SP Clash: मुलायम अध्यक्ष पद छोड़ सब कुछ देने को राजी, वार्ता विफल
वार्ता विफलः सपा प्रमुख मुलायम सिंह अध्यक्ष पद को छोड़ सब कुछ देने को राजी है लेकिन अखिलेश राजी नहीं हैं। वह तीन माह अध्यक्ष रहने की इच्छा जताते रहे।
लखनऊ (जेएनएन)। समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव अध्यक्ष पद को छोड़ सब कुछ देने को राजी हो गए लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस राजी नहीं हैं। वह इस पद पर केवल तीन माह के लिए काम करने की इच्छा जताते रहे। कुल मिलाकर आज की महत्वपूर्ण वार्ता विफल हो गई और इसके बाद शुरू हो गई चुनाव आयोग की सुनवाई। अब आयोग का फैसला सुरक्षित है। सपा के अति निकटस्थ सूत्रों के मुताबिक चुनाव आयोग में कानूनी तर्को की आजमाइश से पहले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व उनके पिता मुलायम सिंह के बीच फोन पर कुछ देर बात हुई। इसमें मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर तीन माह काम करने की अपनी मांग दोहराई। अखिलेश इससे कम पर राजी नहीं थे जबकि मुलायम यह पद छोड़कर सब कुछ देने को राजी थे जिससे बात चीत फिर विफल हो गई।
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कांग्रेस पर निशाना साधा
चुनाव आयोग में फैसला सुरक्षित हो गया। साइकिल फ्रीज होने पर नेताजी (मुलायम सिंह यादव) को निर्णय लेना है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की चुनावी तैयारी पूरी है। उनके प्रत्याशी पहले से मैदान में हैं। सपा के दफ्तर, मुख्यमंत्री आवास की सड़क, सपाइयों के घर और ड्राइंग रूम में दिनभर ऐसे ही सवाल-जवाब होते रहे।
आज दोपहर मुलायम सिंह, अखिलेश यादव गुट की ओर से पहुंचे अधिवक्ताओं के नामों की चर्चा होते ही प्रदेश कार्यालय में मौजूद फैजाबाद निवासी राम बदन यादव फट पड़े। कहा कि '...कांग्रेस बदला ले रही है। ' वह बोलते गए कि राममंदिर का ताला राजीव गांधी ने खुलवाया था। जब बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा उस समय केंद्र में कांग्र्रेस सरकार थी जिसके विरोध में मुलायम सिंह, आजम खां ने लड़ाई लड़ी। कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में खत्म कर दिया। कांग्रेसी वही बदला ले रहे हैं। इन लोगों ने पहले गठबंधन का पांसा फेंके। परिवार में कुछ झगड़ा हुआ तो कांग्रेस ने राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल को नेताजी के खिलाफ खड़ा कर दिया। लोगों ने बुजुर्ग को टोका लेकिन, वह बोलते रहे। आखिर सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें हटाया।
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भाजपा पर हमलावर रहे
यहां हो रही चर्चा में भाजपा पर भी निशाना साधा गया। सपा कार्यालय में मौजूद लोग खुलेआम प्रो.राम गोपाल, अमर सिंह को कोसते रहे। मगर सबका आखिरी सवाल एक था कि आयोग में हुआ क्या? जजमेन्ट रिजर्व होने की जानकारी के साथ कई लोगों ने एक साथ कहा-अब क्या होगा? चिंता इससे आगे की थी कि नेताजी क्या निर्णय लेंगे? मेरठ से आये जीशान त्यागी बोले-77 साल की उम्र में नेताजी चुनाव आयोग में खड़े हुए, फिर भी कुछ साफ नहीं हुआ। समझ में नहीं आ रहा क्या करें? इससे इतर पांच कालिदास मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास के बाहर समूहों में खड़े लोग भी चुनाव आयोग के फैसले का बेसब्री से इंतजार करते रहे। यहां खड़े लोग इस उम्मीद में भी थे कि शायद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बाहर निकलें तो वे अपना प्रार्थना पत्र उन्हें दे सकें। घर के बाहर तैनात सुरक्षा कर्मी मीडिया कर्मियों से यह जानने का प्रयास कर रहे थे कि फैसला क्या आया? जजमेन्ट रिजर्व होने की खबर से वे भी निराश थे।
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खिलते रहे कयासों के गुल
समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं के घरों पर लोग अपने-अपने माध्यमों से चुनाव आयोग में चल रही बहस जानने का प्रयास करते रहे। युवा ब्रिगेड के सदस्य प्रो.रामगोपाल के साथ दिल्ली में मौजूद टीम को फोन कर यह पता लगाते रहे कि उनका पलड़ा कितना भारी है। कुछ लोगों ने मुलायम सिंह यादव गुट के लोगों से भी फोन पर स्थितियां जानीं मगर किसी को सटीक जवाब नहीं मिल सका। लब्बोलुआब यह कि समाजवादी राजनीति करते हुए कई वसंत गुजार चुके लोग हों या फिर कुछ अरसे में माननीय बन गये युवा ब्रिगेड के सदस्य हों, बेचैनी सब में थी। ये सभी मिशन-2017 में भारी नुकसान की आशंका से सकपकाये हुए हैं।