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समाजवादी संग्रामः आंसू छलके, गला भर्राया मगर गुबार नहीं निकला

समाजवादी परिवार के महासंग्राम के तीनों अहम मुद्दई सोमवार को पार्टी मुख्यालय में एक मंच पर आए तो उनके पास थे उलाहने, आरोप, सफाई, संस्मरण और आंसू।

By Ashish MishraEdited By: Published: Mon, 24 Oct 2016 07:46 PM (IST)Updated: Tue, 25 Oct 2016 10:08 AM (IST)
समाजवादी संग्रामः आंसू छलके, गला भर्राया मगर गुबार नहीं निकला

लखनऊ (जेएनएन)। समाजवादी परिवार के महासंग्राम के तीनों अहम मुद्दई पार्टी मुख्यालय में एक मंच पर आए तो उनके पास थे उलाहने, आरोप, सफाई, संस्मरण और आंसू। तीनों ने एक-दूसरे पर आक्रोश निकाला। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बोलते-बोलते भावुक हो गए, शिवपाल ने बेटे और गंगाजल हाथ में लेकर सौगंध खाने की बात कही और मुलायम सिंह ने तो बिल्कुल साफ कर दिया कि अमर सिंह और शिवपाल उनके भाई हैं जिनका साथ वह नहीं छोड़ सकते। लेकिन उन्होंने अखिलेश और शिवपाल को गले मिलने को कहा तो अखिलेश ने पिता के साथ ही चाचा के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। कुछ देर को सब ठीक होता लगा, मगर एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के पीछे अमर सिंह का हाथ होने की बात अखिलेश ने कही तो माहौल बिगड़ा और फिर बिगड़ता ही गया। शिवपाल ने अखिलेश से माइक छीना तो हंगामा हो गया। जाहिर है, संधि वार्ता अपने अपेक्षित नतीजे पर नहीं पहुंच सकी

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अखिलेश! आलोचना सुना करो, मैं अभी मजबूर नहीं : मुलायम
अखिलेश और शिवपाल द्वारा अपनी बात रखने के बाद सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने कुछ यूं बात शुरू की-मैं, 13 साल की उम्र में पहली बार जेल गया। गलियों में लोहियाजी के पक्ष में नारे लग रहे थे। पुलिस की ऐसी लाठी चली कि पीठ सांप की तरह हो गई थी। आज जो उछल रहे हैं, पुलिस एक लाठी मार दे तो पता नहीं चलेगा। हम जानते हैं लड़ाई कितनी कठिन है। मैंने आपको बुलाया है। पार्टी के लिए बहुत मेहनत करनी है (अखिलेश के पक्ष में नारेबाजी होने लगी) तो बात रोककर कहा कि जो आलोचना नहीं सुन सकते, वे बाहर जाए। नारेबाजी अच्छी नहीं। नौजवानों को मैंने आगे किया। संकट के वक्त ज्यादा बोलने की जरूरत नहीं। सुनो अखिलेश, जो अपनी आलोचना नहीं सुन सकता, वो नेता नहीं बन सकता। मैं जानता हूं कि तुम आलोचना नहीं सुन पाते। कमजोरियों से लड़ने के बजाए हम आपस में लड़ रहे हैं।

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कुछ नेता चापलूसी में लगे हैं। पद मिलते ही इनके दिमाग खराब हो गए। जुआरियों और शराबियों की मदद कर रहे हो। ये जो अखिलेश भैया, अखिलेश भैया कर रहे हैं, ये क्या जानें कि हमने कितनी लड़ाई लड़ी? जो आलोचना नहीं सुन सकता वो नेता नहीं हो सकता। तुम लोगों का दिमाग खराब हो गया है। अभी मैं थका नहीं हूं। ऐसा नहीं कि नौजवान हमारे साथ नहीं हैं। मैंने इशारा कर दिया तो खदेड़ दिए जाओगे। तुम लोग हवा में घूम रहे हो, जमीन के नेता नहीं हो। शिवपाल जनता के बीच का नेता है। न जाने कितने लोगों को हमने पार्टी के साथ जोड़ा है। पार्टी में तनातनी से आहत हूं। आज जो पार्टी में चल रहा है, उससे दुखी हूं मगर मैं अभी कमजोर नहीं हुआ हूं। अपराधियों को पार्टी में नहीं आने दूंगा।

