मुंशीजी की जयंती पर लमही में लगा मेला, जश्न में डूबा गांव
मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर आज लमही एक बार फिर गुलजार हुई। लोगों का पूरा दिन मेला-ठेला, नाटक-फेरी, रैली-प्रदर्शनी, गीत-संगीत व लोकगीत में बीता। मुंशीजी के विचार-उद्गार भी सबेरे से शाम तक गूंजते रहे। गांव में हिंदी सेवियों की जुटान और लब्ध मेहमानों के आगमन से वाराणसी का लमही अपने
लखनऊ। मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर आज लमही एक बार फिर गुलजार हुई। लोगों का पूरा दिन मेला-ठेला, नाटक-फेरी, रैली-प्रदर्शनी, गीत-संगीत व लोकगीत में बीता। मुंशीजी के विचार-उद्गार भी सबेरे से शाम तक गूंजते रहे। गांव में हिंदी सेवियों की जुटान और लब्ध मेहमानों के आगमन से वाराणसी का लमही अपने सपूत के कृतित्व पर खूब अगराई। गांव वालों ने रामलीला मैदान में अपने अंदाज में जन्म दिवस का जश्न मनाया।
मुंशीजी के विचारों को आत्मसात करे
क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र की ओर से आयोजित जयंती समारोह में नगर के विभिन्न हिस्सों से जुटे हिंदी सेवियों ने मुंशीजी के विचारों को आत्मसात करने का संकल्प लिया। लमही में मुशी जी के स्मारक पर आयोजित जयंती समारोह को ऊंचाई दी मुंशी प्रेमचंद की परंपरा के कथाकार डा.मिथिलेश्वर ने। बोले, साहित्य ने सदैव समाज को सही दिशा दी है। मुंशी जी ने सामाजिक कुरीतियों, धर्म आडंबर व शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद की। मौजूदा दौर में साहित्य ही समाज व लोकतंत्र को सही दिशा दे सकता है। संवेदन शून्यता की ओर बढ़ रहे समाज में मुंशीजी के विचारों के प्रसार की जरूरत है। मुख्य अतिथि आईजी जोन अमरेंद्र कुमार सेंगर ने कहा कि साहित्य के तीर्थ लमही पहुंचकर मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। समाज में प्रेम,भाईचारा व आपसी सौहार्द बढ़ाने के लिए मुंशी जी के साहित्य को आत्मसात करना होगा। संगोष्ठी में प्रो.हरीश त्रिवेदी, डा. कुमार पंकज, डा.मुक्ता, डा.सदानंद आदि ने भाग लिया। संयोजन डा.सुरेंद्र प्रताप, डा.श्रद्धानंद, वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु उपाध्याय व डा.शिव कुमार मिश्र ने तथा संचालन डा.राम सुधार सिंह ने किया।
माहौल में संगीत का रस
आज सबसे पहले हिंदी सेवियों ने मुंशी प्रेमचंद की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। हीरालाल यादव व विष्णु यादव ने लोकगीतों से माहौल में संगीत के रस घोले। बिरहा में मुंशी जी के व्यक्तिव-कृतित्व को याद किया। बाल रंग मंडल के कलाकारों ने मुंशी प्रेमचंद की लोकप्रिय कहानी 'बड़े घर की बेटी का प्रस्तुतिकरण किया, जिसका निर्देशन वरिष्ठ नाट्य कर्मी सलीम राजा ने किया। प्रेरणा कला मंच के कलाकारों ने मुंशी प्रेमचंद की कृति 'रंंग भूमि पर आधारित मातृ भूमि नाट्य का मंचन किया। गोकुल आट्र्स के कलाकारों ने भी अपने अभिनय से बांधा।
पूरे गांव में जश्न का माहौल
मुंशी जी की जयंती को लेकर गांव में सबेरे से ही जश्न का माहौल था। बच्चे हों या वृद्ध सब 'मुंशी जी का मेला ' देखने की तैयारी में जुटे थे। महिलाएं चौका- बासन निबटाकर रामलीला मैदान पहुंचने को उतावली दिखीं। 'अपने ' मुंशीजी के लिखे नाटकों को देखने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा। चाट- गोलगप्पा, खिलौना-बिसातबाना की दुकानों पर लोगों ने जमकर खरीदारी भी की।
रामलीला मैदान में उत्सव
लमही ग्रामसभा की ओर से रामलीला मैदान में जयंती समारोह मनाया गया, जहां मुंशी जी की कृतियों पर आधारित कई नाटकों का मंचन किया गया। बच्चों ने संपूर्ण स्वच्छता रैली तो कलाकारों ने प्रभात फेरी निकाली। वाद्ययंत्रों की धुन पर जनवादी गीत गाते, झूमते नाचते कलाकारों की टोली में बच्चों की बोली रस घोल रही थी।