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सपा में सुलह के प्रयास बेकार, पार्टी और साइकिल पर दावा ठोकेंगे मुलायम

सुलह के तमाम प्रयास बेकार होने के बाद पार्टी के मुखिया ने अब साइकिल पर अपना दावा ठोंक दिया है। इस बाबत वह आज दिल्ली में निर्वाचन आयोग के सामने अपनी दावेदारी पेश करेंगे।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 09 Jan 2017 10:12 AM (IST)Updated: Mon, 09 Jan 2017 03:31 PM (IST)
सपा में सुलह के प्रयास बेकार, पार्टी और साइकिल पर दावा ठोकेंगे मुलायम

लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव की तारीख घोषित होने से पहले सत्तारुढ समाजवादी पार्टी में चल रहा घमासान पर निर्णायक मोड़ पर है। सुलह के तमाम प्रयास बेकार होने के बाद पार्टी के मुखिया ने अब साइकिल पर अपना दावा ठोंक दिया है। इस बाबत वह आज दिल्ली में निर्वाचन आयोग के सामने अपनी दावेदारी पेश करेंगे।

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समाजवादी पार्टी के संस्थापक तथा पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने पार्टी में रार के बाद सुलह के काफी प्रयास किए। पानी सिर के ऊपर जाता देख कल उन्होंने भाई तथा पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव के साथ दिल्ली का रुख कर लिया। आज दिन में मुलायम सिंह यादव शिवपाल सिंह यादव तथा राज्यसभा सदस्य अमर सिंह के साथ निर्वाचन आयोग जाकर पार्टी के चुनाव चिन्ह साइकिल पर अपना दावा पेश करेंगे।

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इसके साथ ही पार्टी के नाम और चुनाव निशान पर भी मुख्य निर्वाचन अधिकारी से मिलेंगे। माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव दिन में करीब 12:30 बजे चुनाव आयोग के भवन में पहुंचेंगे।

मुलायम के मुलाकात के बाद चुनाव आयोग आज फैसला सुना सकता है कि समाजवादी पार्टी किसकी है और साइकिल चुनाव चिन्ह किसका होगा। चुनाव आयोग ने 9 जनवरी तक का समय दोनों को दिया था। निर्वाचन आयोग को साइकिल चुनाव चिन्ह को लेकर फैसला 17 जनवरी तक लेना है क्योंकि पहले चरण की अधिसूचना तब तक जारी हो जाएगी।

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बताया जा रहा है कि कोई नतीजा निकलता न देख चुनाव आयोग समाजवादी पार्टी के सिंबल को फ्रीज कर दोनों गुटों को अलग-अलग चुनाव चिन्ह दे सकता है। बता दें अखिलेश गुट की तरफ से रामगोपाल यादव पार्टी और उसके चुनाव चिन्ह पर अपनी दावेदारी ठोंक चुके हैं। रामगोपाल यादव ने यह भी कहा है कि साइकिल निशान मायने नहीं रखता, अखिलेश का चेहरा ही जीत के लिए पर्याप्त है।

वहीँ अमर सिंह ने समाजवादी पार्टी और चुनाव चिन्ह पर मुलायम सिंह का अधिकार बताया और कहा कि आयोग उन्हें ही सिंबल देगा। समाजवादी पार्टी के मुखिया ने कल शाम दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि राष्ट्रीय अध्यक्ष वह ही हैं। साथ ही उन्होंने लखनऊ में एक जनवरी को पार्टीके अधिवेशन असंवैधानिक बताया। सपा प्रमुख मुलायम ने इसके साथ ही शिवपाल सिंह यादव को पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई का अध्यक्ष तथा अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री भी बताया।

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समाजवादी पार्टी की कलह अब न शांत होते दिखाई दे रही है, न ठंडी पड़ती नजर आ रही है। मुलायम और अखिलेश यादव खेमे दोनों ही झुकने को तैयार नहीं हैं। परसों रामगोपाल यादव चुनाव आयोग में शपथ पत्र लेकर गए, तो कल सपा प्रमुख ने पार्टी कार्यालय पर ताला लगवा दिया। सुलह की मद्धिम रौशनी आजम खां की कोशिशों के बाद कहीं न कहीं दोनों खेमों ने यह जाहिर कर दिया है कि, पार्टी और परिवार में पड़ी इस खाई में सुलह की कोई जगह नहीं बची है।

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झगड़े की सबसे प्रमुख वजह

समाजवादी पार्टी के अभी तक के झगड़े की सबसे प्रमुख वजह दो को ही माना जा रहा है। एक सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव और दूसरे अमर सिंह। मुख्यमंत्री अखिलेश को पार्टी में सिर्फ इन दोनों से ही समस्या है, लेकिन सपा प्रमुख किसी भी शर्त पर शिवपाल और अमर सिंह को नहीं छोड़ सकते हैं।

शिवपाल सिंह यादव समाजवादी पार्टी के प्रमुख के भाई हैं और पार्टी को इस मुकाम तक लाने में उनका योगदान भी सपा प्रमुख जितना ही है।

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यह बात सपा प्रमुख जानते हैं कि, अखिलेश भले ही उनकी बात को ठुकरा दें, लेकिन शिवपाल सिंह कभी ऐसा नहीं करेंगे। अमर सिंह का साथ सपा प्रमुख इसलिए नहीं छोड़ेंगे कि, क्योंकि अमर सिंह फंडिंग जुटाने के एक्सपर्ट माने जाते हैं। अमर सिंह के कई एहसान का जिक्र तो सपा प्रमुख सार्वजनिक मंच पर भी कर चुके हैं। बात तो लगभग तय चुकी है कि, सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश में अब अकेले ही चुनाव लड़ेंगे।


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