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मुख्तार अंसारी का परिवार सम्मानित परिवार है। अमर सिंह ने कई बार मुझे बचाया। अमर मेरे भाई हैं। अमर और शिवपाल के खिलाफ कुछ नहीं सुन सकता। (नारेबाजी कर रहे युवकों की ओर मुखातिब होकर बोले)-चुप हो, सुनो या निकल जाओ यहां से। तुम्हारी क्या हैसियत है? अमर सिंह को बाहर करने को कह रहे हो? अमर को गाली देते हो। अमर सिंह ने मुझे जेल जाने से बचाया। मुझे सजा हो सकती थी। बीमार हुआ तो देखने मेदांता भी आए। अहसान फरामोश मत बनों। वह (रामगोपाल) मुंबई से बैठकर पत्र लिख रहा है। लिखाई-पढ़ाई का काम दे दिया तो न जाने क्या समझने लगा। परिवार को लड़ा रहा है। पांच वोट की हैसियत नहीं उसकी। पांच लोग साथ नहीं हैं। संघर्ष क्या जानते हैं। मैंने 29 महीने जेल काटी। मेरी मां हाथ में हंसिया और एक बगल में शिवपाल को पकड़े हुए पोटली में खाना लेकर आती थी, तब मैं दौड़कर शिवपाल को गोद में उठा लेता था, बड़ा संघर्ष किया है हमने और शिवपाल ने।

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अखिलेश ने कहा था वह नई पार्टी बना लेंगे : शिवपाल
शिवपाल यादव ने कुछ यूं कहा- अनुशासन हीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जो चिल्ला रहे हैं, अनधिकृत लोग हैं। मैं भी अपने लोगों को बुलवाकर जवाब दे सकता था। मैंने भी पार्टी बनाने में योगदान दिया है। नेता जी, आपके संघर्ष से पार्टी यहां तक पहुंची है। सीएम का जन्म 1972 में हुआ था। तभी से मैंने पार्टी के लिए काम करना शुरू कर दिया था। हम लोग साइकिल से गांव-गांव जाते। एक गांव नहीं छोड़ा था। नेताजी ने मेरे काम की प्रशंसा की है। क्या मेरे विभागों में अच्छा काम नहीं हुआ? नेता जी आप अच्छी तरह जानते हैं। मेरा क्या कुसूर था? मैंने सीएम से कम काम किया क्या? मेरे विभागों की हर दिनों समीक्षा की जाती रही है। मैंने नेता जी और सीएम (मुख्यमंत्री) का हर आदेश माना।

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मैं, पार्टी कार्यालय में मीटिंग कर रहा था, आपने मुझे हटाकर अखिलेश को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। तब क्या मेरा कोई कसूर था। अखिलेश के प्रदेश अध्यक्ष बनने पर एयरपोर्ट जाकर मैने उनका स्वागत किया। आपके आदेश पर मेरे साथ क्या हुआ, मुझे क्यों हटा दिया गया। तुरंत मुझसे विभाग छीन लिए गए। क्या हमने कम काम किया था? मैंने मुख्यमंत्री का कौन सा आदेश नहीं माना? मैंने हर आदेश मुख्यमंत्री जी और नेताजी का माना है। मुझसे क्या झगड़ा था? मुझे नहीं बुलाया जाता तब भी मैं जाकर मिलता था। मेरे एक बेटा है, मैं उसकी कसम खाकर कह रहा हूं कि मुख्यमंत्री ने मुझसे कहा था कि मैं, नया दल बनाऊंगा। किसी दल से समझौता कर चुनाव लड़ूंगा। नेताजी मैं गंगाजल उठाकर कह भी कह रहा हूं कि अखिलेश ने मुझसे नई पार्टी बनाने की बात कही। वह सामने हैं, पूछ लीजिए। नेता जी आप बाहरी शक्तियों से लड़ रहे थे। 2003 में सरकार कैसे बनी, अमर सिंह ने सहयोग दिया था।

