कभी आमने सामने थी मीराकुमार - मायावती, अब साथ
1985 के उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार मीराकुमार को 128086, रामविलास पासवान को 122747 व निर्दलीय उम्मीदवार मायावती को 61504 वोट मिले थे।
बिजनौर [शिवानंद राय]। राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष से घोषित उम्मीदवार मीराकुमार ने बिजनौर से अपने सियासी सफर की शुरुआत की थी। 1985 में बिजनौर लोकसभा संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव में बतौर कांग्रेस प्रत्याशी उन्होंने दिग्गज नेता रामविलास पासवान को शिकस्त दी थी। बिजनौर से पहली बार महिला सांसद चुने जाने का रिकार्ड भी मीराकुमार के नाम दर्ज है। यही नहीं उनके मुकाबले में मायावती ने मैदान में थी और वह तीसरे स्थान पर रहीं थी।
1984 के आम चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी गिरधारी लाल ने लोकदल के मंगलराम प्रेमी को 99813 मतों से हराया था। वयोवृद्ध व बीमार होने के कारण सांसद गिरधारी लाल का कुछ समय बाद निधन हो गया। सीट खाली होने के बाद 1985 के उपचुनाव में कांग्रेस ने पूर्व उप प्रधानमंत्री जगजीवनराम की बेटी मीरा कुमार को चुनावी मैदान में उतारा। कांटे के संघर्ष में मीराकुमार ने लोकदल के रामविलास पासवान को 5, 339 वोटों से हरा दिया। मीराकुमार को 128086, रामविलास पासवान को 122747 व निर्दलीय उम्मीदवार मायावती को 61504 वोट मिले थे।
चुनाव जीतने के बाद मीराकुमार ने बिजनौर जिले में कोई खास दिलचस्पी नहीं ली। उन्होंने अगला चुनाव सासाराम सीट से लड़ा। कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष सुधीर पारासर व महामंत्री मुनीश त्यागी बताते हैं कि वह पार्टी के युवा कार्यकर्ता होने के नाते उनके चुनाव प्रचार में भागीदार रहे। उनका चुनाव कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह के लिए प्रतिष्ठा का सवाल था। मीरा कुमार का जिले की समाजसेवी व कांग्रेस नेत्री डा. सरोज सिसौदिया के घर आना जाना रहा।
कभी देहरादून का हिस्सा था बिजनौर: 1957 तक बिजनौर जिला देहरादून सीट के अंतर्गत था। 1957 में बिजनौर संसदीय सीट बनी। मीरा कुमार बिजनौर सीट से संसद पहुंचने वाली पहली महिला हैं। 1पूरे देश की लगी थी निगाह : बिजनौर का उपचुनाव कई मायनों में काफी दिलचस्प था। पहला, पूर्व उप प्रधानमंत्री की बेटी मीराकुमार को चुनावी मैदान में ताल ठोंकना। दूसरा, दिग्गज नेता रामविलास पासवान व मायावती का उनसे सामना। वह मायावती के राजनैतिक संघर्ष का दौर था। इसके चलते राजनैतिक हल्के में यह चुनाव चर्चा का सबब बना था।
लखनऊ के लिए लगवाया था कोच : मीराकुमार ने लखनऊ जाने के लिए एक कोच लगवाया था। यह कोच नजीबाबाद से गजरौला तक संचालित होने वाली पैसेंजर ट्रेन में लगता है, जो गजरौला पहुंचने के बाद दूसरी ट्रेन में लगकर लखनऊ जाता है। इस कोच के लगने से यात्रियों को सुविधा मिली थी।