Move to Jagran APP

लोकायुक्त रिपोर्ट की अनदेखी से भ्रष्टाचार को बढ़ावा

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि लोकायुक्त के विशेष प्रतिवेदनों पर राज्य सरकार की निष्क्रियता के कारण प्रदेश में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sun, 22 Jan 2017 08:38 PM (IST)Updated: Sun, 22 Jan 2017 08:48 PM (IST)
लोकायुक्त रिपोर्ट की अनदेखी से भ्रष्टाचार को बढ़ावा
लोकायुक्त रिपोर्ट की अनदेखी से भ्रष्टाचार को बढ़ावा

लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि लोकायुक्त के विशेष प्रतिवेदनों पर राज्य सरकार की निष्क्रियता के कारण प्रदेश में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है। वह इस बात से आहत हैं कि लोकयुक्त संस्था का जैसा उपयोग उत्तर प्रदेश में होना चाहिए था, वैसा सरकार ने नहीं किया। सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण के बढ़ते मामलों पर सरकार की उदासीनता से भी वह असंतुष्ट दिखे।

loksabha election banner

यह भी पढ़ें UP election: यूपी चुनाव के लिए सपा-कांग्रेस के बीच गठबंधन की हुई घोषणा

नाईक ने राज्यपाल के रूप में रविवार को ढाई साल का कार्यकाल पूरा किया। पहले और दूसरे साल का कार्यकाल पूरा होने पर अपने कामकाज का ब्यौरा मीडिया को देने वाले नाईक ने राजभवन में ढाई साल पूरे होने पर छह महीने के कामकाज का लेखाजोखा साझा किया। उन्होंंने कहा कि लोकायुक्त की ओर से अब तक भेजे गए 53 विशेष प्रतिवेदनों में से सिर्फ दो पर राज्य सरकार ने स्पष्टीकरण ज्ञापन उपलब्ध कराया है। बाकी 51 प्रतिवेदनों के बारे में न तो स्पष्टीकरण ज्ञापन प्राप्त हुआ और न ही उन्हें राज्य विधानमंडल के सामने प्रस्तुत किया गया। इस बारे में वह मुख्यमंत्री को दो बार पत्र भी लिख चुके हैं। मथुरा के जवाहर बाग कांड के बाद प्रदेश में सरकारी जमीनों पर हुए अतिक्रमण, अवैध कब्जों और उससे राज्य सरकार को हुई हानि पर श्वेत पत्र जारी करने के लिए मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र और फिर मुख्य सचिव को भेजी गईं दो चिट्ठियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस मामले में हुई प्रगति की राज्य सरकार ने उन्हें अब तक कोई जानकारी नहीं दी है। वह इस बात से भी क्षुब्ध दिखे कि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के खर्चों और प्राप्तियों का महालेखाकार से ऑडिट कराये जाने के बारे में मुख्यमंत्री को तीन पत्र लिखने के बावजूद सरकार ने इस बारे में कोई कार्यवाही नहीं की। लिहाजा उन्हें इस बारे में राष्ट्रपति, केंद्रीय गृह और वित्त मंत्रियों को पत्र लिखने पड़े।

यह तीनों मामले जिन विभागों से जुड़े हैं, वे मुख्यमंत्री के अधीन हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या उनके कहने पर भी मुख्यमंत्री अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं, नाईक ने मुस्कुराते हुए कहा कि मैंने तथ्य रख दिये हैं, निष्कर्ष आप निकालिये। हालांकि वह यह कहने से नहीं चूके कि सिर्फ इन तीन विभागों के ही नहीं, सरकार के सभी काम कैबिनेट से मंजूर होते हैं। कैबिनेट के मुखिया होने के नाते सरकार के सारे कामकाज के लिए मुख्यमंत्री उत्तरदायी हैं।

विधायक उमाशंकर सिंह की सदस्यता खत्म करने के निर्णय का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह प्रदेश ही नहीं, देश में अपने तरह का पहला मामला है जिसमें किसी विधायक ने भ्रष्टाचार के मामले में सदस्यता गंवाई हो। छह माह के दौरान उन्हें सिद्धदोष बंदियों से संबंधित दयायाचिका की 408 पत्रावलियां प्राप्त हुईं जिनमें से 108 की रिहाई के उन्होंने आदेश दिए। प्रेस कांंफ्रेंस के दौरान उन्होंने छह महीने के दौरान स्वयं द्वारा अनुमोदित विधेयकों व अध्यादेशों, कुलपतियों की नियुक्ति व बर्खास्तगी और नये विश्वविद्यालयों की स्थापना से संबंधित ब्यौरा भी दिया।

विकास का मूल्यांकन जनता करे

समाजवादी सरकार के कार्यकाल में राज्य में हुए विकास कार्यों के मूल्यांकन के सवाल पर नाईक ने कहा कि चुनाव के समय सभी पार्टियां अपने घोषणापत्र पेश करेंगी और विकास के बारे में दावे करेंगी। इस समय जनता को ही विकास कार्यों का मूल्यांकन करना है और उसके आधार पर निर्णय करना है।

सब मतदान करें

राज्यपाल ने 2012 के विधानसभा चुनाव और 2014 के लोकसभा चुनाव का हवाला देते हुए कहा कि दोनों में 60 फीसद से कम मतदान हुआ। लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए नाईक ने आगामी विधानसभा चुनाव में सभी मतदाताओं से वोट देने की अपील की ताकि उप्र को उत्तम प्रदेश बनाने का मार्ग प्रशस्त हो सके।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.