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हम मेहनत करने वाले लोग हैं। बाकी लोग मलाई चाटने वाले हैं। नेताजी की पार्टी में वही रहेगा जो ईमानदारी से काम करेगा। दलाली नहीं करेगा, जमीनों पर कब्जे नहीं होंगे, अवैध काम नहीं होंगे। मुख्तार अंसारी ने कभी पार्टी ज्वाइन नहीं की और ये लोग अफवाह फैला रहे हैं कि वह पार्टी में शामिल हो गये। तुम लोग अमर सिंह की चरणों की धूल भी नहीं हो। इस तरह के लोगों को पार्टी से निकाला जाना चाहिये। नेताजी आप मुझे छूट दे दीजिए, मैं सबको एक कर आपको सौंप दूंगा। राज्यसभा के चुनाव में मैंने नेताजी के कहने से अजित सिंह से बात की थी। सीएम ने तो किसी से संपर्क भी नहीं किया। (इस बीच कुछ युवकों ने हूटिंग की कि अब तो हेलीकॉप्टर भी छिन गया) बात को रोक कर शिवपाल ने गुस्से में कहा-हेलीकॉप्टर क्या तुम्हारे बाप का था, जिससे हम लोगों से मिलने गए? फिर बात बढ़ाई नेताजी, जब आप निकलेंगे तो उत्तर प्रदेश में तूफान आ जाएगा। मैं इसलिए बताना चाहता हूं कि ये सरकार और सरकार में जो मंत्री होता है उसकी सामूहिक जिम्मेदारी होती है। पहले पढ़ो, सीखो और अनुशासन में रहना सीखो। जो पक्के सपावादी हैं उन्हें पांच नवंबर के सम्मेलन में आना है।

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नेताजी कह दें तो मैं इस्तीफे को तैयार हूं : अखिलेश
किरन मय नंदा जी ने जो बात कही उसी को मैं आगे बढ़ाना चाहता हूं। हमारी पार्टी का स्थापना दिवस होने जा रहा है। हमें खुशी है इस बात की कि स्थापना दिवस हम मिलकर मनायेंगे। आने वाले समय में क्या रणनीति होगी, वह तय करने जा रहे हैं। नेताजी का संग है। नेताजी का रास्ता, यहां कोई ऐसाा समाजवादी नहीं है जो उनका रास्ता न जानता हो। मुझे वह दिन याद है। जब मैं सैनिक स्कूल में था और दक्षिण भारत में था। पार्टी छोटी थी और अखबार में कार्टून निकला था। उस समय के संघर्ष के बाद पार्टी बनी है। मजबूत हुई है। जितने साथी हैं, मैं तो कहूंगा कार्यक्रम को सफल बनाने का कार्य करेंगे। मैं पूरी जिम्मेदारी से कहता हूं कि घटनाक्रम भी हुए हैं, दंगे भी हुए हैं। नेताओं में बेचैनी भी है। वह मुझको सुनना चाहते हैं। जानना चाहते हैं। नेताजी आपने सिखाया था कि अन्याय के खिलाफ खड़े हो जाना।

लोग कहने लगे हैं मैं नई पार्टी बनाऊंगा, मैं नई पार्टी क्यों बनाऊंगा। ये कौन लोग हैं जो इस तरह की बात कर रहे हैं। नेताजी यह आपकी पार्टी है, मैं भी पार्टी में रहूंगा। अगर कोई साजिश कर रहा है तो मेरी जिम्मेदारी है कि साजिश के खिलाफ खड़ा होना पड़ेगा। राष्ट्रीय अध्यक्षजी और तमाम नेताओं से कहना चाहता हूं कि स्थापना दिवस मनेगा। आपने कहा कि क्रांति रथ भी चलेगा। आपने आशीर्वाद दिया। सब राजनीतिक दल मैदान में हैं। कार्यक्रम शुरू कर चुके हैं। आपकी पार्टी ने बहुत काम किया है। हर वर्ग के बीच काम किया है। आपने कहा कि 24 महीने में एक्सप्रेस वे बनकर तैयार होना चाहिए। हमने 22 महीने में बना दिया। आपके जन्मदिन पर उद्घाटन करेंगे। सरकार 55 लाख महिलाओं को पेंशन दे रही है। मैं नई पार्टी नहीं बना रहा हूं। आपने कहा था गायत्री प्रजापति, राजकिशोर सिंह, कमाल अख्तर को हटाओ, नेताजी मैंने यह गलती की। कमाल अख्तर को रोक लिया लेकिन उसको नहीं हटाया। इसके बाद प्रजापति भाग कर आपके पास गया, आपने कहा कि दीपक सिंघल को हटा दो, वह बहुत भ्रष्ट है।

