढा के भांजे रमनदीप और कमलदीप भी आरोपी हैं।


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