विकास में भी हो पीठासीन अधिकारियों की भूमिका : सुमित्रा
लोक सभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन का मानना है कि अब समय आ गया है जब विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों की भूमिका महज सदन संचालन तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। बिना इस बात की चिंता करते हुए कि कहां किस दल की सरकार है उन्हें देश व प्रदेश के विकास
लखनऊ(राज्य ब्यूरो)। लोक सभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन का मानना है कि अब समय आ गया है जब विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों की भूमिका महज सदन संचालन तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। बिना इस बात की चिंता करते हुए कि कहां किस दल की सरकार है उन्हें देश व प्रदेश के विकास में भी भूमिका निभानी चाहिए क्योंकि कोई भी दल विकास के खिलाफ नहीं हो सकता।
विधान सभा के मंडप में भारत के विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के 77 वें सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि समय के साथ-साथ लोगों के दृष्टिकोण में भी परिवर्तन आ रहा है और लोग संसद व विधान सभाओं पर नजर रखते हैं कि देश व प्रदेश के लोगों के लिए कितनी अच्छी व कल्याणकारी योजनाएं बन रही हैं और जनप्रतिनिधि कितना हो हल्ला कर रहे हैं। हो हल्ला करने के बजाय ध्यान लोगों के भले के लिए नीतियां बनाने पर होना चाहिए।
सुमित्रा महाजन ने कहा केंद्र व राज्य के बीच अच्छे सम्बंध रखते हुए विकास पर ध्यान केंद्रित किए जाने की आवश्यकता है। जब तक राज्य मजबूत नहीं होंगे केंद्र भी मजबूत नहीं होगा। केंद्र व राज्य में अलग-अलग दलों की सरकारें हो सकती हैं और होती भी हैं। किस रास्ते से चलकर जल्दी से मंजिल तक पहुंचा ता सकता है इसको लेकर मतभेद होना भी स्वाभाविक है लेकिन मनभेद के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
वेल में आने पर स्वत: निष्कासन पर हो विचार
लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि उनसे मिलने आए एक प्रतिष्ठित अधिवक्ता ने कहा कि सदस्यों के लिए वेल में न आने का नियम है और स्पीकर को अधिकार है कि वह वेल में आने वाले सदस्य के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उसे सदन से बाहर कर सकता है। अधिवक्ता ने उनसे पूछा कि क्या ऐसी व्यवस्था नहीं हो सकती कि वेल में आने पर सदस्य का स्वत: निष्कासन हो जाए और इस बारे में स्पीकर को घोषणा न करनी पड़े। सुमित्रा महाजन ने कहा कि अन्य सदस्यों की भांति पीठासीन अधिकारी भी चुना हुआ जनप्रतिनिधि होता है और उसके लिए किसी सदस्य को बाहर करने का निर्णय मुश्किल होता है। उन्होंने कहा कि यह पीठासीन अधिकारियों को देखना है कि क्या स्वत: निष्कासन के सुझाव पर विचार किया जा सकता है।
पेपर लेस हो लोकसभा व विधान सभाएं
लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि अगर पर्यावरण की चिंता है तो फिर हमें पेपरलेस होने की दिशा में बढऩा होगा। तकनीक का अधिकतम प्रयोग होना चाहिए। कंप्यूटर, लैपटॉप, आइपैड व अन्य नवीनतम चीजों को इस्तेमाल कर कागज के प्रयोग को न्यूनतम करने के लक्ष्य लेकर आगे बढऩा होगा।
सम्मेलन निर्धारित समय से 45 मिनट की देरी से शुरु हुआ। विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय के स्वागत उद्बोधन के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विचार व्यक्त किए। विधान परिषद के सभापति गणेश शंकर पांडेय ने धन्यवाद ज्ञापित किया। सम्मेलन कल भी जारी रहेगा।