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अवाक्स से खोजे आतंकी ठिकाने और स्पेशल कमांडो ने किए तबाह

एयरबोर्न अरली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम यानी अवाक्स और पैरा ब्रिगेड के स्पेशल कमांडो म्यांमार के बाद एक बार फिर अपनी उपयोगिता साबित कर दी।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 29 Sep 2016 09:50 PM (IST)Updated: Fri, 30 Sep 2016 08:36 PM (IST)
अवाक्स से खोजे आतंकी ठिकाने और स्पेशल कमांडो ने किए तबाह

आगरा (जेएनएन)। एयरबोर्न अरली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम यानी अवाक्स और पैरा ब्रिगेड के स्पेशल कमांडो म्यांमार के बाद एक बार फिर अपनी उपयोगिता साबित कर दी। बीती रात पाक अधिकृत कश्मीर में सेना की सर्जिकल स्ट्राइक आतंकी कैंप अवाक्स की नजर से नहीं बच पाए और आगरा के पैरा ट्रेनिंग स्कूल से सुरक्षा़ का पाठ पढ़ने वाले स्पेशल कमांडोज ने पीओके में ट्रेस किए गए कैंपों को केवल चार घंटे में नेस्तनाबूद कर दिया।

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वायुसेना की मध्य कमान, इलाहाबाद में कई अवाक्स हैं, जो आइएल-76 (गजराज विमान) में लगे हुए हैं। यह ऐसा सिस्टम है, जिससे आसमान से हर जमीनी हरकत पर निगाह रखी जाती है। साथ ही उनकी सटीक रिकॉर्डिंग होती है। उड़ी पर आतंकी हमले के बाद इंडियन एयरफोर्स ने गजराज की उड़ान को थोड़ा तेज कर दिया था। आगरा से भी कई विमानों ने उड़ान भरी थी और अवाक्स से सटीक डाटा हासिल किया। इस बात के पुख्ता सुबूत जुटाए जा रहे थे कि पीओके में आतंकी कैंप हैं। यह कैंप लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) से पाकिस्तान की सीमा के भीतर हैं। एक कैंप से दूसरी कैंप की दूरी, वहां पर पहुंचने का रास्ता और मौसम में आने वाले बदलाव को भी अच्छी तरीके से परखा गया। अवाक्स सहित अन्य उपकरणों से जो भी डाटा मिला, उसी के आधार पर खाका तैयार किया जाने लगा। जो भी जानकारियां मिल रही थीं, उनकी कडिय़ों को लगातार जोडऩे का कार्य चलता रहा। इसके बाद स्पेशल कमांडोज को आतंकी कैंपों पर हमला करने और फिर बच निकलने के तरीके बताए गए। बुधवार रात चार घंटे तक चले ऑपरेशन में स्पेशल कमांडोज ने कई कैंपों को नष्ट कर दिया।

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आगरा में जांबाजी का पाठ

स्पेशल कमांडोज का मिशन एक ही-बस आतंकियों की तबाही होता है। देश के दुर्गम स्थल पर उतर सकते हैं। पीओके में आतंकियों को मार गिराने वाले कमांडोज को जांबाजी का पाठ आगरा स्थित पैरा ट्रेनिंग स्कूल (पीटीएस) में पढ़ाया गया था। यह कमांडो किसी विमान से बीस हजार फीट की ऊंचाई से भी छलांग लगा सकते हैं। जून 2015 में म्यांमार में स्पेशल कमांडोज ने आतंकियों के ठिकानों को तबाह किया था। इनकी ट्रेनिंग पीटीएस में हुई थी।

यूं दी जाती ट्रेनिंग

पैरा ब्रिगेड का हिस्सा बनने के बाद पीटीएस में स्पेशल कमांडोज की ट्रेनिंग बेसिक कोर्स से शुरू होती है, जो 12 दिनों तक चलती है। विमान से किस तरीके से छलांग लगानी है, हवा में किस तरहपैराशूट खोलना है, इसका पाठ पढ़ाया जाता है। कमांडोज को तीन से पांच हजार फीट की ऊंचाई से छलांग लगवाई जाती है। पांच जंप में तीन सामान्य, एक बीस किग्रा सामान के साथ और एक रात की जंप शामिल है। इन जंप को सही तरीके से करने पर पीटीएस द्वारा मेहरून कैप दी जाती है।

विमान पर छलांग

कोर्स पूरा करने के बाद स्पेशल कमांडोज को खास तरीके की ट्रेनिंग दी जाती है। यह एएन 32, एमआइ हेलीकॉप्टर या फिर आइएल 76 और हरक्युलिस विमान से भी छलांग लगा सकते हैं। यहां हर साल श्रीलंका सहित अन्य देशों के जवान आते हैं। यह जवान एएन-32, आइएल-76, एमआइ-17 हेलीकॉप्टर से छलांग लगाते हैं। एक साल में देसी-विदेशी जवानों को मिलाकर 47 हजार छलांग लगाई जाती हैं। देश में मलपुरा ड्रॉपिंग जोन इकलौता जोन है। जहां हर दिन सुबह से जंप शुरू हो जाती हैं। शाम व रात में भी जंप होती हैं।


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