क्योटो की तरह काशी के मंदिर, गलिया और नदी
लखनऊ। क्योटो के उप महापौर के. ओगासावारा, छह सदस्यीय जापानी दल संग आज काशी पहुंचे। नदेसर स्ि
लखनऊ। क्योटो के उप महापौर के. ओगासावारा, छह सदस्यीय जापानी दल संग आज काशी पहुंचे। नदेसर स्थित होटल गेटवे में महापौर रामगोपाल मोहले ने उनका स्वागत किया। यहा अल्पाहार करने के बाद करीब 3.35 बजे वे दल संग काशी भ्रमण पर निकले। उत्साह से लबरेज उप महापौर ने कहा कि क्योटो व काशी में काफी समानता है। यहा के मंदिर, गलिया व गंगा नदी क्योटो शहर की तरह ही हैं। क्योटो शहर में भी कामोगावा नदी बहती है। वह भी मंदिरों का शहर है। गलिया संकरी हैं तो उनमें पत्थर बिछाया गया है।
देखते रह गए सिंह शीर्ष
भ्रमण के दौरान जापानी दल सारनाथ पहुंचा शाम 3.50 बजे। वहा सबसे पहले पुरातात्विक खण्डहर का अवलोकन किया। परिसर में प्राचीन मूलगंध कुटी मंदिर के अवशेष व अशोक स्तंभ देखे। सारनाथ के पार्षद अजय जैन ने धरोहरों के बारे में जानकारी दी। इसके बाद टीम संग्रहालय पहुंची, जहा मुख्य हाल में रखे भारत के राष्ट्रीय चिन्ह सिंह शीर्ष देख उप महापौर कुछ देर के लिए वहा खड़े ही रह गए। पुरातात्विक अवशेषों के बाबत पूरी जानकारी ली और फिर शाम 4.10 बजे दीनापुर के लिए निकल गए।
कम क्षमता की एसटीपी
जापानी दल ने शाम करीब 4.23 बजे दीनापुर ट्रीटमेंट प्लाट का अवलोकन किया, उसकी क्षमता व कार्यशैली को जाना। दल ने प्लाट के प्रथम व द्वितीय यूनिट का अवलोकन किया और उसकी कार्यक्षमता को जाना। इसके बाद जल निगम के अधिकारियों संग वार्ता की। इस दौरान अधिकारियों ने प्लाट संबंधित बुकलेट डिप्टी मेयर को प्रदान की। आकलन के बाद जापानी टीम ने माना कि प्रोजेक्ट के सापेक्ष एसटीपी की क्षमता कम है। उन्होंने प्लाट की क्षमता बढ़ाने का सुझाव भी अधिकारियों से मागा।
समझा हर-हर गंगे का महात्य्म
क्योटो के उप महापौर के ओगासावारा टीम संग गंगा आरती देखने के लिए शाम 6.30 बजे दशाश्वमेध घाट पहुंचे। इस दौरान उन्होंने हर-हर गंगे का महात्म समझा। इसमें ट्रासलेटर अशोक के चावला ने आरती के एक-एक बिंदु को समझाया। शाम सात बजे वहा से निकल गए। गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशात मिश्र ने अंग वस्त्र स्मृति चिन्ह व प्रसाद देकर सम्मानित किया।
विलंब से पहुंचा विमान
जापानी दल को लेकर आया जेट एयरवेज का विमान लगभग आधे घटे विलंब से सुबह 11.55 बजे बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंचा।