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विधानसभा चुनाव लड़ चुका समीउल्लाह, नेटवर्क तलाश रहीं एजेंसियां

मौलाना मुफ्ती अब्दुल समी कासमी उर्फ शमीउल्लाह का नेटवर्क खंगालने में सुरक्षा एजेंसियां सक्रिय हो गयी हैं। उत्तर प्रदेश के अलावा दूसरे राज्यों में समी के नेटवर्क पर निगाहें लगी हैं। कई जगह एटीएस की टीम ने छानबीन की।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sun, 07 Feb 2016 10:46 AM (IST)Updated: Sun, 07 Feb 2016 08:29 PM (IST)
विधानसभा चुनाव लड़ चुका समीउल्लाह, नेटवर्क तलाश रहीं एजेंसियां

लखनऊ। मौलाना मुफ्ती अब्दुल समी कासमी उर्फ शमीउल्लाह उत्तर प्रदेश के स्वार क्षेत्र से विधानसभा चुनाव भी लड़ चुका है। सुरक्षा एजेंसियां उस का नेटवर्क खंगालने में सक्रिय हो गयी हैं। उत्तर प्रदेश के अलावा दूसरे राज्यों में समी के नेटवर्क पर निगाहें लगी हैं। कई जगह एटीएस की टीम ने छानबीन की। जल्द कुछ खुराफाती तत्वों को पकड़े जाने के संकेत हैं। एनआइए और एटीएस ऐसे लोगों को चिह्नित करने में जुटी है जो वाकई संदिग्ध हैं। शुरुआती दिनों में पकड़े गये दर्जन भर से ज्यादा आइएस समर्थक संदिग्धों से समी के काफी मजबूत संबंध रहे हैं। दिल्ली में रहने वाले पश्चिमी और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई युवाओं पर भी उसने खिलाफत अभियान से जुडऩे के लिए दबाव बनाया था। एटीएस की एक टीम रिमांड पर लिए गये समी से पूछताछ को दिल्ली गयी है। उससे दिल्ली में कुछ खास पूछताछ भी हुई लेकिन एजेंसियों ने इसे साझा करने से इंकार कर दिया है। अभी आगे भी उससे पूछताछ होनी है। समी को एनआइए ने रिमांड पर ले रखा है। माना जा रहा है कि मौलाना समी ने कुछ महत्वपूर्ण सुराग दिये हैं। इस बारे में भी तहकीकात चल रही है।

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मदरसों में होती रही तकरीर

समी की प्रदेश के कई मदरसों में तकरीर होती रही है। एटीएस यह ब्यौरा जुटा रही है कि मौलाना समी किन किन मदरसों में गया था और उसने कब कहां क्या कहा है। उसके प्रभाव का आकलन किया जा रहा है। गुमराह करने में माहिर मौलाना समी ने 2007 में रामपुर के स्वार टांडा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा तब उसका नाम शमीउल्लाह था लेकिन एटीएस को उसने अपना नाम मुफ्ती मौलाना अब्दुल समी कासमी बताया। समी ने अपने ऊपर कई तरह का आवरण ओढ़ रखा है। एटीएस इसकी भी छानबीन कर रही है। मौलाना लोगों को गुमराह करने में भी माहिर है।

एटीएस के हाथ लगे इनपुट

सूत्रों की माने तो उत्तर प्रदेश में आइएस के समर्थन और देशविरोधी गतिविधियों में शामिल कुछ और लोगों के मूवमेंट के बारे में एटीएस को पता चला है। एटीएस के किसी अधिकारी ने इसे साझा नहीं किया है लेकिन माना जा रहा है कि जल्द ही कुछ छिपी चौंकाने वाली सच्चाई सामने आयेगी।

