विश्व टीबी दिवस: इम्यूनिटी मजबूत हो तो हावी नहीं हो पाएगा टीबी का बैक्टीरिया
अधिकतर लोगों में टीबी के बैक्टीरिया सुषुप्तावस्था में रहते हैं, इन मरीजों में जैसे ही रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है तो उनमें बैक्टीरिया हावी हो जाते हैं।
लखनऊ (जागरण संवाददाता)। देश की आधी आबादी में टीबी के बैक्टीरिया (जीवाणु) हैं। मगर उनमें से 28 लाख लोग ही टीबी से पीड़ित हैं। कारण, शेष लोगों में इम्यूनिटी पावर (रोग प्रतिरोधक क्षमता) मजबूत होने के चलते बैक्टीरिया शरीर में हावी नहीं हो पाता।
यह जानकारी केजीएमयू के पल्मोनरी विभाग के अध्यक्ष प्रो. सूर्यकांत ने दी। उन्होंने कहा कि अधिकतर लोगों में यह सुषुप्तावस्था में रहते हैं। इन मरीजों में जैसे ही रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है तो उनमें बैक्टीरिया हावी हो जाते हैं और मरीज टीबी की चपेट में आ जाता है। प्रो. सूर्यकांत के मुताबिक टीबी के कुल मामलों में 85 फीसद लोगों में फेफड़े की टीबी है। 15 फीसद मरीज एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी से पीड़ित हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ फेफड़े की टीबी का ही संक्रमण लोगों की अपनी चपेट में लेता है क्योंकि इसमें बैक्टीरिया मरीजों के खांसने, बलगम से हवा के जरिए दूसरे तक पहुंचता है।
कीटनाशक घटा रहे इम्यूनिटी पावर: देश में अब लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है। इसका प्रमुख कारण अनाज, फल, सब्जी व अन्य खाद्य पदार्थो को पैदा करने या प्रिजर्व करने के लिए प्रयोग होने वाले फर्टिलाइजर, इंसेक्टिसाइड, पेस्टिसाइड व प्रिजर्वेटिव केमिकल हैं।
चमकीले फल हो सकते हैं घातक: अमूमन सेब तोड़ने के बाद आठ दिन व तरबूज 30 दिन तक खाने योग्य होते हैं। मगर, इन फलों में प्रिजर्वेटिव केमिकल का प्रयोग कर काफी दिनों तक सुरक्षित कर लिया जाता है। साथ ही इसमें चमक लाने के लिए पॉलिश भी की जाती है। ऐसे फल खाने से पेट में केमिकल पहुंचकर किडनी व लिवर को प्रभावित करते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर करते हैं।
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कई देशों में है इन पर बैन: इजराइल, ऑस्ट्रेलिया व यूरोप में खाद्यान्न उत्पादन में ईकोफ्रेंडली केमिकल या आर्गेनिक खाद का प्रयोग किया जा रहा है। अन्य घातक केमिकल पर इन देशों में बैन लगा दिया गया है।
बीमारी भयावह होने के यह भी कारक: कुपोषण, एचआइवी, मधुमेह, कम उम्र में गर्भधारण, बार-बार गर्भधारण, परदा प्रथा, गरीबी, भीड़, धूम्रपान व अन्य नशे, साफ-सफाई की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ न ले पाना, अनियमित दवा लेना आदि बीमारी भयावह होने के कारण हैं।
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