मुसलमान न तो पानी का बुलबुला न ही थाली का बैंगन : आजम खां
आजम खां ने तल्ख शब्दों का प्रयोग करते हुए लिखा है, ' सभी ने मुस्लिम वोटों को जागीर समझ रखा है। ना तो मुसलमान पानी का बुलबुला है और ना थाली का बैगन है, जिसे कही भी लुढ़का दिया जाए।'
लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। समाजवादी पार्टी में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तथा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव के बीच खुली जंग में अब प्रदेश के कद्दावर मंत्री आजम खां भी कूद पड़े हैं। लंबे समय से शांत दिख रहे समाजवादी पार्टी के फायर ब्रांड नेता माने जाने वाले आजम खां एक पत्र के माध्यम से मुसलमानों के पक्ष में खुलकर बोले हैं।
समाजवादी पार्टी में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच जारी वर्चस्व की लड़ाई से राज्य के कैबिनेट मंत्री आजम खां बेहद परेशान हैं। आजम खां ने कल पत्र लिखकर कहा है कि इस झगड़े से राज्य के मुसलमान वोटरों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। मुसलमानों के सपने टूट रहे हैं।
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आजम खां ने पत्र में बेहद तल्ख शब्दों का प्रयोग करते हुए लिखा है, 'बिना कुछ किए सभी ने मुस्लिम वोटों को अपनी जागीर समझ रखा है। ना तो मुसलमान पानी का बुलबुला है और ना थाली का बैगन है, जिसे कही भी लुढ़का दिया जाए।' अखिलेश सरकार में कद्दावर मंत्री आजम खां ने यह भी कहा कि यूपी का मुसलमान सेकुलर हिंदूओं के साथ चलना चाहता है।
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समाजवादी पार्टी में अगस्त से चल रहे झगड़े पर आजम खां ने पहली बार खुलकर अपनी बात रखी है। इससे पहले आजम ने चाचा-भतीजे के बीच जारी झगड़े पर कहा था कि ये तो होना ही था। वह इसके बीच भी लगातार अमर सिंह की खिलाफत करते रहे हैं। समाजवादी पार्टी की कलह से दूरी बनाकर चल रहे आजम खां ने भी अब फ्रंट डोर से इंट्री कर ली है।
देखें तस्वीरें : लखनऊ में समाजवादी पार्टी में हलचल जारी
सपा का नाम लिए बिना ही इशारों में कलह से मुस्लिमों की बेचैनी को बयां करते हुए चेताया भी। कल लिखे खुले पत्र में आजम खां ने तल्ख शब्दों का प्रयोग करते हुए कहा है कि देश की मुस्लिम लीडरशिर के साथ मुसलमान सेकुलर हिंदूओं के साथ चलना चाहता है। मुसलमान बुद्धिजीवी वर्ग व मुसलमान अपना अच्छा-बुरा भली प्रकार जानते हैं। वह मजबूत राजनैतिक पकड़ वाले दल या व्यक्तित्व की ओर अपनी नजर गड़ाए हुए है।
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माना जाता है कि उत्तर प्रदेश में यादव और मुस्लिम वोटरों के दम पर समाजवादी पार्टी सरकार बनाती रही है। इस बार समाजवादी पार्टी में दो खेमा बनने के बाद से राजनीति के विश्लेषक अंदाजा लगा रहे हैं कि मुस्लिम वोटर बहुजन समाज पार्टी का रुख कर सकती है। इस बात का अंदेशा इसलिए भी है कि यूपी में लंबे समय बाद भाजपा मजबूती से मैदान में उतरी है, जिसे रोकने के लिए मुस्लिम वोटर बसपा को समर्थन दे सकती है।
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राज्य में कांग्रेस के कमजोर होने के बाद से मुस्लिम वोटर लगातार सपा को वोट देते आए हैं। मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में यादव और मुस्लिम वोटरों के दम पर ही समाजवादी पार्टी की सरकार बनती रही है और अब सपा पारिवारिक मतभेदों के कारण खेमेबंदी का शिकार है। राजनीति विश्लेषक मुस्लिम वोटों के बसपा की ओर खिसकने का आकलन कर रहे हैं। ऐसे समय में आजम का यह पत्र कई राजनीतिक निहितार्थ समेटे हुए है।