केजीएमयू के प्रत्येक भवन की होगी जांच
फोटो सिफारिश की - विद्युत सुरक्षा निदेशालय से की जांच करने की सिफारिश - 15 जुलाई का
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सिफारिश की
- विद्युत सुरक्षा निदेशालय से की जांच करने की सिफारिश
- 15 जुलाई को लगी आग के बाद जागा केजीएमयू प्रशासन
जागरण संवाददाता, लखनऊ : 15 जुलाई को लगी आग के बाद जागे केजीएमयू प्रशासन ने अपने बहुमंजिला भवनों की जांच विद्युत सुरक्षा निदेशालय से कराएगा। उद्देश्य स्पष्ट है कि ट्रामा सेंटर जैसे अग्निकांड की पुनरावृत्ति फिर न हो। इसलिए लारी कार्डियोलॉजी, गांधी वार्ड व शताब्दी बिल्डिंग जैसे भवनों की विद्युत व्यवस्था पूरी तरह से परखी जाएगी। इसके लिए विद्युत सुरक्षा निदेशालय ने अपनी ओर से तैयारी शुरू कर दी है।
अग्निकांड के दौरान सिर्फ ट्रामा सेंटर की जांच हुई थी। जांच के दौरान विद्युत सुरक्षा निदेशालय ने भविष्य में किन बातों का ध्यान रखना है, उसका उल्लेख किया था। साथ ही विद्युत व्यवस्था अपग्रेड करने की सिफारिश की थी। अब केजीएमयू प्रशासन की मंशा है कि पहले चरण में उन भवनों की जांच की जाएगी, जो सीधे मरीज व तीमारदार से कनेक्ट हैं। इनमें न्यू ओपीडी बिल्डिंग, शताब्दी अस्पताल फेस वन व टू, गांधी वार्ड, डेंटल ओल्ड व न्यू बिल्डिंग, कलाम सेंटर, लिंब सेंटर, छात्रावास, कुलपति कार्यालय, लारी कार्डियोलाजी, क्वीन मैरी सहित कई भवन हैं। इनकी जांच करने में विद्युत सुरक्षा निदेशालय को कई सप्ताह का समय भी लगेगा।
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आठ हजार से अधिक की होती है ओपीडी
केजीएमयू में ओपीडी आठ हजार से अधिक की होती है। ऐसे में प्रशासन अब कोई रिस्क नहीं लेना चाहता। मंशा स्पष्ट है कि परिसर में भर्ती रहने वाले 3500 मरीजों व इतने ही तीमारदारों की सुरक्षा व्यवस्था और पुख्ता की जाए।
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केजीएमयू परिसर के सभी भवनों की जांच करवाने के लिए केजीएमयू प्रशासन की ओर से फोन आया था। उन्हें सुझाव दिया गया है कि जांच के लिए विद्युत सुरक्षा निदेशक को पत्र लिख दें, जिससे मंडलीय स्तर का अफसर जांच कर सके।
पीके निगम, सहायक निदेशक, विद्युत सुरक्षा निदेशालय
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17 अगस्त को विद्युत सुरक्षा निदेशालय को पत्र लिखकर जांच के लिए कहा गया है। केजीएमयू के जो भवन मानक के हिसाब से हैं, उन्हें एनओसी दी जाए और जहां कमियां हैं उन्हें दूर किया जाएगा।
राजेश राय, रजिस्ट्रार, केजीएमयू।