जलपुरुष का केंद्र की नदी जोड़ो परियोजना के खिलाफत का एलान
मैग्सेसे पुरस्कार विजेता राजेंद्र सिंह ने नदी जोड़ों परियोजना को बताया छलावा बोले, इससे उद्या
मैग्सेसे पुरस्कार विजेता राजेंद्र सिंह ने नदी जोड़ों परियोजना को बताया छलावा
बोले, इससे उद्योगपतियों के हवाले होगा जनता का पानी, बाबाओं का साथ और रैली फॉर रिवर एक धोखा
जागरण संवाददाता, लखनऊ मैग्सेसे पुरस्कार विजेता और जलपुरुष के नाम से प्रसिद्ध राजेंद्र सिंह ने केंद्र सरकार की नदी जोड़ो परियोजना को उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने का हथकंडा, भ्रष्टाचार का अड्डा और प्रदूषण बढ़ाने वाला करार दिया है। प्रेस क्लब में मंगलवार को उन्होंने एलान किया कि, इस परियोजना से जनता के हक का पानी छीन लिया जाएगा। इसलिए वे केंद्र सरकार की इस भावी परियोजना को लेकर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे। उन्होंने कहा कि, ये रैली फॉर रिवर और बाबाओं का सहयोग केवल एक छलावा है।
राजेंद्र सिंह के साथ जन-जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह ने कहा कि 16,17 और 18 अगस्त कर्नाटक के बीजापुर में जलसंरक्षण को लेकर का सम्मेलन हुआ। इसमें 30 राज्यों व केंद्र शासितप्रदेश के प्रतिनिधि पहुंचे थे जिसमें यह मांग रखी गई कि सरकार जल अधिकार सुरक्षा विधेयक लाए। उन्होंने कहा कि इस साल यूपी के 50 जिलों में मानसून की दौरान औसत से कम बारिश हुई है। यूपी को किस तरह सूखा और अकाल मुक्त बनाएंगे। तमिलनाडु भयानक सूखे से ग्रस्त है। भारत एक संकट की ओर जा रहा है।
जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि, देश के 252 जिले सूखे और 150 बाढ़ की चपेट में हैं। भारत सरकार नदी जोड़कर इलाज करना चाह रही है। आजादी के बाद 10 गुना ज्यादा सूखे की भूमि बढ़ी है। आठ गुना ज्यादा बाढ़ का एरिया बढ़ा है। नदी जोड़ना बहुत महंगा होगा। नदी जोड़ने से भारत टूटेगा। उन्होंने कहा कि, ऊपर के राज्य नीचे के राज्य को पानी नहीं देंगे। इससे केवल प्रदूषण और भ्रष्टाचार का जोड़ होगा। 25 लाख करोड़ का खर्च होगा। जिसके बाद में उद्योगपति के हाथ में ये पानी होगा। कुछ बड़े उद्योगपतियों को पानी देने की योजना है। यूपी में जल के लिए यहा की पारंपरिक स्थिति को देखें। स्ट्रीम जो पानी बह रहा उसका सामुदायिक विकेंद्रीकरण किया जाए। राजस्थान में पानी बुंदेलखंड से आधा है। मगर हमने पानी को बंटने नहीं दिया। बारिश जहा होती है पानी वहीं के लोगों का होताहै। नदी जोड़ इसका समाधान नहीं क्योंकि अभी तक जो भी कोशिशें इस तरफ हुई वह विफल रहीं हैं। रैली फॉर रिवर जैसे अभियानों से न तो नदियां प्रदूषण मुक्त नहीं होगी और न ही सदानीरा। इसलिए इस परियोजना का विरोध करेंगे।
फसल चक्र बदलने की जरूरत
यूपी का फसल चक्र बदलना होगा क्योंकि जलवायु परिवर्तन से वर्षा चक्र बदल गया है। यूपी में वर्षा के दिन घट गए हैैं। घंटे दिन और महीने कम हो गए हैं। जिसके लिए सरकार को अब यूपी में कृषि विश्रि्वद्यालयों को जिम्मेदारी देनी होगी।