यूपी में अब निर्माण कार्यों की आनलाइन निगरानी
उत्तर प्रदेश में अब निर्माण कार्यों में लेटलतीफी नहीं चलेगी। सरकार अब सूबे में निर्माण कार्यों की ऑनलाइन निगरानी करने के लिए ई-समीक्षा शुरू करने जा रही है। इस योजना को मुख्यमंत्री सचिवालय ने हरी झंडी दे दी है। विकास एजेंडा में शामिल करने के साथ इसे पहली अप्रैल से
लखनऊ(राजीव दीक्षित)। उत्तर प्रदेश में अब निर्माण कार्यों में लेटलतीफी नहीं चलेगी। सरकार अब सूबे में निर्माण कार्यों की ऑनलाइन निगरानी करने के लिए ई-समीक्षा शुरू करने जा रही है। इस योजना को मुख्यमंत्री सचिवालय ने हरी झंडी दे दी है। विकास एजेंडा में शामिल करने के साथ इसे पहली अप्रैल से लागू किया जाएगा। नियोजन विभाग ने लार्सन एंड टूब्रो कंपनी के साथ मिल इस योजना का खाका तैयार किया है।
निर्माण से जुड़ी अभी ज्यादातर परियोजनाएं तय समय से पीछे चल रही हैं। योजनाओं के क्रियान्वयन में विलंब की वजह से अक्सर उनकी लागत बढ़ जाती है। वैसे तो मुख्य सचिव, नियोजन विभाग व प्रशासनिक विभाग निर्माण कार्यों की नियमित समीक्षा करते हैं लेकिन अभी निर्माण कार्यों में देरी मापने का कोई तार्किक पैमाना नहीं है। कार्यदायी संस्थाओं की ओर से अक्सर बैठकों में यही बताया जाता है कि कार्य की भौतिक प्रगति अमुक प्रतिशत है और खर्च अमुक प्रतिशत। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव भी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को उलाहना दे चुके हैं कि समाजवादी सरकार अब निर्माण कार्यों का शिलान्यास नहीं, उद्घाटन कराये। लिहाजा सरकार ने अब कार्यों में तेजी लाने के मकसद से उनकी निगरानी और समीक्षा के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने की योजना बनायी है।
ऐसी होगी योजना
ई-समीक्षा योजना के तहत कार्यदायी संस्थाओं को निर्माण कार्य आवंटित होते ही उन्हें परियोजना को विभिन्न गतिविधियों के आधार पर चरणों में बांटकर प्रत्येक चरण के पूरे होने की समयसीमा तय करनी होगी और इस ब्योरे को ई-समीक्षा वेबसाइट पर अपलोड करना होगा। प्रत्येक चरण के लिए निर्धारित समयसीमा बीतने पर उन्हें वेबसाइट पर यह भी अपलोड करना होगा कि संबंधित कार्य पूरा हो पाया या नहीं। यदि नहीं हुआ तो प्रगति कितनी है। उन्हें उस अवधि में हुए निर्माण कार्य की अद्यतन फोटो भी वेबसाइट पर अपलोड करनी होगी। प्रत्येक चरण में खर्च की गई धनराशि का ब्योरा भी वेबसाइट पर दर्ज करना होगा। इस वेबसाइट पर उपलब्ध निर्माण कार्यों की इस हकीकत को मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और संबंधित विभागों के आला अफसर कभी भी देख और जान सकेंगे।
यह होंगे फायदे
इस योजना के लागू होने पर परियोजना के किसी भी चरण में विलंब होते ही जानकारी मुख्यमंत्री समेत वरिष्ठ अधिकारियों को हो सकेगी और तत्काल कार्यदायी संस्था के पेंच कसे जा सकेंगे। विलंब की वजह यदि कोई व्यावहारिक समस्या है तो तत्काल उसे भी दूर किया जा सकेगा। अभी कार्यदायी संस्थाएं धनराशि तो खर्च कर देती हैं लेकिन खर्च का उपभोग प्रमाणपत्र भेजने में बहुत देर लगाती हैं। इसकी वजह से उन्हें अगली किस्त समय से नहीं जारी हो पाती है। ई-समीक्षा के लागू होने पर इस समस्या से भी निपटा जा सकेगा। वेबसाइट पर यह देखते ही कि अमुक चरण का काम पूरा हो गया और धनराशि भी खर्च हो चुकी है, उपभोग प्रमाणपत्र का इंतजार किये बगैर कार्यदायी संस्था को धनराशि की अगली किस्त जारी की जा सकेगी।