यूपी में अवैध कब्जे की करें अब ऑनलाइन शिकायत
सरकारी व निजी संपत्तियों को अवैध कब्जों से मुक्त कराने व दोषियों को सजा दिलाने के लिए को चार स्तरीय एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स गठित करने का फैसला किया है।
लखनऊ (जेएनएऩ)। भाजपा के लोक कल्याण संकल्प पत्र में किये गए चुनावी वादे को निभाते हुए योगी सरकार ने सरकारी व निजी संपत्तियों को अवैध कब्जों से मुक्त कराने व दोषियों को सजा दिलाने के लिए को चार स्तरीय एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स गठित करने का फैसला किया है। एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स तहसील, जिला, मंडल और राज्य स्तर पर गठित होगी।
कब्जे चिह्नित करने को दो महीने चलेगा अभियान : सरकारी संपत्तियों पर अवैध कब्जों को चिह्नित करने के लिए दो महीने का अभियान चलाया जाएगा। जिलाधिकारी की अगुआई में जिला स्तरीय टास्क फोर्स गठित की जाएगी। सभी सरकारी विभाग, स्थानीय निकाय, प्राधिकरण, निगम, सार्वजनिक उपक्रम, आदि अवैध कब्जे का शिकार अपनी जमीनों व परिसंपत्तियों की सूची जिला स्तरीय टास्क फोर्स को सौंपेंगे। वे यह जानकारी भी मुहैया कराएंगे कि परिसंपत्तियों पर किसने कब्जा किया है, कब्जा हटाने के लिए विभाग की ओर से क्या कार्रवाई की गई है और कब्जा न हट पाने में क्या समस्या आड़े आ रही है। उप जिलाधिकारी (एसडीएम) तहसीलों के अंतर्गत ग्राम समाज की परिसंपत्तियों पर हुए अवैध कब्जे की पड़ताल तहसील स्तरीय टास्क फोर्स के जरिये कराएंगे। अवैध कब्जे चिह्नित किये जाने के बाद संबंधित विभाग अपने शासनादेशों के अनुसार उन्हें खाली कराने की कार्यवाही करेंगे। कब्जे में सरकारी अधिकारी-कर्मचारी की मिलीभगत पाये जाने पर उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जाएगी। शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी/निगम/प्राधिकरण/उपक्रम की जमीनों पर भविष्य में कोई अनधिकृत निर्माण न हो, इसके लिए संबंधित जिला व मंडल स्तरीय अधिकारी जिम्मेदार होंगे।
पेशेवर भू-माफिया को चिह्नित करेगी पुलिस : वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों/पुलिस अधीक्षकों को पेशेवर भू-माफिया की श्रेणी में आने वाले लोगों को चिह्नित करने के निर्देश दिये जाएंगे। उन्हें ऐसे लोगों को चिह्नित करना होगा जिनके बारे में संपत्तियों पर अवैध कब्जे करने की शिकायतें अमूमन मिलती रहती हैं। यह वे लोग होंगे जो राजनीतिक संरक्षण में और सरकारी विभागों के अधिकारियों-कर्मचारियों की सांठगांठ से आये दिन सरकारी, निजी व धार्मिक संस्थाओं की संपत्तियों पर कब्जे करते रहते हैं। पुलिस ऐसे पेशेवर भू-माफिया की सूची जिला स्तरीय टास्क फोर्स को सौंपेगी। ऐसे लोगों पर गैंगस्टर एक्ट, गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।
कब्जे की शिकायत में लापरवाही पर नपेंगे थाना प्रभारी : पुलिस को सख्त निर्देश दिये जाएंगे कि अपनी संपत्ति पर अवैध कब्जे की शिकायत लेकर पहुंचने वाले फरियादियों की थानों पर उचित सुनवाई हो। यदि कब्जा हो रहा हो या होने की आशंका हो तो पुलिस फौरन हस्तक्षेप कर उसे रोकें। कब्जा करने वाले के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई करें। कब्जे की शिकायतों में पुलिस की ओर से लापरवाही या ढिलाई बरते जाने पर थाना प्रभारी को सीधे जिम्मेदार मानते हुए उनके खिलाफ कार्यवाही होगी।
कानूनी पचड़े में फंसी संपत्तियों को मुक्त कराने की होगी पहल : जिला स्तरीय टास्क फोर्स देखेगी कि कौन सी संपत्तियां कानूनी विवाद के कारण कब्जे से मुक्त नहीं हो पा रही हैं। ऐसी संपत्तियों को अवैध कब्जे से मुक्त कराने के लिए अदालत में प्रभावी पैरोकारी की जाएगी।
सार्वजनिक संपत्ति पर धार्मिक स्थलों के निर्माण पर होगी कार्रवाई : सार्वजनिक गलियों/मार्गों/पार्कों व अन्य स्थानों पर धार्मिक स्थल के निर्माण को लेकर हाईकोर्ट द्वारा २९ सितंबर २००९ को दिये गए आदेश के क्रम में गृह विभाग द्वारा १८ अक्टूबर २००९ को जारी शासनादेश के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। सार्वजनिक संपत्तियों पर हुए अवैध कब्जों के मामलों में पब्लिक प्रेमाइसेस एविक्शन एक्ट के तहत दर्ज मुकदमों की स्थिति की नियमित समीक्षा की जाएगी।
मुख्य सचिव होंगे राज्य स्तरीय टास्क फोर्स के अध्यक्ष : अवैध कब्जों को भू-माफिया के चंगुल से मुक्त कराने की कार्यवाही की राज्य स्तर पर समीक्षा करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय टास्क फोर्स गठित की जाएगी। प्रमुख सचिव राजस्व इसके सदस्य-सचिव होंगे। राज्य स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक हर दो महीने में होगी। जिला स्तरीय टास्क फोर्स के कामकाज की समीक्षा कर मंडलायुक्त की अध्यक्षता में गठित मंडल स्तरीय टास्क फोर्स हर महीने अपनी रिपोर्ट राज्य स्तरीय टास्क फोर्स को सौंपेगी। तहसील स्तरीय टास्क फोर्स शिकायतों पर १५ दिन में कार्यवाही कर उसे वेबपोर्टल पर दर्ज कराएगी।
पोर्टल पर ऑनलाइन दर्ज करा सकेंगे शिकायतें : सरकारी व निजी संपत्तियों पर अवैध कब्जे की शिकायतें तहसील दिवस पर या सीधे किये जाने के अलावा ऑनलाइन भी दर्ज करायी जा सकेंगी। इसके लिए राजस्व परिषद स्तर पर ऑनलाइन पोर्टल तैयार कराया जाएगा। जब तक यह पोर्टल तैयार नहीं हो जाता, तब तक लोग शिकायतें राज्य सरकार द्वारा एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली के तहत संचालित जनसुनवाई पोर्टल पर दर्ज करायी जा सकेंगी। शिकायतकर्ता अपनी शिकायतों पर हुई कार्यवाही से एसएमएस के जरिये अवगत हो सकेंगे।