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गिनीज बुक महराजगंज की जलेबी का नाम, मुंबई का रिकार्ड टूटा

मुंबई में 37 किलो की जलेबी के विश्व रिकार्ड को महराजगंज के ग्रामसभा कटहरी के होनहारों की टीम ने 17 सितंबर 2015 को 70 किलो की जलेबी बनाकर तोड़ दिया। जिसका गिनीज बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड में नाम दर्ज कर लिया गया है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Fri, 29 Apr 2016 09:37 PM (IST)Updated: Fri, 29 Apr 2016 09:40 PM (IST)
गिनीज बुक महराजगंज की जलेबी का नाम, मुंबई का रिकार्ड टूटा

लखनऊ। मुंबई में 37 किलों की बनी जलेबी के विश्व रिकार्ड को महराजगंज के सिसवा क्षेत्र के ग्रामसभा कटहरी के होनहारों की टीम ने 17 सितंबर 2015 को 70 किलो की जलेबी बनाकर तोड़ दिया। जिसका गिनीज बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड में नाम दर्ज कर लिया गया है। इसकी जानकारी गिनीज वल्र्ड रिकार्ड के इग्लैंड के ब्रिटेन स्थित मुख्यालय द्वारा जलेबी बनाने वाली टीम के मनीष को ईमेल द्वारा दी गई है।

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ग्रामसभा कटहरी में देवी देवताओं की प्रतिमा तथा मिट्टी के अनेक कलाओं को मूर्त रूप देने में मशहूर 28 वर्षीय होनहार युवक मनीष प्रजापति के अंदर विश्व में क्षेत्र का नाम रोशन करने के लिये जज्बा जगा तो उसने विश्व की सबसे बड़ी जलेबी बनाने की ठानी और अपने पिता, भाइयों सहित गांव के 10 होनहारों (रामेश्वर प्रजापति, डा.सुनील कुमार, डा.अनिल कुमार, उमेश श्रीवास्तव, सुनील शर्मा, विवेक प्रजापति, रविकांत प्रजापति, बैजनाथ गुप्ता व चित्रसेन) की टीम गठित कर कई महीनों तक बड़ी से बड़ी जलेबी बनाने का अभ्यास किया। टीम की दृढ़ इच्छाशक्ति और मजबूत इरादे ने 17 सितंबर 2015 को मूर्त रूप दिया जब उन्होंने 11 फुट की परिधि में 70 किलो की बिना लय व धार टूटे एक जलेबी बनाकर दुनियां को आश्चर्य में डालते हुए गिनीज बुक वल्र्ड रिकार्ड में नाम दर्ज कराने का आगाज कर डाला। यह मेहनत सात महीने बाद रंग लायी।

मनीष को जलेबी बनाने के साथ गिनीज बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड में नाम दर्ज कराने के लिए भी संघर्ष करना पड़ा। मनीष ने समाचार पत्रों की कङ्क्षटग, फोटो, वीडियो क्लिप और सभी डॉक्यूमेंट के साथ इंग्लैंड स्थित गिनीज बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड के मुख्यालय से ईमेल के जरिये संपर्क करना शुरू कर दिया। पहले तो इंग्लैंड के उक्त कार्यालय द्वारा कोई जवाब नहीं आया। फिर भी मनीष ने हिम्मत नहीं हारी और लगातार संपर्क में बने रहे। आखिरकार मनीष की मेहनत रंग लाई। गिनीज बुक कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी मिस्टर क्रिस्टोफर के नेतृत्व में टीम का गठन कर मनीष के सारे दस्तावेजों की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई। जांचोपरांत 27 अप्रैल को मनीष को उसके प्रयास का गिनीज बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड में शामिल करने की जानकारी देते हुए शीघ्र प्रमाण पत्र भेजे जाने की बात कही है।

मनीष की टीम के इस प्रयास के चलते दो मई 2015 को बनाई गई दुनियां की सबसे बड़ी जलेबी का वह रिकार्ड टूट गया, जिसमें मुंबई के संस्कृति रेस्टोरेंट में गौरव चतुर्वेदी के 12 सदस्यीय टीम ने नौ फुट परिधि की चौड़ाई में 37 किलो की जलेबी बनाई थी। मनीष ने जागरण को बताया कि उन्होंने अब दुनिया का सबसे बड़ा 13 फुट का घड़ा बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। कोरिया के नाम सबसे बड़े 12 फुट के घड़े के दर्ज रिकार्ड को तोड़कर जिले की मिट्टी में दुनियां का सबसे बड़ा 13 फुट का घड़ा बनाकर पुन: जिले को गिनीज बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड में नाम दर्ज कराने का प्रयास करेंगे। इसकी रूप रेखा तैयार की जा रही है।


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