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पिता से डांट खाते-खाते ही बीते मुख्यमंत्री अखिलेश के साढ़े चार साल

साढ़े चार वर्षों में जब-जब मुलायम अखिलेश पर गुस्साए, अखिलेश एक आज्ञाकारी पुत्र की तरह सिर झुकाए उनकी बात सुनते रहे।मुख्यमंत्री यह कह कर आगे बढ़ जाते कि वह मेरे पिता हैं

By Ashish MishraEdited By: Published: Wed, 26 Oct 2016 08:51 AM (IST)Updated: Wed, 26 Oct 2016 11:46 AM (IST)
पिता से डांट खाते-खाते ही बीते मुख्यमंत्री अखिलेश के साढ़े चार साल

लखनऊ(जेएनएन)। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आज भले ही उग्र्र रूप में सामने आए हैं, किंतु उनके साढ़े चार साल पिता मुलायम सिंह यादव से डांट खाते ही बीते। इस दौरान मुलायम ने न सिर्फ सार्वजनिक कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री को कठघरे में खड़ा किया, बल्कि कई बार उनकी स्वयं मुख्यमंत्री न बनने की बात भी सामने आयी।
साढ़े चार वर्षों में जब-जब मुलायम अखिलेश पर गुस्साए, अखिलेश एक आज्ञाकारी पुत्र की तरह सिर झुकाए उनकी बात सुनते रहे। मुलायम सार्वजनिक कार्यक्रमों में अखिलेश को खरी-खोटी सुनाते और मुख्यमंत्री यह कह कर आगे बढ़ जाते कि वह सिर्फ पार्टी अध्यक्ष ही नहीं मेरे पिता भी हैं, इसलिए डांटना तो उनका अधिकार है।

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2012 में सरकार बनने के बाद एक साल होते-होते मुलायम सिंह यादव प्रदेश की अपनी ही सरकार के खिलाफ मुखर होने लगे थे। 23 मार्च 2013 को लखनऊ में डॉ.राम मनोहर लोहिया की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में मुलायम ने यहां तक कह दिया कि अखिलेश चमचों से घिरे हैं। मुलायम बार-बार कहते रहे कि मंत्री भ्रष्ट हैं, लूट मचा रहे हैं जबकि मुख्यमंत्री व्यस्त रहते हैं। फरवरी में पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने यहां तक कह दिया कि मंत्री पैसा कमा रहे हैं। यदि उन्हें पैसा ही कमाना है तो वे बिजनेस करें, प्रदेश सरकार से कहकर वह मदद करा देंगे।

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समाजवादी पार्टी की स्थापना के बाद 2012 में पहली दफा पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला था। पार्टी में एक धड़ा चाहता था कि मुलायम स्वयं मुख्यमंत्री बनें, इसके बावजूद मुलायम ने पुत्र को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया। सरकार बनने के सवा साल बाद चार जून 2013 को लखनऊ में पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मुलायम ने प्रदेश की खराब होती कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि यदि मैं मुख्यमंत्री होता, तो 15 दिन में सब ठीक कर देता। अखिलेश चाहें तो कानून व्यवस्था तुरंत ठीक हो सकती है। मैनपुरी में छह सितंबर 2015 को तमाम विकास कार्यक्रमों का शिलान्यास हो रहा था। अचानक मुलायम के तेवर सख्त हो गए। उन्होंने कहा कि मैं मुख्यमंत्री होता तो ये सारे काम छह माह में हो जाते। फिर अखिलेश से पूछा, स्कूल कब बनेगा सीएम साहब।
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मुलायम के सख्त बोल
23 मार्च 2013
- अखिलेश चमचों से घिरे हैं... आपके मंत्री कुछ नहीं कर रहे हैं। मुझसे कुछ नहीं छिपा है।
चार मार्च 2014
- सुन लीजिये मुख्यमंत्रीजी, अपनी सरकार के बारे में, चापलूसी से काम हो रहा है, चापलूसी से खुश होने वाले धोखा खा जाते हैं।

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पांच अगस्त 2015
- वह तो बहुत बिजी सीएम हैं... लोग इनकी शिकायत करते हैं... इनके पास टाइम नहीं होता।
15 अगस्त 2015
- मुख्यमंत्री जी, आप लोगों से मिलते क्यों नहीं हैं? आप जनता से नहीं मिलेंगे.... तो जनता आप से दूर हो जाएगी।
आठ फरवरी 2016 -
मंत्री लूट मचाए हैं। मुख्यमंत्री छोटे-छोटे कार्यक्रमों में बिजी रहते हैं। जब भी मैं पूछता हूं, कहां तो, तो कहते हैं लखनऊ में एक प्रोग्र्राम में हूं।

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