प्रभावी ढंग से बात कहने की क्षमता

हरदोई के संडीला से गिरफ्तार मुफ्ती अब्दुल समी कासमी के इरादे बेहद खतरनाक हैं। आइएसआइएस नेटवर्क से गहराई तक जुड़े कासमी ने देश में तबाही मचाने की पृष्ठभूमि तैयार की थी। हाल ही में पकड़े गये आइएस से जुड़े 12 आतंकियों ने रिमांड के दौरान पूछताछ में यह सच उजागर किया। कासमी की तकरीर से ही देश विरोधी गतिविधि के लिए ये आतंकी प्रेरित हुए थे। समी देश स्तर पर जेहादी संगठन तैयार करने में जुटा था। रामपुर के अजीमनगर के कासमी ने दिल्ली के वैल्कम, सीलमपुर में ठिकाना बनाया। वजीराबाद में मौलाना के रूप में 50 वर्षीय समी कासमी ने भड़काऊ भाषण व वेबसाइट पर आइएस समर्थित तकरीरों का संकलन कर युवाओं को निरंतर गुमराह किया। प्रभावी ढंग से बात कहने की क्षमता के चलते मौलाना ने युवाओं को अपने सांचे में ढालने का काम किया। तीन-चार मुलाकातों में ही समी जेहाद के नाम पर 18 से 28 वर्ष के युवाओं के दिल दिमाग में नफरत का जहर भर देता है। उसने खुद एक बड़ी चेन तैयार की है।

सच्चाई जानने दिल्ली गयी एटीएस टीम

अब्दुल समी कासमी की करतूतों के बारे में पूछे जाने पर आइजी एटीएस असीम अरुण का कहना है कि वह एनआइए का वांछित था और हमारी टीम ने गिरफ्तारी में मदद की। उसके बारे में अभी हमने कोई जानकारी नहीं ली और न ही पूछताछ हो सकी लेकिन एसपी रोहन पी. कनय के साथ टीम पूछताछ के लिए भेजी है। टीम सभी बिंदुओं पर एटीएस टीम उससे पूछताछ करेगी। एटीएस टीम उत्तर प्रदेश में समी से जुड़े युवाओं और उसके नेटवर्क की भी पड़ताल करेगी।

इंटरनेट से इंटरनेशनल संपर्क

सुरक्षा एजेंसियों ने अब तक की पूछताछ में यह पाया कि अब्दुल कासमी लगातार देश व्यापी दौरे पर रहता है। वह धार्मिक पुस्तकों के हवाले से युवाओं को गुमराह करता है। उसके पास तर्क शक्ति है और वह बात सिद्ध करने की भी अद्भुत क्षमता रखता है। इंटरनेट के जरिए उसके इंटरनेशनल संपर्क हैं। अब इन संपर्कों की पड़ताल होगी। आइएसआइएस के इंडिया हेड शफी अरमर से भी उसके रिश्ते हैं। अब जांच एजेंसी इस बात की पड़ताल में लगी है कि उसके पास पैसे कहां से आये। नेपाल कनेक्शन की पड़ताल आइएस से जुड़े दर्जन भर आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद नेपाल के पोखरा में हुई एक खास बैठक में अब्दुल समी के शिरकत करने के संकेत मिले हैं। उस बैठक में प्रतिक्रिया स्वरूप दोबारा उत्तर प्रदेश को दहलाने की साजिश भी रची गयी थी। सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में कहां तक सच्चाई है, इसकी छानबीन की जा रही है। कासमी को पुलिस रिमांड पर लेने के बाद इसका राजफाश होगा।

समीउल्लाह को चुनाव लड़ा चुके यूसुफ कुरैशी

गिरफ्तार मौलवी अब्दुल सामी कासमी उर्फ समीउल्लाह ने रामपुर की स्वार विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। वह मेरठ के कद्दावर नेता डाक्टर यूसुफ कुरैशी की पार्टी यूडीएफ का अधिकृत उम्मीदवार था। समीउल्लाह मूल रूप से थाना अजीमनगर के हरैटा गांव का रहने वाला है। करीब 15 साल से वह दिल्ली में परिवार के साथ रह रहा है, लेकिन अब भी एक-दो महीने में गांव में अपने भाइयों के पास आता रहता है। उसकी गिरफ्तारी की जानकारी से जिले की पुलिस और खुफिया तंत्र अलर्ट हो गया है। खुफिया अधिकारी रविवार को हरैटा गांव पहुंचे और उस के बारे में जानकारी जुटाई। पता चला है कि समीउल्लाह ने यहां राजनीति में भी हाथ आजमाए थे। कई नेताओं के साथ उसकी तस्वीरें भी मिली हैं। इसके अलावा उसने 2007 में स्वार विधानसभा सीट से मेरठ के यूसुफ कुरैशी की पार्टी यूडीएफ के टिकट पर चुनाव भी लड़ा, पर हार गया था। उसका हापुड़ में भी एक बड़ा मदरसा है। गांव में इसके दो भाई रहते हैं। पिता की मौत हो चुकी है। एक भाई सईद अहमद गांव में ही जामिया अबु बक्र सिद्दीक नाम से मदरसा चलाते हैं। उन्होंने कहा कि कतई यकीन नहीं है कि समीउल्लाह आतंकी गतिविधियों में लिप्त था। चूंकि वह राजनीति में सक्रिय था इसलिए राजनीतिक कारणों से उसे फंसाया गया। हमने इस संबंध में जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष सैयद अरशद मदनी से मदद मांगी है। अजीमनगर पुलिस ने बताया कि गांव जाकर उसके बारे में जानकारी की गई। उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। पुलिस अधीक्षक साधना गोस्वामी का कहना है कि उसके बारे में जांच कराई जा रही है।

