समाजवादी पार्टी : पूरी न हुई क्षत्रपों को साधने की मंशा
लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। राज्यसभा चुनाव के टिकट बंटवारे में सपा सुप्रीमो ने हालांकि पूरे राजनीतिक अ
लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। राज्यसभा चुनाव के टिकट बंटवारे में सपा सुप्रीमो ने हालांकि पूरे राजनीतिक अनुभव और कौशल का इस्तेमाल किया लेकिन डा. तजीन फात्मा के इन्कार से सभी क्षत्रपों को संतुष्ट करने की उनकी मंशा पूरी नहीं हो सकी।
सपा के हिस्से में आ रही छह सीटों के लिए सपा ने जिन प्रत्याशियों के नाम घोषित किए, उनमें बुंदेलखंड को प्रतिनिधित्व देने के साथ पिछड़े वर्ग की प्रभावशाली कुर्मी जाति को हिस्सेदारी का संदेश छिपा था। संभल के जावेद अली खान और वरिष्ठ नेता आजम खां की पत्नी तजीन फात्मा को प्रत्याशी घोषित कर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुसलमानों के बीच संतुलन साधने का प्रयास किया था, पर तजीन ने टिकट लौटाकर सपा की सियासत में नए सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि पार्टी में यह बात आम है कि आजम व जावेद राजनीतिक रूप से अलग ध्रुव हैं। लोकसभा चुनाव में यह खटास सामने भी आयी थी जब जावेद की उम्मीदवारी को दरकिनार कर बसपा से आए शफीकुर्रहमान को सम्भल से प्रत्याशी बना दिया गया था। जावेद सपा के महासचिव प्रो. राम गोपाल के नजदीकी माने जाते हैं। सूत्रों का कहना है कि इस बार जावेद को राज्यसभा भेजने का फैसला करके सपा के मुखिया ने लोकसभा चुनाव में उपेक्षा को लेकर जावेद के पुराने दर्द की भरपाई की है। कहीं आजम न नाराज हों, इसके लिए यह संतुलन साधने के प्रयास में उनकी पत्नी डा. तजीन फात्मा को टिकट दिया गया था।
टिकटों के वितरण में मिशन-2017 के लक्ष्य भी साफ है। बुंदेलखंड से चंद्रपाल सिंह यादव को प्राथमिकता इसी नजरिए से दी गई है। बुंदेलखंड की अब तक अनदेखी ही होती रही है। यहां तक कि सरकार में इस क्षेत्र का कोई मंत्री भी नहीं है। इसी तरह कुर्मी वोटों पर पकड़ बनाए रखने के लिए खीरी से रवि प्रकाश ंवर्मा को औरों पर वरीयता दी गई। पार्टीजनों की मानें तो इसी तरह पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर की उम्मीदवारी क्षत्रिय खेमे को संतुष्ट करने के लिए की गई।