भाजपा के मिशन-2014 की तैयारी पर उठे सवाल
लखनऊ (अवनीश त्यागी)। लोकसभा चुनाव में एकतरफा जीत मिलने से इतराई भाजपा के लिए पांच माह के
लखनऊ (अवनीश त्यागी)। लोकसभा चुनाव में एकतरफा जीत मिलने से इतराई भाजपा के लिए पांच माह के भीतर ही आठ विधानसभा सीटें गवां देना चेतावनी भरा जनादेश है। प्रदेश की 12 सीटों पर हुए उपचुनाव ने बूथ प्रबंधन एवं रणनीति के दावों की पोल भी खोल दी। गुटबाजी व अंतर्कलह रोकने में नाकाम नेतृत्व के लिए मिशन-2017 की कामयाबी आसान नहीं होगी।
उपचुनाव के अप्रत्याशित नतीजे आने के बाद से भाजपा मुख्यालय में आम दिनों जैसी चहलपहल गायब है। प्रदेश संगठन महामंत्री सुनील बंसल और लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने बंद कमरे में परिणाम पर मंत्रणा की। बड़े नेता सीधे तौर पर टिप्पणी करने से बच रहे थे परन्तु दूरदराज के कार्यकर्ता खुलकर बोल रहे थे, ज्यादातर की राय आत्म मंथन करने की थी। बनारस क्षेत्र के रामरतन सिंह को टिकट वितरण का खोट नजर आ रहा था। रोहनियां सीट अपना दल को देने पर एतराज जताते हुए उन्होंने दोनों दलों के कार्यकर्ताओं में तालमेल न होने की बात कही।
कागजों तक रहा बूथ प्रबंधन प्लान
उपचुनाव जीतने के लिए 'बूथ जीतो' फार्मूले पर ईमानदारी से अमल नहीं हो सका। बड़े नेताओं को बूथ गोद लेने की सलाह बेमानी साबित हुई। लखनऊ पूर्वी व अन्य शहरी इलाकों में मतदान प्रतिशत कम रहना भी नेतृत्व की चिंता विषय रहा क्योंकि गत लोकसभा चुनाव में वोटरों में जबरदस्त उत्साह था। प्रत्येक सीट के लिए तैनात किए तीन से चार प्रभारी बूथ प्रबंधन दुरस्त न सके। संगठन मंत्रियों की भूमिका भी औपचारिकता पूरी करने जैसी ही रही।
भारी पड़ी टिकट वितरण की खामी
भाजपा का विलम्ब से टिकट वितरण का फैसला भारी पड़ा जबकि सपा ने जातिगत संतुलन बना अपने प्रत्याशी अर्से पहले तय कर दिए थे। पर्याप्त समय नहीं मिलने के कारण भाजपाई उम्मीदवार संपर्क अभियान में पिछड़े रहे। टिकटों को लेकर संगठन की अतंर्कलह नहीं रोकना भी नुकसानदेह साबित हुआ। खासकर चरखारी, हमीरपुर, बिजनौर, ठाकुरद्वारा व निघासन में वर्करों की आपसी तनातनी अंत तक कम नहीं हो सकी। लखनऊ पूर्वी नोएडा और सहारनपुर की सीटें भाजपा जीती जरूर परन्तु यहां की गुटबाजी किसी से छिपी नहीं रही।
सांसदों की मनमानी ने बिगाड़ा माहौल
विधायक से सांसद बन चुके भाजपाइयों के खिलाफ उनके क्षेत्र में पनपी नाराजगी का खमियाजा भी उम्मीदवारों को भुगतना पड़ा। मसलन चरखारी क्षेत्र में भाजपा का तीसरे स्थान पर खिसकना चौंकाने वाला है क्योंकि क्षेत्रीय सांसद व केंद्रीय मंत्री उमा भारती के खिलाफ क्षेत्र में खासा गुस्सा है। निघासन के प्रत्याशी, पूर्व सहकारिता मंत्री रामकुमार वर्मा समर्थक क्षेत्रीय सांसद पर विरोध का खुला आरोप लगा रहे है। सूत्रों का कहना है कि अधिकतर सांसद अपने परिजनों को टिकट नहीं देने के फैसले से नाराज थे। इसीलिए चुनाव में सहयोग के बजाए अंदरखाने विरोध के आरोपों से घिरे है।
वोटरों का मिजाज भापने में गलती
उप चुनाव में बसपा वोटबैंक का समर्थन खुद ब खुद मिल जाने की खुशफहमी परिणामों ने खत्म की। सपा को मिली वोटों के अंतर से बसपाई वोटों को लाभ भाजपा को नहीं मिलना सिद्ध करता है। दलितों के अलावा भाजपा पिछड़ों को लुभाने में भी नाकाम रही। गत लोकसभा चुनाव में अन्य पिछड़े वर्ग का मोदी के नाम पर भाजपा को मिला समर्थन उपचुनाव में नहीं मिल सका। सपा के पाले में अन्य पिछड़ा वर्ग मजबूती से खड़ा दिखा। लव जिहाद जैसे मुद्दे गर्माने का नुकसान सपा के पक्ष में जबरदस्त मुस्लिम धुव्रीकरण होने से झेलना पड़ा।