मजहबी जलसों में हुई थी मुलाकात: युसूफ

मौलाना समी उल्लाह से यूडीएफ के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष डाक्टर यूसुफ कुरैशी ने पल्ला झाड़ लिया है। उन्होंने बताया कि 2007 के विस चुनाव में स्वार विधानसभा क्षेत्र से उसे अपना उम्मीदवार जरूर बनाया था। उससे मुलाकात मजहबी जलसों में हुई थी। डा. युसूफ का कहना है कि मौलाना समी से मदरसों के कार्यक्रम और मजहबी जलसों में अकसर मुलाकात होती रहती थी। वे तकरीर बढिय़ा करते थे। लिहाजा जब राजनीतिक दल के गठन की बात चली तो वे भी पार्टी में शामिल हुए। उनमें संभावना दिखी थी, और यूडीएफ पार्टी ने उन्हें अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। वरिष्ठ कांग्रेस नेता युसूफ कुरैशी ने बताया कि मजहबी जलसों में कई मर्तबा उन्हें सुनने का मौका मिला तो चुनाव के दौरान राजनीतिक मंच साझा भी किया, लेकिन कभी ऐसा नहीं लगा कि वे कोई ऐसा काम कर सकते हैं जिससे उनका आचरण शक के घेरे में आए। या गलत गतिविधियों में लिप्त हों। मौलाना समीउल्लाह ने 2006 में यूडीएफ का दामन थामा था। उन्होंने दारूल उलूम, देवबंद से कासमी की तालीम ली थी। वे तकरीरों में मुस्लिमों के उत्थान और उसके हक की उपेक्षा पर बेबाकी से राय रखते थे। यही यूडीएफ का भी मंत्र था, इसलिए उन्हें राजनीतिक दल बनाने के समय मौका दिया गया।

संडीला से समी को एटीएस ने पकड़ा

एनआइए की टीम ने लखनऊ एटीएस के साथ हरदोई-लखनऊ मार्ग पर संडीला से संदिग्ध आतंकी गतिविधियों में शामिल युवक अब्दुल समी कासमी को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की। मूलत: रामपुर के कासिम ने दिल्ली में ठिकाना बनाया है। दरअसल 1993 में कानपुर ट्रेन में बम विस्फोट का आरोपी तुफैल संडीला का रहने वाला है जो कि अब तक फरार है। संडीला कताई मिल चौकी के आसपास कल दोपहर को ही एनआइए टीम ने डेरा डाल दिया था। कासमी के सड़क मार्ग से लखनऊ की तरफ जाने की सूचना मिली थी। मौके पर मौजूद लोगों के अनुसार हरदोई की तरफ से काले रंग की कार आती दिखी। टीम के सदस्यों ने सड़क पर ट्रक खड़ा कर उसे रोक लिया और कार सवार सभी चार लोगों को कब्जे में ले लिया। बाद में तीन को छोड़ दिया गया और एक को लखनऊ लेकर चली गयी। पुलिस अधीक्षक उमेश कुमार ङ्क्षसह का कहना है कि हरदोई से कोई मामला जुड़ा नहीं है। अदालत से जारी वारंट पर एनआइए उसकी तलाश कर रही थी और हरदोई से लखनऊ के बीच उसे गिरफ्तार कर लिया।


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