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गुमशुदगी के पोस्टर लगने के बाद अब मुलायम जाएंगे आजमगढ़

आजमगढ़ से लोकसभा का चुनाव जीतने के करीब आठ माह बाद सांसद मुलायम सिंह यादव पहली बार छह फरवरी अपने संसदीय क्षेत्र में जाएंगे। इस दौरान मुलायम सिंह वहां पर रैली के माध्यम से क्षेत्र की जनता से संवाद करने के साथ ही वहां के लोगों को कई सौगात भी

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 30 Jan 2015 12:11 PM (IST)Updated: Fri, 30 Jan 2015 01:54 PM (IST)
गुमशुदगी के पोस्टर लगने के बाद अब मुलायम जाएंगे आजमगढ़

लखनऊ। आजमगढ़ से लोकसभा का चुनाव जीतने के करीब आठ माह बाद सांसद मुलायम सिंह यादव पहली बार छह फरवरी को अपने संसदीय क्षेत्र में जाएंगे। इस दौरान मुलायम सिंह वहां पर रैली के माध्यम से क्षेत्र की जनता से संवाद करने के साथ ही वहां के लोगों को कई सौगात भी देंगे।

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लोकसभा चुनाव जीतने के बाद भी जब आठ माह तक आजमगढ़ के लोगों ने अपने सांसद मुलायम सिंह यादव का चेहरा नहीं देखा तब वहां पर सांसद की गुमशुदगी के पोस्टर लगे और सांसद को खोज कर लाने वाले को ईनाम भी घोषित कर दिया गया। इस कवायद के बाद सपा सुप्रीमो ने पूरी तैयारी के साथ अब आजमगढ़ जाने का फैसला किया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव छह फरवरी को पहली बार आजमगढ़ जाएंगे। वह जहां एक तरफ रैली के जरिए लोगों से सीधा संवाद करेंगे वहीं विकासपरक योजनाओं की आधारशिला भी रखेंगे। मुलायम के इस दौरे को सियासी लिहाज से अहम माना जा रहा है।

छह फरवरी को प्रस्तावित मुलायम सिंह की आजमगढ़ यात्रा कई मायने में महत्वपूर्ण है। कुछ समय पहले उनके आजमगढ़ न जाने को लेकर विरोधियों ने पोस्टरबाजी की और कई तरह के सवाल उठाए। हालांकि यह कार्य उनके कुछ धुर विरोधियों ने किया। मुलायम की यात्रा इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है कि वह सठियांव की जर्जर हो चुकी चीनी मिल को ध्वस्त कर उसे बड़ी क्षमता के साथ निर्मित करने के लिए आधारशिला रखेंगे। उपेक्षित हो चुकी मिल को बड़ी क्षमता का बनाये जाने से आजमगढ़ के किसानों को गन्ने की खेती का अवसर मिलेगा।

सैफई के बाद आजमगढ़ हमेशा से मुलायम सिंह यादव की प्राथमिकता में रहा है। 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने चुनावी अभियान का श्रीगणेश भी आजमगढ़ से ही किया था। सपा सरकार ने बजट में भी सैफई से ज्यादा ख्याल आजमगढ़ का ही रखा। यहां नए पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय, हरिऔध कला केन्द्र भवन का निर्माण, कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय फैजाबाद के अधीन कृषि महाविद्यालय कैंपस की स्थापना, मुबारकपुर में हथकरघा उद्योग के विपणन केन्द्र की स्थापना व आजमगढ़ में नया पैरा मेडिकल कालेज की स्थापना जैसे कई कार्यों के लिए बजट का प्रावधान किया।

लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव को आजमगढ़ में भले मशक्कत करनी पड़ी लेकिन 2012 में वहां की दस विधानसभा सीटों में नौ पर सपा ने कब्जा जमाया। अल्पसंख्यक के साथ यादव और किसान राजनीति की धुरी आजमगढ़ ने हमेशा आस-पास की राजनीति को भी प्रभावित किया है। 1977 में आजमगढ़ के तत्कालीन सांसद रामनरेश यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद इस्तीफे से रिक्त हुई सीट पर उपचुनाव में कांग्रेस की मोहसिना किदवई ने चुनाव जीतकर कांग्रेस की वापसी की राह खोली थी। तब से यह जिला कांग्रेस के साथ समाजवादियों और दूसरे दलों के लिए भी बेहद अहम माना जाता है। इस जिले को प्रयोग के तौर भी देखा जाता है।


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