ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड में पूर्व विधायक विजय सिंह को आजीवन कारावास
ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड में आज इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पूर्व विधायक विजय सिंह के साथ ही हत्या के आरोपी संजीव माहेश्वरी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
लखनऊ (जेएनएन)। भाजपा के पूर्व मंत्री ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के मामले में समाजवादी पार्टी के पूर्व एमएलए विजय सिंह और संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा को ट्रायल कोर्ट द्वारा 14 साल पहले सुनाई गई उम्रकैद की सजा पर हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मुहर लगा दी। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा 17 जुलाई 2003 को सुनाई गई सजा को चुनौती देने वाली दोनों की अपीलें खारिज कर दी हैं। जीवा पहले से ही एक मामले में जेल में है, जबकि विजय सिंह को कोर्ट ने पांच जून को निचली अदालत में सरेंडर करने का आदेश दिया है।
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जस्टिस अजय लांबा व जस्टिस विजय लक्ष्मी की बेंच ने यह आदेश विजय सिंह व जीवा की ओर से अलग-अलग दायर अपीलों को शुक्रवार को खारिज करते हुए पारित किया। अपीलार्थियों ने अपर सत्र न्यायाधीश के 17 जुलाई, 2003 के आदेश को चुनौती देकर कहा था कि उन्हें दोषसिद्ध करने व सजा सुनाने में भारी भूल की गई थी। कहा गया था कि निचली अदालत के सामने उन्हें दोष सिद्ध करने के लिए कोई पर्याप्त सुबूत नहीं थे, फिर भी उसने मृतक के रिश्तेदारों की झूठी गवाही पर सजा सुना दी। कहा गया कि अभियोजन अपीलार्थियों के खिलाफ अपराध साबित नहीं कर पाया था। 27 पेशियों तक चली सुनवाई में कोर्ट ने पाया कि ट्रायल कोर्ट का फैसला बिल्कुल सही था। कोर्ट ने कहा कि द्विवेदी व उनके गनर की हत्या के लिए तथा द्विवेदी के ड्राइवर की हत्या का प्रयास करने के आरोपों को अभियोजन ने बिना किसी संदेह के साबित किया था।
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यह है मामला
पूर्व मंत्री ब्रह्मदत्त द्विवेदी की दस फरवरी, 1997 की रात फर्रुखाबाद में लोहाई रोड पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। घटना में उनके गनर बृजकिशोर तिवारी की भी गोली लगने से मौत हो गई थी, जबकि ड्राइवर शेर सिंह उर्फ रिंकू को भी चोटें आई थीं। घटना उस समय हुई थी जब द्विवेदी एक तिलक समारोह से देर रात लौट रहे थे। घटना की प्राथमिकी द्विवेदी के भतीजे सुधांशु दत्त द्विवेदी ने फर्रुखाबाद के कोतवाली थाने पर 10 फरवरी, 1997 को लिखाई थी। उसी दिन मामले की विवेचना सीबीआइ को सौंप दी गई थी। सीबीआइ ने जांच के बाद आठ लोगों के खिलाफ आरोप पत्र प्रेषित किया था। अभियुक्तों के खिलाफ ट्रायल कोर्ट ने 23 जुलाई, 2001 को आरोप तय किया था। विचारण के दौरान अभियुक्त रमेश ठाकुर की मौत हो गई थी। विचारण के दौरान सीबीआइ ने 67 गवाह पेश किए थे। 17 जुलाई, 2003 को सुनाए गए अपने फैसले में ट्रायल कोर्ट ने विजय सिंह व जीवा को हत्या व हत्या के प्रयास का दोषी पाकर दोनों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। बाद में विजय को जमानत मिल गई थी, जबकि जीवा दूसरे केस में जेल में ही रहा। हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि घटना की प्राथमिकी तत्काल लिखाई गई थी, जिसमें विजय सिंह को नामजद करते हुए बाकी लोगों को अज्ञात बताया गया था। जीवा का नाम विवेचना के दौरान प्रकाश में आया। घटना की तस्दीक तीन चश्मदीद गवाहों सुधांशु दत्त द्विवेदी, प्रभु दत्त द्विवेदी व विजय कुमार दुबे ने की। कोर्ट ने हालांकि अपने फैसले में सीबीआइ द्वारा की गई विवेचना पर सवाल भी उठाए।
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रंग लाया मेजर सुनील दत्त का लंबा संघर्ष
पिता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के बाद सेना की नौकरी छोड़कर फर्रुखाबाद लौटे मेजर सुनील दत्त द्विवेदी ने कठिन हालात में भी आपा नहीं खोया और कानून पर भरोसा किया। जिला अदालत से इलाहाबाद हाईकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट में लगातार पैरवी करते हुए मेजर सुनील दत्त ने अपने पिता के हत्यारों को सजा दिला दी। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पूर्व विधायक विजय सिंह के साथ ही हत्या के आरोपी संजीव माहेश्वरी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
मेजर सुनील दत्त ने पिता के हत्यारों को सजा दिलाने की खातिर राजनीति में कदम रखा। 2003 से लगातार पैरवी करके मेजर ने पेशेवर अपराधियों से भी मोर्चा लिया। समाजवादी पार्टी की सरकार में भी वह विधायक विजय सिंह के खिलाफ हर मोर्चे पर लड़ते रहे। फर्रुखाबाद से भाजपा के टिकट पर विजय सिंह के खिलाफ पिछला चुनाव 148 वोट से हारने वाले मेजर सुनील दत्त ने इस बार पहली बार विधायक होने का गौरव भी पाया। मेजर ने विजय सिंह को 48 हजार मतों से पराजित किया।