मैंने दीपक सिंघल को फोन कर कहा नेताजी से हाथ पैर जोड़ो, नहीं तो हट जाओगो और हटा दिया। आपने कहा कि फिर बना दो मैंने राहुल भटनागर को बना दिया। दस दिन बात फिर बना दूंगा। मुझे हटाने की जब बात हो रही थी, तब तीन घंटे तक अमर सिंह वहां बैठे था। उसने टाइपराइटर मंगा कर दिया उसने हटवा दिया। मैंंने राम गोपाल चाचा से कहा कि मुझे हटाने वाली चिट्ठी दे देना, जैसे ही चिट्ठी दी। मैंंने लोक निर्माण मंत्री से विभाग छीन लिए। इसलिए नहीं छीने कि रामगोपाल चाचा ने कहा था, इसलिए छीने कि अमर सिंह वहां था। अमर सिंह ने पिछले साल ट्वीट किया था कि अक्टबूर में उत्तर प्रदेश सपा में बदलाव होगा, अखिलेश यादव सीएम नहीं रहेंगे। रामगोपाल चाचा ने मुझे किसी को हटाने को नहीं कहा था। ये मेरा कॅरियर है, राजनीति छोड़ दूंगा तो कहां जाऊंगा? मैं कार्यकर्ताओं से अपील करता हूं कि वो नेताजी से अपने दिल की बात कहें। इस दौरान अखिलेश का गला कई बार रूंधा और वह भावुक भी हुए। कहा कोई सवाल पूछेगा तो जवाब देने को तैयार हूं। कहा सब कुछ आपका है, आप कहिए तो अभी इस्तीफा दे दूंगा। मैंने कई बार कहा कि अगर कोई नेताजी का वफादार है तो उनके जाकर सच बताये।

जानिए, पूरे दिन किसने क्या कहा
1-नारेबाजी मत करो। घर जाओ। सब ठीक हो जाएगा। मुझे भी तुम सबकी चिंता है: अखिलेश यादव, 2.10 दोपहर (5, कालिदास मार्ग पर समर्थकों की भीड़ में काफिला रोककर)
2-सदैव खुश रहो (अखिलेश यादव के सिर पर हाथ रखकर) पूरे जीवन में तरक्की करो। तुम्हेंं मेरे हिस्से की बची हुई उम्र भी लग जाए। आगे बढ़ते रहो।

-मुलायम सिंह यादव (विक्रमादित्य मार्ग स्थित पार्टी कार्यालय में अखिलेश के यह कहने पर कि नेताजी आज हमारा जन्मदिन है)

3-नेताजी मेरे एक ही बेटा है, उसकी और गंगाजल की सौगंध खाकर कहता हूं कि अखिलेश ने मुझसे कहा कि नई पार्टी बनाऊंगा, किसी से गठबंधन कर चुनाव लड़ूंगा

-शिवपाल यादव, प्रदेश अध्यक्ष सपा (पार्टी कार्यालय के मंच से)

4- मैं अभी थका नहीं हूं, पार्टी चला सकता हूं। अमर सिंह-शिवपाल यादव मेरे भाई हैं, इनके खिलाफ कुछ नहीं सुन सकता। सच्चाई जानना जरूरी है।

-मुलायम सिंह यादव, सपा सुप्रीमो (पार्टी कार्यालय के मंच से)

कुछ यूं किया जनमत संग्रह
1-मेरे राष्ट्रीय अध्यक्ष होने पर किसी कोई आपत्ति? पुरजोर आवाज आई, नहीं
2-शिवपाल यादव के प्रदेश अध्यक्ष होने पर किसी को आपत्ति? आवाज आयी-नहीं।
3-अखिलेश के मुख्यमंत्री रहने पर किसी को आपत्ति? आवाज गूंजी नहीं- बिल्कुल नहीं
तीनों सवालों के जवाब मिलने पर मुलायम ने कहा कि जब किसी पर किसी को आपत्ति नहीं तो सरकार बनाने में जुटो। नारेबाजी होने लगी तब मुलायम ने फिर कहा साइकिल की सरकार बनाओगे? जवाब मिला हां।


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