केशव प्रसाद मौर्या का चाय वाले से डिप्टी सीएम का सफर
केशव प्रसाद मौर्या ने चायवाले से अपना करियर शुरू कर अब डिप्टी चीफ मिनिस्टर तक का पड़ाव प्राप्त कर लिया है।
By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sun, 19 Mar 2017 05:16 PM (IST)Updated: Sun, 19 Mar 2017 05:41 PM (IST)
लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश के बाद भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय स्तर की राजनीति पर चमकने वाले केशव प्रसाद मौर्या ने चायवाले से अपना करियर शुरू कर अब डिप्टी चीफ मिनिस्टर तक का पड़ाव प्राप्त कर लिया है। भाजपा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष के साथ फूलपुर से सांसद केशव प्रसाद मौर्या का आरंभिक जीवन बेहद संघर्ष से भरा रहा।
केशव प्रसाद का सफरनामा
नाम - केशव प्रसाद मौर्य
जन्मतिथि - 07 मई 1968
पिता - श्यामलाल मौर्य
माता - धनपती देवी मौर्या
पत्नी - राजकुमारी देवी मौर्या
बच्चे - दो पुत्र
मूल निवास - ग्राम कसिया, तहसील सिराथू, जिला कौशांबी।
वर्तमान पता - 10/2 अल्कापुरी कालोनी, न्यायमार्ग, इलाहाबाद
शिक्षा - हिन्दी साहित्य सम्मेलन से वर्ष 1997 में ङ्क्षहदी साहित्य से स्नातक।
प्रारंभिक जीवन
केशवप्रसाद मौर्य का आरंभिक जीवन बेहद संघर्षशील रहा। उनके पिता साधारण किसान परिवार से थे और चाय की दुकान चलाते थे। किशोरावस्था तक केशव मौर्य चाय की दुकान पर अपने पिता का सहयोग करते थे और अखबार विक्रेता का काम भी करते थे।
राजनीतिक सफर
किशोरावस्था में ही केशवप्रसाद मौर्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए। उन्होंने संघ, विश्व ङ्क्षहदू परिषद और बजरंग दल में विभिन्न पदों पर कार्य किया। संघ में नगर कार्यवाह से लेकर विहिप के प्रांत संगठन मंत्री तक का दायित्व उन्होंने बखूबी निभाया। वर्ष 2002 में भाजपा के टिकट पर पहली बार इलाहाबाद शहर पश्चिमी की सीट से विधानसभा चुनाव में भाग्य आजमाया था, लेकिन हार गए थे। 2005 में शहर पश्चिम विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी उन्होंने भाग्य आजमाया था। इसके बाद वर्ष 2012 में अपने पैतृक क्षेत्र सिराथू से विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। बस यहीं से उनके भाग्य का सितारा बुलंदी की ओर चला गया। विहिप के प्रमुख अशोक सिंहल के बेहद करीबी केशव प्रसाद मौर्य को भाजपा ने 2014 में इलाहाबाद जिले की ही फूलपुर लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया। उन्होंने तीन लाख से अधिक मतों से विजय हासिल की। भाजपा जब विधानसभा चुनाव की तैयारी करने लगी तो पिछड़े मतों को लामबंद करने के लिए 08 अप्रैल 2016 को पार्टी ने केशवप्रसाद मौर्य को प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त कर उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी, जिसे उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को प्रचंड बहुमत से जीत दिलाकर सही साबित कर दिया। उसका उन्हें उप मुख्यमंत्री के रूप में इनाम दिया गया।
पीटर यांग्र्रीन के विरोध ने बदली किस्मत
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के राजनीतिक जीवन में टर्निंग प्वाइंट मसीही धर्म प्रचारक पीटर यांग्रीन का विरोध करना रहा। पीटर यांग्रीन 2013 में इलाहाबाद में धर्म प्रचार के लिए आए थे। ङ्क्षहदूवादी संगठन उसके विरोध में खड़े थे। विरोध की कमान केशव ने संभाल ली। तब वह सिराथू से भाजपा विधायक थे। यांग्रीन के विरोध में केशव को पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। विहिप संरक्षक अशोक सिंहल को उनका यह संघर्ष काफी भाया। वह जेल में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को लेकर केशव से मिलने गए। साथ ही 2014 के लोकसभा चुनाव में फूलपुर संसदीय क्षेत्र से केशव की खुलकर पैरवी की। टिकट मिलने पर वह सांसद चुने गए, फिर प्रदेश अध्यक्ष और अब उप मुख्यमंत्री बन रहे हैं।
बेटे को जो मिला उससे संतुष्ट हैं श्यामलाल
केशव प्रसाद मौर्य मुख्यमंत्री नहीं बने, इससे उनके समर्थकों को जरूर मायूसी हुई लेकिन उनके पिता श्यामलाल इससे ही खुश थे कि बेटा उपमुख्यमंत्री होगा सूबे का। उन्होंने कहा कि बेटा मुख्यमंत्री नहीं बना तो क्या हुआ? डिप्टी सीएम का ओहदा तो मिला है न। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने जो भी फैसला लिया होगा, सोच समझकर लिया होगा। बेटे से क्या उम्मीदें हैं, इस पर श्यामलाल ने कहा, केशव क्षेत्र का नाम रोशन करेंगे, गरीबों का दुख दूर करेंगे, यही उम्मीद है।
उठाए रहे भगवा झंडा
केशव प्रसाद मौर्य साधारण परिवार से हैं। पिता खेती-बारी से जुड़े हैं। भाइयों का भी कोई बड़ा व्यवसाय नहीं है। संघ से जुडऩे के बाद केशव ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। जब केशव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक थे तब उन्हें पारिश्रमिक के तौर पर चंद रुपये मिला करते थे। तंगहाली के बीच केशव भगवा झंडा उठाए रहे।
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